परतवाड़ा/मेलघाट/दी.२३ – व्याघ्र प्रकल्प के अतिसंरक्षित क्षेत्र में बाधा बन रहे चिखलदरा तहसील की आमझरी ग्रामपंचायत का मेमना गावं अपने पुनर्वसन के बाद अनेक समस्याओं के जालमें जकड़ा हुआ नजर आ रहा है.सन 2018 में मेमना का पुनर्वसन अचलपुर तहसील के धामनगावं गढ़ी के पास धामनी ग्राम के बगल में किया गया.तत्कालीन व्याघ्र प्रकल्प अधिकारियों ने मेमनावासियो को रंगीन सपने दिखाकर और उनकी प्रत्येक आवश्यकता को स्वीकार कर उन्हें धामनी के पास पुनर्वसित किया था.आज मेमना की स्थिति अत्यंत ही विदारक है.गावं के लोगो को अपनी मूलभूत सुविधाओं के लिए शासन-प्रशासन के दरबार मे चक्कर पर चक्कर लगाने पड़ रहे है.जरूरत की सुविधाओं के साथ ही किसी व्यक्ति के अंतिम क्रियाकर्म की भी व्यवस्था गावं में नही है.
2018 में टाइगर रिजर्व के माध्यम से अचलपुर तहसील के धामनी के पास मेमना को बसाये जाने की घोषणा की गई.इसके लिए ग्रामवासियों को सब्जबाग दिखाए गए.उन्हें बेहतरीन जीवनमान का यकीन दिलाया गया.शहर के निकट बसने के बाद हमारी भी उन्नति होंगी.बच्चो को उच्चशिक्षा की संधि प्राप्त होंगी.रहनसहन का स्तर सुधरेगा इस आशा के साथ ग्रामीणों ने उक्त पुनर्वास को अपनी सहमति प्रदान की थी.लेकिन आज गावं में पेयजल का ही अकाल है.पीने के पानी के लिए लोगो को भटकना पड़ रहा है.इसके लिए गावं के लोगो ने स्वखर्च से दो बोरवेल तैयार कर अस्थायी रूप से पानी की समस्या दूर की.अभी भी गावं में पानी की समस्या बनी हुई है.पेयजल के लिए एक बोरवेल की आवश्यकता है.गावं के लोग सरकारी दफ्तरों में आवेदन करके थक चुके है,किंतु कोई सुनवाई नही हो रही है.लोगो की चप्पले कार्यालयों के चक्कर मारतेहुए घिस चुकी है.मूल मेमना गावं की जिला परिषद पाठशाला को यहां स्थानांतरित नही किये जाने से विद्यार्थियों की पढ़ाई-लिखाई का नुकसान हो रहा है.गावं में आज भी आंगनवाड़ी केंद्र नही है.एक झोपड़ी में बच्चों को बिठाया जाता है.यह झोपड़ी ही धोखादायक है.यहां कभी भी अनहोनी हो सकती है.गावं में भीतरी मार्ग और दूषित जल निकासी की कोई व्यवस्था आज तक नही की गई.यहां के लोगो को रोजगार गारंटी योजना अंतर्गत कोई भी काम उपलब्ध नही करवाया जा रहा है.पुनर्वसन के नाम पर मेमनावासियो को नर्कयातना देने का काम प्रशासन कर रहा है.
-मरने के बाद अंतिम संस्कार कहां करे-:
मेमना का पुनर्वसन 2018 में किया गया.पूर्व में हमारे गावं में हमारे अधिकार की श्मशान भूमि थी.यहां शासन ने श्मशान की कोई व्यवस्था नही की है.इस कारण निधन हो चुके गावं के नानू तुमला बेलसरे,नरेश साबुलाल कासदेकर,फुलकाये तानु कासदेकर, सुरेश गणेश जाम्बेकर आदि का अंतिम संस्कार पुराने विस्थापित मेमना में पैदल जाकर करना पड़ा था.अब हम लोगो को मरना भी दूभर हो गया है.
-मन्नू भाकलु बेलसरे,उपाध्यक्ष, पुनर्वसन समिति मेमना
-खेत के पेड़ों का मुआवजा नही मिला है-:वनविभाग ने पुनर्वसन करते समय चार लाख रुपये प्रति एकड़ कृषिभूमि का मुआवजा दिया है, लेकिन हमने अत्यंत परिश्रम से बच्चों के समान पोषित किये पेड़ो का कोई भी मुआवजा आज तक नही मिला है.अधिकारी सिर्फ टालमटोल के जवाब देते है.
-बाबूलाल मतीन कासदेकर,अध्यक्ष,पुनर्वसन समिति मेमना
-गावं में रोजगार नही होने से स्थानांतरण -:पहले हमारे गावं में महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना अंतर्गत विभिन्न विकास कार्य किये जाते थे.तब लोगो को गावं और आसपास के परिसर में ही काम प्राप्त होता था.रोजगार मिलने से उदरनिर्वाह में कोई दिक्कत नही थी.चिखलदरा में सैलानियों के काम करके भी चार पैसे कमालिए जाते थे.खेती के काम करके भी परिवार का गुजारा हो जाता था.अब गावं में कोई रोजगार नही होने से हम पर कामधंधे के लिए स्थानांतरण की नौबत आ चुकी है.
-सतीश बेलसरे,मजदूर पुनर्वसित मेमना