अमरावती/दि.28 – इन दिनों हर कोरोना संक्रमित मरीज और उसके रिश्तेदार चाहते है कि, अस्पतालों द्वारा इलाज करते समय मरीज को रेमडेसिविर का इंजेक्शन लगाया जायें, किंतु हकीकत यह है कि, कोरोना की संक्रामक महामारी पर रेमडेसिविर कोई रामबाण इलाज या प्रभावी दवाई नहीं है. इसकी बजाय योग्य प्रमाण में स्टेराईड, ऑक्सिजन के व्यवस्थापन व दवाईयों के नियोजन से कोविड संक्रमण पर मात करना संभव है. ऐसे में इस इंजेक्शन को लेकर की जानेवाली दौडभाग को बंद करने का आवाहन स्वास्थ्य विशेषज्ञों द्वारा किया गया है.
बता दें कि, यदि कोई व्यक्ति कोविड संक्रमित पाया जाता है, तो उसके रिश्तेदारों द्वारा सबसे पहले रेमडेसिविर इंजेक्शन व ऑक्सिजन बेड प्राप्त करने हेतु दौडभाग शुरू कर दी जाती है. किंतु रेमडेसिविर इंजेक्शन इस बीमारी पर एकमात्र रामबाण इलाज नहीं है. बल्कि शुरूआती दौर में जब इस बीमारी का कोई इलाज उपलब्ध और ज्ञात नहीं था, तब प्रायोगिक तौर पर रेमडेसिविर इंजेक्शन का प्रयोग करना शुरू किया गया था. इस आशय की जानकारी देने के साथ ही स्वास्थ्य विशेषज्ञों द्वारा बताया गया कि, हकीकत में संक्रमण की चपेट में आने के चार से पांच दिन बाद मरीज अस्पताल में जाकर भरती होता है और रेमडेसिविर का इंजेक्शन संक्रमित होने के बाद पहले आठ दिनों में ही फायदेमंद होता है. इसके अलावा गंभीर व अतिगंभीर स्थितिवाले मरीजोें पर इसका कोई असर नहीं होता. साथ ही जिन लोगों के एचआरसीटी का स्कोर 9 से अधिक है, उनके लिए भी रेमडेसिविर का इंजेक्शन कतई उपयोगी नहीं है. किंतु इसके बावजूद मरीज के रिश्तेदारों द्वारा डाले जानेवाले दबाव की वजह से कई बार डॉक्टरों द्वारा इस इंजेक्शन का मरीज के इलाज हेतु प्रयोग में लाया जाता है, जो पूरी तरह से गलत है. इसमें से कई मरीजों पर इस इंजेक्शन का कोई असर नहीं होगा. यह पता रहने के बावजूद भी इस इंजेक्शन का प्रयोग किया जाता है. जिसके लिए नाहक ही हजारों रूपये खर्च करते हुए मानसिक तकलीफों का भी सामना करना पडता है. ऐसे में जहां एक ओर इस इंजेक्शन की मांग बेवजह बढ गयी है, वहीं दूसरी ओर यह इंजेक्शन जरूरतमंदों को समय पर नहीं मिल पा रहा. ऐसे में यह बेहद जरूरी हो चला है कि, रेमडेसिविर इंजेक्शन की नाहक जिद करने की बजाय इससे संबंधित निर्णय कोविड संक्रमितों का इलाज करनेवाले डॉक्टरों पर छोड दिया जाये.
बिना रेमडेसिविर के भी ठीक होते है मरीज
इस समय पूरी दुनिया में कोविड संक्रमण के इलाज को खोजने हेतु संशोधन किया जा रहा है, और अब तक एक भी संशोधन में यह बात साबित नहीं हो पायी है कि, रेमडेसिविर का प्रयोग कोविड के इलाज में प्रभावी है. अन्य दवाईयों की तरह ही यह भी एक दवाई है और इसके बिना भी कोविड संक्रमित मरीज ठीक होते है. ऐसे में रेमडेसिविर के लिए नाहक दौडभाग व जिद करने की बिल्कुल भी जरूरत नहीें है, ऐसा स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है.
- कोविड संक्रमित मरीज को रेमडेसिविर इंजेक्शन ही लगाया जाये, ऐसी जिद मरीज के रिश्तेदारों द्वारा नहीं की जानी चाहिए, क्योंकि अन्य दवाईयों का प्रयोग करते हुए भी मरीजों को ठीक किया जा रहा है. अत: औषधोपचार का फैसला डॉक्टरों पर र्छोडना बेहतर है, ताकि हकीकत में जरूरत रहनेवाले मरीजों को समय पर रेमडेसिविर का इंजेक्शन उपलब्ध हो सके.
– डॉ. दिलीप रणमले
जिला स्वास्थ्य अधिकारी - कोरोना की बीमारी पर रेमडेसिविर इंजेक्शन प्रभावी है अथवा नहीं, इसे लेकर काफी संशोधन हो चुके है और अब तक एक भी संशोधन में यह साबित नहीं हुआ है कि, रेमडेसिविर इंजेक्शन कोविड संक्रमण के इलाज में पूरी तरह से प्रभावी है. ऐसे में मरीज को रेमडेसिविर का ही इंजेक्शन लगाया जाये, ऐसी जिद मरीज के रिश्तेदारों द्वारा नहीं की जानी चाहिए, बल्कि मरीज का इलाज किस पध्दति और दवाई से हो, इसका फैसला डॉक्टरों पर छोडा जाना चाहिए.
– डॉ. पद्माकर सोमवंशी
संचालक, पीडीएमसी