अमरावती/दि.26 – क्षय रोग बाबत जनसामान्यों में जनजागृति निर्माण करने की दृष्टि से स्वास्थ्य विभाग की ओर से मायक्रोबायोलॉजी प्रयोगशाला, रेडिओलॉजी सुविधा व टीबी के मरीजों पर उपचार करने वाले विविध पॅथी के सभी अस्पताल, डॉक्टर्स की तहत ही क्षय रोग दवाओं के विक्रेता एवं सभी दवा विक्रेताओं से ऐसे मरीजों का पंजीयन करने का आवाहन जिला क्षयरोग अधिकारी डॉ. ज्योती खडसे ने किया है.
राष्ट्रीय क्षयरोग दूरीकरण कार्यक्रम अंतर्गत निजी क्षेत्र से वैद्यकीय सेवा लेने वाले शहर के मरीजों की स्वास्थ्य विभाग पंजीयन करना अनिवार्य है. इस पंजीयन से प्रत्यक्ष मरीजों का नाम होकर उन पर उपचार करना, क्षयरोग का प्रसार रोकने तथा नियमित उपचार के लिए प्रतिसाद न देने वाले क्षय रोग के बढ़ते प्रसार पर रोक लगाने के लिए मदद मिलेगी. जो प्रयोगशाला डॉक्टर, अस्पताल या दवा विक्रेता क्षय रोगियों का पंजीयन नहीं करेंगे, ऐसी संस्था व्यक्तिशः रोग का प्रसार करने के लिए जिम्मेदार ठहरायी जाने पर कानूनन कार्रवाई के लिए पात्र ठहराई जाएगी. इस कार्रवाई के अनुसार दोषी पाये गए व्यक्ति को कम से कम 6 महीने से 2 वर्ष तक सजा व जुर्माने का प्रावधान है. डॉ. खडसे ने इस बात की ओर संबंधितों से ध्यान देने कहा है.
बीमारी के लक्षण
किसी व्यक्ति को दो सप्ताह से अधिक कालावधि की खांसी, बुखार है. वजन घटा है. भूख नहीं लग रही है. गर्दन पर गांठ आना जैसे कोई भी लक्षण पाये जाने पर संदिग्ध मरीज समझने का आवाहन स्वास्थ्य विभाग की ओर से किया गया है.