अमरावती

नियमित सहजयोग ध्यान अनेक शारीरिक व्याधियों को दूर करने में सक्षम है

अमरावती/ दि. 11-आरोग्यं परमं भाग्यं स्वास्थ्य सर्वार्धसाधनम ॥ परम पूज्य श्री माताजी निर्मला देवी प्रणित सहजयोग में साधक जब शुध्द इच्छाशक्ति जागृत कर इच्छा करता है तो उसे ये पवित्रतम आत्मसाक्षात्कार प्राप्त होता है. उसे अपनी पंच ज्ञानेन्द्रियों द्बारा अपने आत्मनिरीक्षण की दिव्य कला प्राप्त होती है. सहजयोग साधक को सबसे प्रथम चीज आरोग्य प्रदान करता है. संस्कृत में एक लोकोत्ति है ‘आरोग्यम धनसंपदा’ अर्थात निरोगी होना सबसे बडा सुख होता है. सहज योग ध्यान में पारंगत होने पर हम अनेक बीमारियों से सहज ही निजात पा लेते है. हमारे शरीर में स्थित तीन प्रकार के तंत्रिका तंत्र, परानुकंपी अनुकंपी तथा मध्य तंत्रिका तंत्र तथा सात चक्रों पर आधारित है सहजयोग ध्यान से जब हमारा मूलाधार चक्र योनि कि पेल्विक प्लेक्सस शुध्द होकर पोषित होता है हमें कॉन्सटीपेशन, पाइल्स और प्रोस्टेट ग्रंथि से संबंधित सारी बीमारियों से निजात दिलाता है. द्बितीय चक्र स्वाधिष्ठान जब सहज योग ध्यान से पोषित होता है तो हमारी विचारधारा को नियंत्रित करता है, डायबिटिज, दु:ख- चिंता देनेवाले विचारों से छुटकारा दिलाकर हाईब्लड प्रेशर जैसी बीमारियों से राहत दिलाता है. हमारे सभी चक्र शरीर से किसी ने किसी अवयव से संबंधित है, इसलिए जब हम सहजयोग ध्यान करने लगते हैं तो हमें शारीरिक आरोग्य अनायास ही प्राप्त हो जाता है. हमारा सबसे महत्वपूर्ण चक्र है. आज्ञा चक्र क्योंकि ये चक्र हमारे अहंकार को नियंत्रित करता है. हमें अगर शुध्द आत्मज्ञान चाहिए तो हमें हमारे अहंकार व प्रतिअहंकार को परमात्मा के चरणों पर समर्पित करना होगा तब हमें आनंद के साम्राज्य में जाने वाले ये पवित्रम आत्मज्ञान सहज ही प्राप्त हो जायेगा.
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