अमरावती/दि.1– ससुराल वालो ने जबरदस्ती नजरकैद में रखे पत्नी को न्यायालय में प्रत्यक्ष हाजिर करने की मांग को लेकर पति ने मुंबई अच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ में गुहार लगाते हुए बंदी प्रत्यक्षीकरण की याचिका दायर की थी. सुनवाई के दौरान पत्नी ने पति के साथ रहने की इच्छा व्यक्त की. न्यायालय ने पत्नी की इच्छा का सम्मान करते हुए उसे पति के साथ जाने की अनुमति दी. साथ ही विरोध करनेवाले ससुरालियों से बचने इस दंपति को पुलिस सुरक्षा प्रदान करने के निर्देश भी दिए. न्यायालय के इस आदेश के कारण प्रेमविवाह करनेवाले नवदंपति को बडी राहत मिली है.
याचिका के मुताबिक इस युवक के अपने ही इलाके में रहनेवाली एक युवती के साथ प्रेमसंबंध थे. दोनों विवाह करनेवाले थे. लेकिन जाति अलग रहने से युवती के परिजनों की यह रिश्ता मंजूर नहीं था. इस कारण युवती ने अपने प्यार की खातिर घर छोड दिया. 24 जून 2023 को दोनों ने आलंदी में इंटरनेशनल मैरेज ब्यूरो में विवाह कर लिया. विवाह के बाद युवती के परिजनों द्वारा दोनों पर लगातार दबाव डाला जा रहा था. इस कारण इस नवदंपति ने अकोला पुलिस से सुरक्षा की मांग की. लेकिन पुलिस ने इस दंपति की कोई बात न सुनते हुए युवती के घरवालो को इसकी जानकारी दे दी. तब युवती के परिवार के सदस्य पुलिस स्टेशन आ पहुंचे और पति से मारपीट कर बेटी को जबरदस्ती अपने साथ लेकर चले गए. याचिकाकर्ता ने इस घटना की जिला पुलिस अधीक्षक के पास भी शिकायत की. लेकिन उसे किसी भी तरह की सहायता नहीं की गई. इस कारण पति ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर पत्नी को अदालत में पेश करने की मांग पति ने की. इस प्रकरण में न्या. विनय जोशी और न्या. वाल्मिकी मेनेझेज के समक्ष सुनवाई हुई. न्यायालय ने अकोला पुलिस को संबंधित युवती को अदालत में पेश करने के निर्देश दिए. पुलिस ने जब युवती को न्यायालय में पेश किया तब पिता और मामा उसे जबरदस्ती घर ले गए, ऐसा युवती ने कहा और पति के साथ रहने की इच्छा व्यक्त की. न्यायालय ने युवती की बात सुनते हुए उसे पति के साथ जाने के निर्देश दिए. याचिकाकर्ता की तरफ से एड. मतीन देशमुख ने काम संभाला. एड. धीरज कनवाडे ने उन्हें सहयोग दिया.