अमरावती

चना व प्याज के उत्पादन में रिकॉर्ड तोड बढोत्तरी

अंजनगांव सुर्जी तहसील में ८०० हेक्टेअर क्षेत्र में उत्पादन

  • खरीफ नुकसान भरपाई का प्रयास

अंजनगांव सुर्जी प्रतिनिधि/दि.२५ – कपास सहीत खरीफ फसल हाथ से निकल जाने के बाद इस वर्ष तहसील के प्याज और चना के उत्पादन में रिकॉर्डतोड इजाफा हुआ है. खेतों में खिलापन होने से फसलों के लिए यह पोषक है. प्याज उत्पादन में बीते वर्षों के सभी रिकॉर्ड तोड दिये है. महंगे और कम होने पर भी इस वर्ष प्याज के बीज खरीदकर किसानों ने बुआई की है. चने की बुआई भी अब खत्म हो रही है. कपास व तुअर के मध्य जगह पर प्याज का उत्पादन अभी भी चल रहा है. इस वर्ष अंजनगांव सुर्जी तहसील में ८०० हेक्टेअर से अधिक क्षेत्र में प्याज की बुआई की गई है. चना बुआई क्षेत्र में भी ७ हजार हेक्टेअर तक पहुंच गई है. खरीफ ने फसलों के नुकसान से किसानों को तनाव का सामना करना पड रहा था. इसलिए प्याज उत्पादन से बिगडे बजट को दुरुस्त करने का प्रयास किसान कर रहे है. ठंड की शुरुआत हो चुकी है, वहीं मौसम विभाग के अनुमान के अनुसार नवंबर के आखरी सप्ताह में बारिश होने की संभावना रहने से ठंड और भी बढ सकती है. चना व प्याज के लिए यह अनुकुल मौसम ठंडी, ओस का अप्रत्यक्ष रुप से फसलों को लाभ होता है. जिस क्षेत्र में qसचाई की दुविधा है, वहां पर सर्द माहौल फसलों को फायदेमंद साबित होता है. पहले प्याज की बुआई बीजरोप पध्दति से किये जाते थे. पहले प्याज के बीज बाफ पर डाले जाते थे, उसके बाद उसके पौधे तैयार कर बेचे जा रहे थे, लेकिन अब सीधे बीज मिट्टी में गाडकर बुआई की जा रही है. नाशिक के लाल प्याज को विकल्प नहीं होने से वहीं खाया जा रहा है. इसमें अपेक्षानुरुप तिखापन नहीं होता. वहीं सफेद प्याज घर-घर में पसंद किया जाता है. बीते अनेक वर्षों से इस फसल पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है, लेकिन बढ रही महंगाई और किल्लत के चलते ग्रामीण इलाकों में किसानों को भी प्याज की अहमियत समझ में आने लगी है. प्याज संग्रहीत करने का कोई उपाय नहीं रहने से बोरियों में भरकर यह बेचा जाता है. ज्यादा से ज्यादा हिस्सा दलाल व व्यापारी खरीदी करते है और नफा प्राप्त करते है, लेकिन अब युवा किसानों ने इस क्षेत्र में दिलचस्पी लेकर प्याज की बोरियां सीधे ग्राहकों के घरों तक पहूंचाने का काम शुरु किया है.

  • विदर्भ का सफेद प्याज बाहरी राज्यों में

स्थानीय विदर्भ में सफेद प्याज खत्म होने पर यहां नाशिक जिले से व्यापारियों ने बडे ट्रकों, मिनी ट्रक में प्याज बुलवाया था. गर्मी के शुरुआती दिनों में याने अगले वर्ष के प्रारंभ में यह नजारा कुछ अलग हो सकता है. बाहरी राज्य के व्यापारी सफेद प्याज की ज्यादा भावों में खरीदी करते है. इसलिए विदर्भ का यह प्याज बाहरी राज्य में पहुंचने की संभावना बढ गई है.

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