अमरावती

आशा वर्कर व गुटप्रवर्तक को नियमित करें

न्यूनतम वेतन 26 हजार रूपए प्रतिमाह किया जाए

सीटू की प्रधानमंत्री व स्वास्थ्यमंत्री से मांग
अमरावती-/ दि.12  आशा वर्कर व गुटप्रवर्तक को 45 वें व 46 वें भारतीय श्रम सम्मेलन की सिफारिशों को लागू करते हुए उन्हें नियमित किया जाए, न्यूनतम वेतन 26 हजार रूपए प्रतिमाह किया जाए, के अलावा विभिन्न 17 सूत्रीय मांगों को लेकर सीटू ने जिलाधिकारी के माध्यम से प्रधानमंत्री व केन्द्रीय स्वास्थ्यमंत्री को ज्ञापन भिजवाया.
सीटू ने सौंपे ज्ञापन के माध्यम से अपनी मांग रखते हुए कहा है कि

एनएचएम को सार्वभौमिक अनुप्रयोग और पर्याप्त वित्तीय आवंटन के साथ सरकार का एक स्थायी स्वास्थ्य कार्यक्रम बनाए. आशा वर्कर्स एंड फैसिलिटेटर्स पर 45वें और 46वें भारतीय श्रम सम्मेलन की सिफारिशों को लागू करते हुए आशा वर्कर्स एवं फसीलितटर्स को नियमित किया जाए. न्यूनतम वेतन 26000 प्रति माह किया जाए. ईएसआई, पीएफ, ग्रेच्युटी और पेंशन सहित सभी सामाजिक सुरक्षा लाभ प्रदान किये जायें. पेंशन प्रति माह 10000 रुपये से न हो. लंबित नियमितीकरण, निर्धारित मूल मजदूरी में वृद्धि और उसे उपभोक्ता मूल्य सूचकांक से जोड़ना, आशा के विभिन्न कार्यों के लिए प्रोत्साहन राशियों में तत्काल वृद्धि की जाए. पारिश्रमिक, भत्तों आदि के सभी बकाय का तत्काल भुगतान किया जाए.
पूरे देश में आशा वर्कर्स और फैसिलिटेटर्स के लिए एक समान काम करने की स्थिति सुनिश्चित करें. आंगनबाडी कार्यकर्ताओं एवं सहायिकाओं की अनुग्रह राशि के संबंध में योजना कार्यकर्ताओं पर लागू उच्चतम न्यायालय के निर्णय को तत्काल लागू करें.पेंशन तक सेवानिवृति नहीं, अनुग्रह और अन्य सामाजिक सुरक्षा उपायों का तत्काल क्रियान्वयन किया जाए . सभी आशा कार्यकर्ताओं और फसीलितटर्स को 6 महीने का सवैतनिक मातृत्व अवकाश और अन्य लाभ सुनिश्चित करें आशा कार्यकर्ताओं एवं सहायिकाओं को 20 दिन के सवैतनिक आकस्मिक अवकाश एवं चिकित्सा अवकाश के लिए ठोस नियम बनाएं. स्वास्थ्य विभाग में आशा कार्यकर्ताओं एवं फैसिलिटेटर्स के लिए पदोन्नति नीति बना कर एएनएम की नियुक्ति में कोटा सुनिश्चित किया जाए.
कोविड डयूटी के दौरान मृत सभी आशा कार्यकर्ताओं और फैसिलिटेटर्स के वारिसों को 50 लाख रुपये जीवन बीमा सहित सभी मुआवजे का तत्काल भुगतान, इलाज पर होने वाले खर्च का भुगतान किया जाए. ड्यूटी पर तैनात आशा कार्यकर्ताओं की सुरक्षा सुनिश्चित करें. पॉश एक्ट लागू करें और इसे आशा वर्कर्स और फैसिलिटेटर्स पर लागू करें. सभी पीएचसी/सीएचसी और अस्पतालों में ’आशा के कमरे’ उपलब्ध कराए . ड्यूटी के लिए आशा के लिए यात्रा व्यय का वास्तविक भुगतान करें. यूनिवर्सल हेल्थकेयर के अधिकार के लिए कानून बनाएं. बजट में स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए जीडीपी का 6% आवंटित करें. स्वास्थ्य (अस्पतालों सहित) जैसी सभी बुनियादी सेवाओं के निजीकरण के प्रस्ताव को वापस लिया जाए. राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन (एनडीएचएम) वापस लें। सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों (पीएसई) और सेवाओं का कोई निजीकरण नहीं किया जाए. श्रम संहिता वापस लो। श्रम कानूनों के दायरे में आशा कार्यकताओं और फसीलितटर्स को शामिल किया जाए.
ज्ञापन सौंपते समय अनिता जगताप, पदमा मोहोड, उर्मिला ठवकर, वर्षा मोहोड, ज्योति पोते, कल्पना टावरे, राधा मानरे, रिता गुल्हाने, मंदा गुल्हाने, संगीता सरदार, वीना गवई, संपदा कुलकर्णी, प्रीति मेश्राम, सिंधु वंजारी, माया वानखडे, वैशाली उईके, अर्चना मानकर, वनिता राठोड, सजना इंगोले, सोनाली गेडाम, रत्नप्रभा पंचाले, सुषमा नेतनराव, उषा गुलवाडे, ललिता रताले, मंगला बोरकर, नलिनी मेश्राम, मनिषा मसरे, रेश्मा भोंगाडे, पूजा स्वर्गे, प्रीति मेश्राम, मनोरजा जुनघरे, सारिका वानखडे, वर्षा डवरे, रंजना वानखडे, कल्पना मोंढे, रूपाली नोंढे, अनिता चवरे, प्रीति पंत, नीता करूले, शुभांगी गोमेकर, रीना बनकर, वैशाली बनकर, मंगला रत्नपारखे, ज्योत्सना मोहोड, सारिका खरे, नलु इंगोले, वनिता देवरे, अस्मिता तायडे, सपना गवई, सरिता आत्राम, करूणा कठाणे, निकिता दुर्योधन, वंदना रौराले, लीना गवई, वनिता वानखडे, लक्ष्मी नागदेवते, ज्योती नालड, उज्वला इंगोले, वर्षा वानखडे आदि उपस्थित थे.

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