अमरावती

डफरीन में ‘भंडारा कांड’ की पुनरावृत्ति

एसएनसीयू के वेेंटिलेटर में लगी आग

37 बच्चों को तत्काल निकाला गया कक्ष से बाहर
14 बच्चे अन्य अस्पतालों में किये गये शिफ्ट
एक बच्चे की देर शाम हुई मौत
अन्य सभी बच्चों की स्थिति खतरे से बाहर
डफरीन अस्पताल के सुरक्षा इंतजाम सवालों के घेरे में
अमरावती-/दि.26  कुछ समय पूर्व भंडारा जिले के सरकारी अस्पताल के बच्चा वॉर्ड में लगी आग की वजह से 11 नवजात बच्चों की जल जाने और झुलस जाने के चलते दर्दनाक मौत हो गई थी. जिसके बाद पूरे राज्य में हडकंप मचा था और राज्य के सभी सरकारी अस्पतालों में इस तरह की घटना दुबारा घटित न हो, इस हेतु आवश्यक उपाययोजना करने के लिए जरूरी दिशा-निर्देश जारी किये गये थे और सभी सरकारी अस्पतालों के सुरक्षा इंतजामों की समीक्षा भी करनी शुरू की गई थी, लेकिन इसके बावजूद कल रविवार 25 सितंबर को डफरीन अस्पताल में ‘भंडारा कांड’ की पुनरावृत्ति होते-होते बची, जब जिला महिला अस्पताल के एसएनसीयू वॉर्ड में रखे वेंटिलेटर में आग लग गई. इस समय इस वॉर्ड में 37 नवजात बच्चों को भरती रखा गया था. जिसमें से दो बच्चे वेंटिलेटर पर रखे गये थे. सौभाग्य से वेंटिलेटर में आग लगने की जानकारी समय रहते यहां ड्युटी पर तैनात परिचारिका के ध्यान में आ गई. जिसके बाद तुरंत दौडभाग करते हुए सभी बच्चों को इस वॉर्ड से बाहर निकाला गया और इनमें से गंभीर स्थिति में रहनेवाले 2 बच्चों सहित कुल 12 बच्चों को सुपर स्पेशालीटी अस्पताल सहित शहर के अलग-अलग निजी अस्पतालों में भरती कराया गया. जिसमें से गंभीर स्थिति में रहनेवाले एक बच्चे की देर शाम मौत हो जाने की जानकारी सामने आयी. हालांकि इस बात की अब तक पुष्टि नहीं हो पायी है कि, इस बच्चे की मौत इस अग्निकांड की वजह से ही हुई है अथवा नहीं, क्योंकि अस्पताल प्रशासन के मुताबिक निर्धारित समय से पहले जन्मा यह बच्चा पैदाईशी बेहद कमजोर था और उसके बचने के आसार वैसे भी काफी कम थे.
इस संदर्भ में मिली जानकारी के मुताबिक जिला स्त्री अस्पताल के नवजात शिशु दक्षता कक्ष (एसएनसीयू) में गत रोज 37 नवजात बच्चों को इलाज हेतु भरती रखा गया था. जिसमें से दो बच्चे गंभीर स्थिति में रहने की वजह से वेंटिलेटर पर रखे गये थे. वहीं अन्य बच्चे इंक्यूबेटर (एक विशिष्ट तरह का जीवन रक्षक बक्सा) में रखे गये थे. कल सुबह 9 बजे के आसपास एसएनसीयू वॉर्ड के वेंटिलेटर में शॉर्टसर्किट हो जाने की वजह से अचानक ही आग लग गई और वॉर्ड के भीतर से धुआं उठने लगा. यह देखते ही वॉर्ड में तैनात परिचारिकाओं व अन्य कर्मचारियों सहित डॉक्टरों और बच्चों के अभिभावकों ने एसएनसीयू विभाग की ओर दौड लगाई और तुरंत ही सभी 37 नवजात बच्चों को इस वॉर्ड से बाहर निकाला गया. पश्चात वेंटिलेटर पर रखे गये दो बच्चों के साथ ही कुल 12 नवजात बच्चों को अस्पताल प्रशासन ने तुरंत ही अन्य अस्पतालों में भरती कराया. जिसके तहत सुपर स्पेशालीटी अस्पताल में 6, पीडीएमसी अस्पताल में 3, डॉ. मुरके हॉस्पिटल में 2, तथा इर्विन अस्पताल में 1 बच्चे को शिफ्ट किया गया. साथ ही अन्य 25 बच्चों को डफरीन अस्पताल के ही अन्य वॉर्ड में भरती रखा गया है. पता चला है कि, डफरीन से सुपर स्पेशालीटी अस्पताल में शिफ्ट किये गये 6 बच्चों में से 1 बच्चे की कल देर शाम मौत हो गई. पता चला है कि, यह बच्चा भातकुली निवासी प्रिती मिलींद वासनिक नामक नवप्रसूता महिला का था. इस बारे में जानकारी देते हुए डॉ. नितीन बरडिया ने बताया कि, उस बच्चे का जन्म विगत 14 सितंबर को हुआ था और समय पूर्व प्रसूति के चलते जन्मे इस बच्चे का वजन बेहद कम था. साथ ही उसे सांस लेने में काफी दिक्कते आ रही थी. जिसके चलते उसकी स्थिति लगातार गंभीर बनी हुई थी.

रात से ही वेंटिलेटर में थी खराबी
जानकारी के मुताबिक एसएनसीयू में गंभीर स्थिति में रहनेवाले बच्चों के लिए कुल तीन वेंटिलेटर है. जिसमें से दो वेेंटिलेटर पिछले महिने ही सरकार से मिले है. इसमें से ही एक वेंटिलेटर में गत रोज शॉर्टसर्किट की वजह से आग लगी. सूत्रों के मुताबिक यह वेंटिलेटर शनिवार की रात से ही लगातार चालू-बंद हो रहा था. ऐसे में अब यह सवाल पूछा जा रहा है कि, आखिर उसी समय इस वेंटिलेटर को क्यों नहीं बदला गया.

तो अनर्थ हो जाता
एसएनसीयू विभाग में वेंटिलेटर में आग लगते ही यहां ड्युटी पर तैनात सलमा खान नामक परिचारिका ने वेंटिलेटर पर रखे गये नवजात शिशु को तत्काल वहां से हटाया. जिसके चलते इस बच्चे को आग की वजह से कोई नुकसान नहीं पहुंचा. जिसके बाद परिचारिका सलमा खान द्वारा मचाई गई चीख-पुकार के चलते ही अन्य डॉक्टर व कर्मचारी इस वॉर्ड की ओर दौडे और उन्होंने एक-एक कर सभी नवजात शिशुओं को यहां से तुरंत बाहर निकाला. यदि समय रहते सलमा खान नामक परिचारिका द्वारा सतर्कता और समयसूचकता नहीं दिखाई गई होती, तो यहां पर अनर्थ भी घटित हो सकता था. इसके साथ ही यह भी गनिमत रही कि, यह हादसा सुबह 9 बजे के आसपास घटित हुआ और उस समय वॉर्ड में परिचारिका उपलब्ध रहने के साथ ही अस्पताल में डॉक्टरों के राउंड चल रहे थे, तो समय रहते इस घटना की ओर सभी का ध्यान चला गया और तुरंत दौडभाग करते हुए इस वॉर्ड में भरती सभी बच्चों को यहां से सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया. वहीेें अगर यह हादसा भंडारावाले मामले की तरह देर रात के समय घटित हुआ होता, तब इसके भयावह परिणामों की महज कल्पना ही की जा सकती है.

फायर ऑडिट के बाद भी हुआ शॉर्टसर्किट
पता चला है कि, कुछ समय पूर्व ही अमरावती मनपा के अग्निशमन विभाग द्वारा डफरीन अस्पताल का फायर ऑडिट किया गया था और इस फायर ऑडिट की वैध अवधि जनवरी-2023 तक है, ऐसी जानकारी जिला महिला अस्पताल की वैद्यकीय अधीक्षक डॉ. विद्या वाठोडकर द्वारा दी गई. ऐसे में इस बात को लेकर आश्चर्य जताया जा रहा है कि, अग्निशमन विभाग द्वारा फायर ऑडिट करने और इसके आधार पर अपनी एनओसी दिये जाने के बावजूद भी इस अस्पताल में शॉर्ट सर्किट जैसी घटना कैसे घटित हुई और निश्चित रूप से चूक कहां हुई.
बॉक्स, फोटो डेप्युटी सीएम फडणवीस
डेप्युटी सीएम फडणवीस ने लिया मामले को गंभीरता से
24 घंटे के भीतर रिपोर्ट पेश करने के निर्देश
डफरीन अस्पताल के नवजात शीशु अति दक्षता केंद्र में हुए अग्निकांड की घटना को राज्य के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने काफी गंभीरता से लिया है और 24 घंटे के भीतर इसे लेकर अपनी जांच रिपोर्ट पेश करने हेतु कहा है. जिसके चलते जिलाधीश पवनीत कौर ने तुरंत ही जिला शल्य चिकित्सक की अध्यक्षता में एक जांच समिती गठित की है. जिसमें अमरावती के तहसीलदार, सार्वजनिक लोकनिर्माण के कार्यकारी अभियंता, मनपा के अग्निशमन अधिकारी तथा डफरीन अस्पताल की वैद्यकीय अधिक्षिका का समावेश है.

दूसरी बार हुआ है डफरीन में हादसा
यहां यह विशेष उल्लेखनीय है कि, इससे पहले भी कुछ वर्ष पूर्व डफरीन के अति दक्षता वॉर्ड में आग लगने की घटना घटित हो चुकी है. उस समय भी एक नवजात बच्चे की मौत हुई थी तथा कुछ अन्य नवजात बच्चों की जिंदगी खतरे में आ गई थी. वहीं इससे मिलता-जुलता हादसा गत रोज यहां पर घटित हुआ है. जिसके चलते डफरीन अस्पताल के सुरक्षा इंतजामों पर एक बार फिर सवालिया निशान लगता दिखाई दे रहा है.

पुलिस, दमकल व महावितरण कर्मियोें सहित एम्बुलन्स वाहनों का जमावडा
डफरीन अस्पताल के एसएनसीयू में आग लगने की जानकारी मिलते ही स्वास्थ्य प्रशासन सहित संबंधित महकमों में तुरंत ही अच्छा-खासा हडकंप व्याप्त हो गया और सीएस डॉ. दिलीप सौंदले, अस्पताल की वैद्यकीय अधिक्षिका डॉ. विद्या वाठोडकर, गाडगेनगर पुलिस स्टेशन के थानेदार आसाराम चोरमले, पीएसआई जठाले व दमकल विभाग के फायर ऑफिसर सैय्यद अनवर तुरंत अपने-अपने दलों के साथ मौके पर पहुंचे. साथ ही इस समय तक महावितरण की डफरीन शाखा के अधिकारियों व कर्मचारियों की टीम भी डफरीन अस्पताल पहुंच गई थी. इस समय तक अस्पताल के कर्मचारियों द्वारा अस्पताल में उपलब्ध अग्निशामक यंत्र से यहां पर लगी आग पर काबू पा लिया गया था. जिसके चलते अग्निशमन विभाग की टीम तुरंत वापिस चली गई. वहीं गाडगेनगर पुलिस की टीम ने यहां पर पंचनामा किया और महावितरण की टीम ने अस्पताल परिसर के विद्युत तारों की जांच-पडताल की. साथ ही सीएस डॉ. दिलीप सौंदले व वैद्यकीय

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