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शिक्षकों के अशैक्षणिक कामों का भार कम करें

राकांपा के रुपेश वालके की मुख्यमंत्री, शालेय शिक्षा मंत्री से मांग

मोर्शी/ दि. 24- स्कूल में भोजन बनाने सहित चुनाव से संबंधित काम, सर्वेक्षण, जानकारी संकलित करना, समय-समय पर आने वाले सरकारी कार्यक्रमों को अमल में लाने आदि अनेक अशैक्षणिक काम शिक्षकों को करने पड़ते हैं. जिसका असर विद्यार्थियों की शैक्षणिक गुणवत्ता पर हो रहा है. जिसके चलते शिक्षकों के अशैक्षणिक कामों का भार कम किया जाए, ऐसी मांग राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के तहसील उपाध्यक्ष रुपेश वालके ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, शालेय शिक्षा मंत्री दीपक केसरकर से की है.
नए शैक्षणिक वर्ष की शुरुआत हो चुकी है. लेकिन विद्यार्थियों को पढ़ाने की बजाय अशैक्षणिक काम शिक्षकों से करवाये जाने से शिक्षकों ने नाराजी व्यक्त की है. एक ओर कोरोना पश्चात विद्यार्थियों को शिक्षा के प्रवाह में लाने का आव्हान है. इसके लिए शासन द्वारा शाला बाह्य बच्चों की खोजबीन की जा रही है. वहीं शाला शुरु होते ही शिक्षकों पर बड़े पैमाने पर अशैक्षणिक कामों का बोझ डाला जा रहा है.
शिक्षा विभाग, डायट, विद्या प्राधिकरण की ओर से चलाये जाने वाले विविध अशैक्षणिक कामों में विद्यार्थियों की ओर दुर्लक्ष हो रहा है. अशैक्षणिक काम के कारण शिक्षकों में संताप व्यक्त है. मतदाता सूची तैयार कनरा, जनगणना, शालेय पोषण आहार, सर्वेक्षण, वृक्षारोपण, शाला का रंगरोगन, विद्यार्थियों के बैंक खाते, आधार कार्ड निकलवाना, पालकों की सभा, शालेय पोषण आहार, शाला व्यवस्थापन समिति की सभा, स्कूल की ऑनलाइन जानकारी भरना, युडायस पर जानकारी भरना, शैक्षणिक रिपोर्ट तैयार करना, छात्रवृत्ति बाबत जानकारी देना, शिक्षा विभाग द्वारा मांगी गई जानकारी देना, शालेय पो,ण आहार का वितरण करना, पोषण आहार दर्ज करना, अनाज संचयन पंजीयन, साहित्य की मांग, शालाबाह्य बच्चों की खोजबीन करना, राष्ट्रीय कामों में मदद करना आदि करीबन 100 से अधिक काम दिये जाने से लाखों विद्यार्थियों का शैक्षणिक नुकसान बड़े पैमाने पर हो रहा है. शिक्षकों को अशैक्षणिक कामों से बाहर निकालकर शासन स्तर के सैकड़ों अशैक्षणिक कामों से शिक्षकों को शीघ्र मुक्त करने की मांग राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के तहसील उपाध्यक्ष रुपेश वालके ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, शालेय शिक्षा मंत्री दीपक केसरकर से की है.

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