अमरावती प्रतिनिधि/दि.२५- राज्य के 1 करोड आदिवासियों पर आरक्षण को लेकर घटनाबाह्य अन्याय किया जा रहा है. यह अन्याय दूर करने की मांग को लेकर आज आदिवासी कोली महासंघ की ओर से जिलाधिकारी को निवेदन दिया गया.
निवेदन में बताया गया है कि राज्य में 1 करोड 30 लाख अनुसूचित जनजाति की संख्या है. इनमें से 1 करोड अनुसूचित जाति/ जनजाति सुधारना अधिनियम 1976 के बाद तथा 30 लाख जनजाति 1950 से आरक्षण के लिए पात्र साबित हुए. इस 1 करोड में कोली महादेव, कोली मल्हार, टोकरे कोली, ढोर कोली, डोंगर कोली, हलबा, माना, गोवारी, मन्नेवार, ठाकुर आदि समावेश है और वे सभी राज्य के अनेक जिले में रहते है. जिन्होंने 1950 से आरक्षण का लाभ लिया है. उनको 1976 के बाद के 1 करोड फर्जी दिखाई दे रहे है. जाति प्रमाण पत्र व वैलिडीटी प्रमाण पत्र देते समय आदिवासी सलाहकार समिति, आदिवासी संशोधन व प्रशिक्षण केंद्र पुणे तथा जाति प्रमाण पत्र जांच समिति की ओर से जांच किये जाते है, लेकिन यह विभाग नियमबाह्य और घटनाबाह्य काम करते हुये 1 करोड आदिवासियों के आरक्षण को लेकर अधिकार को टाल रहे है. जिससे उनपर अन्याय हा रहा है. 1976 से पूर्व व बाद के आदिवासी जनसंख्या को ग्राह्य मानकर 1976 पूर्व अ समूह व बाद में ब समूह बटवारा कर उनको 3 फीसदी व 4.05 फीसदी अनुसूचित जनजाति का आरक्षण दिया जाए, वहीं जीआर निकाला गया था वह रद्द कर जिन कर्मचारियों को सेवा से कम कर दिया गया था, उनकों तत्काल सेवा में शामिल करने की मांग की गई है. निवेदन सौंपते समय एकनाथ जुवार, बद्रिनाथ भोपसे, भास्कर कोलटेके, गजानन कासमपुरे, गणेशराव बोपटे, नंदकिशोर रायबोले, मनोहर बुध, अशोक डोंगरे, उमेश चुनकिकर, अशोक मानकर, वंदना जामनेकर, अंजली दोलवाडे आदि मौजूद थे.