अमरावती

विवाह एक संस्कार है

कथावाचक नरेशभाई राज्यगुरु का प्रतिपादन

बुधवार को भक्तिधाम मंदिर में शिवकथा पूराण का चौथा दिन

अमरावती -/दि.25 बडनेरा रोड पर स्थित भक्तिधाम मंदिर में पिछले 3 दिनों से शिवपुराण कथा चल रही है. कथावाचक नरेशभाई राज्यगुरु अपनी ओझस्वी वाणी में शिवपुराण कथा का पठन कर रहे है. बुधवार को चौथे दिन श्री नरेशभाई राज्यगुरु ने शिव विवाह के साथ वैराग्य कथा सुनाई. उन्होंने बताया कि, पुराणों मेें विवाह को संस्कार बताया है. प्रतिकार तो होता है ‘पाती इति पति’ जो परिवार का रक्षण करें, पति का एक नाम भरता भी है. भरता का मतलब जो परिवार का पालन-पोषण करें. कथावाचक राज्यगुरु ने बताया कि, एक बार संध्या काल के समय जब शिव-पार्वती विचरण करने निकले, तो भरतृहरी मसान में खिचडी खा रहा था. जिसे देखकर पार्वती ने शिवजी से कहा कि, महाराज देखों यह इतना बडा राजा है फिर भी इसका वैराग्य कितना ढृढ है, राजा होने के बाद भी यहां मसान में वैराग्य से जीवन जी रहा है.
महादेवजी ने कहा देवी आप निर्णय देने मेें बहुत उतावली हो रही हो, थोडा धैर्य रखों. कुछ दिनों तक उन्होने भरतृहरी पर नजर बनाये रखी. एक दिन महादेवजी ने पार्वती से कहा, चलों हम उसकी परीक्षा लेते है. संध्या काल में वे स्वयं पार्वतीजी के साथ भिक्षु के रुप में परीक्षा लेने निकले. जब वे मसान मेें आये, तब भरतृहरी खिचडी पका रहे थे. भिक्षु के रुप में आकर उन्होंने आवाज लगाई भिक्षाम देही हमे भोजन कराईए. भिक्षुओं को अपने द्बार पर देखकर भरतृहरी बोला भोजन खिलाने में कौनसी बडी बात है. मैने इतना बडा राज्य छोडा है. खिचडी छोड दूंगा, तो इसमें कौनसी बडी बात हो जाएगी, लो आप दोनों प्रेम से खिचडी खाओं, मैं आज पानी पिकर रात गुजार लूंगा. जब भरतृहरी पानी पीने गया, तो शिव-पार्वती पुन: कहा कि, महाराज आपने खिचडी तो खिलाई पर पानी नहीं पिलाओंगे. भरतृहरी ने फिर दोहराया इतना बडा राज्य छोडा पानी कौनसी बडी बात है.
इस पर शिवजी बोले देवी आपने नोट किया पार्वती बोली क्या महाराज? शिवजी ने कहा यही की इसके मन में अभी भी वह कीडा है कि, उसने इतना बडा राज्य छोडा, ऐसा वैराग्य परिपक्व नहीं है. देवी यह अर्ध्यपरिपक्व वैराग्य है. सिद्धांथ कहते है कि, कालीकाल में पूर्ण वैराग्य जीवन जिना कठीन है, लेकिन वैराग्य के दर्शन करने हो, तो उसे देखों जो महादेवजी के रुप में होने के बाद भी उसका उपयोग ना करें, सुख के साधन होने पर भी उसका उपयोग न करें, वो वैराग्यी है. आज का यह वैराग्य दर्शन ज्ञान और भक्ति का दिव्य दर्शन है, जो शिव और सती के बीच में हो रहा है. ग्रहस्थाश्रम में सत्संग होना ही चाहिए. अपने बच्चों को रामायण की चौपाईयां, गीता के श्लोक पढाए. भक्तिधाम मंदिर में बुधवार को चौथे दिन भी कथा सुनने वालों की भारी भीड उमडी. इस दिन कथा शिव-पार्वती विवाह पर आधारित थी. कथा की यजमान प्रभाबेन कारिया परिवार नागपुर थे. सुबह की दैनिक पूजा के यजमान अमृतभाई पटेल परिवार रहे.

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