अमरावती प्रतिनिधि/दि.८ – प्लास्टिक पन्नियों को नष्ट करने का प्रश्न विश्वस्तर पर गंभीर होता जा रहा है. जिसमें प्लास्टिक पन्नियों को नष्ट करने हेतु स्थानीय विदर्भ ज्ञान विज्ञान संस्था में भौतिक शास्त्र विभाग की प्राध्यापिका डॉ. विजया सांगावार ने इस संदर्भ में संशोधन किया. जिसे राष्ट्रीय स्तर पर पेटंट मिला. अब इस संशोधन द्वारा प्लास्टिक की पन्नियों को नष्ट करने का मार्ग प्रशस्त होगा.
हर रोज इस्तेमाल होने वाली प्लास्टिक की थैलियां पॉलिथिन द्वारा तैयार की जाती है. यह थौलियां कम दाम में सहज उपलब्ध हो जाती है. जिसका इस्तेमाल खुलेआम हो रहा है. किंतु उसे नष्ट करने की या उसका बंदोबस्त करने हेतु किसी प्रकार की योजना उपलब्ध न होने की वजह से पॅालिथिन थैलियों से खतरा लगातर बढता जा रहा है.
मुंबई-नागपुर जैसे बडे शहरो में इन थैलियों से होते हुए खतरे को देखकर डॉ. विजया सांगावार ने इस विषय पर संशोधन की शुरुआत की. जिसमें उन्हें संशोधक विद्यार्थी प्रा. डॉ. अमीत गद्रे व प्रा. गणेश हिरावार ने सहकार्य किया. लो-डेन्सिटी पॉलिथिन तथा पॉलिथिन ग्लायकोल के मिश्रण से फिल्म तैयार की गई. यह फिल्म नष्ट हो सकती है, और इसका बंदोबस्त भी किया जा सकता है. यह संशोधन ध्यान में आते ही डॉ. विजया सांगावार ने २०१५ में भारत सरकार को पेटंट के लिए निवेदन किया था. जिसमें उन्हें भारत सरकार द्वारा मान्यता देकर पेटंट दिया है. यह पेटंट उन्हें २०१८ में प्राप्त हुआ था. डॉ. सांगावार द्वारा किए गए इस संशोधन पर उच्च शिक्षण संचालक डॉ. धनराज माने, शासकीय ज्ञान, विज्ञान संस्था संचालक डॉ. वंसत हेलावी रेड्डी, सह संचालक डॉ. केशव सुपे ने उनका अभिनंदन किया.