अमरावती

मुख्यमंत्री ग्राम सडक योजना हेतु डेढ हजार पदों पर भरती

आउटसोर्सिंग से भरे जायेंगे पद

  • ‘सीएससी’ कंपनी को मिला ठेका

  • 18 फीसदी मार्जिन रखी गयी

  • सीधे दिल्ली से ‘कनेक्शन’

अमरावती प्रतिनिधि/दि.15 – इस समय मुख्यमंत्री ग्राम सडक योजना को लेकर राज्य में काफी हद तक सुस्ति आ गयी है. क्योंकि विगत दो वर्षों से कोई नया प्रस्ताव भी नहीं आया है और ठेकेदारो के करोडों रूपयो के बिल भी बकाया है. बावजूद इसके एक विशिष्ट एजेंसी के मार्फत आउटसोर्सिंग के जरिये अभियंताओं व कर्मचारियों के करीब डेढ हजार पद भरे गये है. इसमें भी यह विशेष उल्लेखनीय है कि, राज्य के ग्राम विकास मंत्रालय तथा ‘दिल्ली कनेक्शन’ के जरिये इस पद भरती का ठेका ‘सीएससी’ नामक कंपनी को दिया गया था, तथा इसी कंपनी के मार्फत कर्मचारियो की नियुक्ती करने हेतु राज्य के प्रत्येक जिले में स्थायी अभियंताओ पर काफी हद तक दबाव भी बनाया जा रहा है.
बता दें कि, मुख्यमंत्री ग्राम सडक योजना अंतर्गत इससे पहले भी विविध संस्थाओ के मार्फत आउटसोर्सिंग द्वारा कर्मचारी भरती की गई थी. किंतु अब ‘सीएससी’ नामक ई-गर्व्हनन्स सर्विसेस इंडिया लि. इस कंपनी के जरिये ही कर्मचारियों की नियुक्ती को अनिवार्य किया गया है. इस हेतु दिल्ली से राज्य पर दबाव बनाया जा रहा है.

  • भाजपा व राकांपा का गुप्त गठबंधन

इस समय राज्य में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी सत्ता में है और भाजपा विपक्ष में है. किंतु आउटसोर्सिंग के जरिये डेढ हजार पदों की भरती हेतु भाजपा व राकांपा द्वारा गुप्त रूप से गठबंधन किये जाने की बात उजागर हो रही है. संदेह व्यक्त किया जा रहा है कि, ‘सीएससी’ कंपनी में दिल्ली के किसी ‘वजनदार’ व्यक्ति की भागीदारी हो सकती है. ऐसे में इस एजेंसी का काम सहज व आसान हो, इस हेतु राज्य के ग्राम विकास मंत्रालय के एक कक्ष अधिकारी द्वारा समूचे राज्य में स्थित मुख्यमंत्री ग्राम सडक योजना के कार्यालयों में फोन करते हुए स्थायी अभियंताओं पर दबाव बनाया जा रहा है. जिसमें कहा जा रहा है कि, पुराने ठेके रद्द कर दिये जाये और हमारे द्वारा बताये गये व्यक्ति को ही काम पर रखा जाये. साथ ही कंपनी द्वारा चुने गये कर्मचारियों को सीधे मुंबई बुलाकर नियुक्ती आदेश दिये जा रहे है, और वाहन चालक व चपरासी जैसे पदों के लिए भी न्यूनतम 15 हजार रूपये का वेतन दिया जा रहा है.

  • पांच माह पहले ही आया जीआर

मुख्यमंत्री ग्राम सडक योजना में आउटसोर्सिंग करवानी है, तो ‘सीएससी’ कंपनी के मार्फत ही करवायी जाये. ऐसा जीआर अगस्त 2020 में जारी किया गया था. इस हेतु केंद्र की पंचायतराज योजना के जरिये राज्य के ग्रामविकास विभाग के साथ करारनामा किया गया है. ‘सीएससी’ कंपनी को इस पद भरती में प्रत्येक कर्मचारी के वेतन पर 18 फीसदी ‘मार्जिन’ दी जाती है, जबकि मार्जिन की इस रकम पर और भी कई बेरोजगारों को सेवा में समाहित व समयोजित किया जा सकता है. ऐसे में मुख्यमंत्री ग्राम सडक योजना की नौकर भरती में काफी ‘झोल’ दिखाई दे रहा है और अब इस बात को लेकर जबर्दस्त चर्चा चल रही है कि, आखिर सीएससी कंपनी में किस ‘वजनदार’ व्यक्ति की भागीदारी है.

  • काम ही नहीं तो सेवानिवृत्तों की भरती क्यो?

मुख्यमंत्री ग्राम सडक योजना में कार्यकारी अभियंताओं के 35 तथा उपअभियंताओं के 120 पद मंजूर है. जिन पर व्यवस्थित ढंग से काम शुरू है. साथ ही यहां पर फिलहाल कोई अतिरिक्त काम उपलब्ध नहीं है. बावजूद इसके दो कार्यकारी अभियंताओं व 11 उपअभियंताओ के ठेका करार पध्दतिवाले पदों हेतु बीते सप्ताह ही विज्ञापन जारी किया गया है. इन पदों पर राजनेताओ के नजदिकी एवं मर्जीवाले सेवानिवृत्त लोगों का पुनर्वसन करना है. ऐसे में पीडब्ल्यूडी के अनुभव की बजाय पीएमजीएसवाय के तीन वर्ष का अनुभव रहने की शर्त जानबुझकर डाली गयी है. ऐसे में यह सवाल भी पूछा जा रहा है कि, जब काम ही नहीं है, तो यह पदभरती क्यो की जा रही है.

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