अमरावती

ग्राहक को ब्याज के साथ भरपाई

झाम बिल्डर्स एण्ड डेवलपर्स को ग्राहक शिकायत निवारण के आदेश

अमरावती/दि.21 – करार भंग करने के एक मामले में जिला ग्राहक शिकायत निवारण आयोग ने शिकायतकर्ता ग्राहक को करार अंतर्गत दी गई रकम प्राप्त तारीख से प्रत्येक्ष अदा करने की तारीख तक 18 प्रतिशत ब्याज समेत वापस लौटाने के आदेश झाम बिल्डर्स एण्ड डेवलपर्स को दिये है. इसी तरह इस मामले में हुई शारीरिक व मानसिक परेशाने की नुकसान भरपाई 15 हजार रुपए व शिकायत का खर्ज 10 हजार रुपए अदा करे, ऐसा भी आदेश में कहा गया है.
इस मामले की शिकायतकर्ता स्नेहलता, आशिष गुप्ता उस महिला ग्राहक ने झाम बिल्डर्स एण्ड डेवलपर्स हिंगणा तहसील के मौजा वाघदरा में कन्हैया सिटी अंतर्गत योजना में रो-हाऊस खरीदने का तय किया. इसके कारण गुप्ता ने कन्हैेया सिटी-2 में 585 चौरस फीट का रो-हाऊस खरीदने का करार झाम बिल्डर्स के साथ 30 नवंबर 2010 को किया. करीब 10 लाख 51 हजार रुपए में यह करार किया गया. इस करार के अंतर्गत शुरुआत में स्नेहलता गुप्ता की 27 सितंबर 2010 से 12 दिसंबर 2010 इस समयावधि में झाम बिल्डर्स को 1 लाख 76 हजार रुपए वक्त वक्त पर दिये और बकाया रकम करार के अनुसार वक्त-वक्त पर निर्माण कार्य के विभिन्न चरणों में देने का निश्चित किया गया.
इस बीच झाम बिल्डर्स ने करार के अनुसार रकम ली, परंतु नियोजित समयावधि में निर्माण कार्य शुरु नहीं किया. इस बारे में गुप्ता ने झाम बिल्डर्स के कार्यालय में पूछताछ की.मगर उन्हें उचित जवाब नहीं मिला. इसके कारण गुप्ता ने ग्राहक आयोग की ओर शिकायत की. झाम को नोटीस दिया गया. परंतु नोटीस का जवाब न देने के कारण करार अंतर्गत बकाया 8 लाख 75 रुपए स्वीकारते हुए रो-हाऊस क्रमांक 309 का बिक्री पत्र कर कब्जा दे या ऐसा करने में असमर्थ हो तो फिलहाल बाजार भाव के अनुसार दी गई रकम ब्याज समेत वापस करे, ऐसी मांग की गई थी.
ग्राहक आयोग ने नोटीस देने के बाद झाम बिल्डर्स ने इस शिकायत पर आक्षेप लिया. गुप्ता ने कभी भी बिक्री पत्र बनाकर देने की मांग नहीं की. इसी तरह शिकायतकर्ता ने कभी भी तय करार के अनुसार रकम नहीं दी, ऐसा भी झाम ने आयोग को सौंपे लिखित जवाब में बताया.इस वजह से यह शिकायत खारीज करे, ऐसी मांग की गई. इस मामले में सुनवाई के दौरान शिकायतकर्ता के वकील की दलीले सुनी गई. मगर झाम को अपनी बाजू रखने का अवसर देने के बाद भी उनकी ओर से मौखिक दलीले नहीं की गई. इस वजह से आयोग के अध्यक्ष संजय पाटील, सदस्य स्मिता चांदेकर और अविनाश प्रभूणे ने ग्राहक के हीत में आदेश दिये. इस आदेश में शिकायतकर्ता की शिकायत अंशत: मंजूर की गई. इसी तरह शिकायतकर्ता की ओर से ली गई 1 लाख 76 हजार की रकम 30 नवंबर 2010 से प्रत्येक्ष रकम वापस करने तक 18 हजार प्रतिशत ब्याज समेत वापस देने के आदेश, इसी तरह शिकायतकर्ता को हुई शारीरिक व मानसिक तौर पर नुकसान के लिए 15 हजार रुपए व शिकायत खर्च के रुप में 10 हजार रुपए अदा करने के आदेश दिये गए.

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