बढते बिजली बिल के विरोध में जिलाधीश को निवेदन
बकाया बिजली बिल माफ करे, बहुजन मुक्ति मोर्चा की मांग
अमरावती/प्रतिनिधि दि.६ – क्या महाराष्ट्र में मुक्त बिजली देने का नारा देकर अलग अलग सरकारें सत्ता में आयी, लेकिन सत्ता में आने के बाद बढते बिजली बिल तथा बिजली बिल माफी के संदर्भ में किसी भी सरकार ने निर्णय नहीं लिया. इसके साथ ही लोडशेडिंग के संदर्भ में किसी भी सरकार ने अभी तक बयान नहीं दिया. इससे उलटा महाराष्ट्र में कांग्रेस, भाजपा और अब महाविकास आघाडी की सरकार बनी है. इस सरकार ने सामान्य विद्युत ग्राहकों की बडी मात्रा में लूट सत्ता में आने के बाद की है. बिजली बनानेे के लिए प्रति यूनिट 63 पैसे खर्च आता है. बिजली बनाते समय जो बिजली लॉस होती है. वह प्रति यूनिट 33 पैसे रहती है. नफा और अन्य बाते पकडकर ग्राहक को 1.93 पैसे प्रति यूनिट बिजली देनी चाहिए, इसमें मीटर अधिभार शामिल किया तो यह रकम लगभग 2.93 रुपए होती है, लेकिन महावितरण कंपनी व्दारा 100 यूनिट तक 5.34 पैसे और 300 से 500 यूनिट तक 9.82 पैसे और 500 से 1000 यूनिट तक 10 रुपए युनिट बिल वसूला जाता है.21 अक्तूबर 2016 में विद्युत शुल्क शासन अधिसूचना कानून पास हुआ और 24 अप्रैल 2020 से महाराष्ट्र में आनीबानी जैसी निर्माण हुई है.
इस बढते बिजली बिल के विरोध में और राज्य सरकार व्दारा बकाया बिल माफ कर नया बिजली बिल उचित तरीके से लगाने की मांग के लिए बहुजन मुक्ति मोर्चा युवा आघाडी व बहुजन मुक्ति पार्टी महिला आघाडी की ओर से आज जिलाधिकारी को निवेदन सोैंपा गया है. जिसमें 200 यूनिट तक का बिजली बिल माफ करने, मीटर अधिभार कम करने, बिजली के स्थिर आकार पर प्राथमिक भाव के अनुसार दर लगाने तथा सख्ती की बिजली बिल वसूली तत्काल रोकने की मांग की गई. निवेदन सौंपते समय प्रफुल्ल गवई, अमित लांजेवार, अनिल मेश्राम, सचिन मोहोड, एड.सुनील डोंगरदिवे, विवेक कडू, सागर भगत, राहुल मोहोड, छत्रपति कटकतलवारे, रंजिता पाटील, स्वाती नरखेडे, रेणुका कटकतलवारे, सुषमा कांबले, मंगेश वानखडे, चंद्रप्रकाश खंडारे, अक्षय माहुरे, सूरज भोरजाड, आनंद ढोकणे आदि उपस्थित थे.
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एमपीएससी व अन्य सभी स्पर्धा परीक्षा जल्द ले
पुणे स्थित स्वप्नील लोणकर नामक विद्यार्थी ने एमपीएससी पूर्व व मुख्य परीक्षा 2019 में उत्तीर्ण की थी. किंतु उसे नौकरी पर ज्वाईंन करने के लिए आवश्यक इंटरव्यू पिछले ढाई वर्ष से प्रलंबित थे. घर की आर्थिक स्थिति काफी कमजोर और उसमें शिक्षा के लिए निकाला हुआ कर्ज व बेरोजगारी से त्रस्त होकर स्वप्नील ने आखिर आत्महत्या की. स्वप्नील लोणकर के परिवार को सरकार के माध्यम से तत्काल आर्थिक मदत देने तथा परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने एमपीएससी व अन्य सभी स्पर्धा परीक्षा जल्द लेने तथा अन्य शासकीय रिक्त पदों की भर्ती जल्द से जल्द शुरु करने की मांग के लिए भारतीय विद्यार्थी सेना ने आज जिलाधिकारी को निवेदन सौंपा.