* आधे घंटे तक शावक ने दौडाया
अमरावती/दि. 26– मां से बिछडे तेंदूए के शावक को रेस्क्यू कर पिंजरे में कैद करने में अमरावती वन विभाग के दल को सफलता मिली है. मंगलवार 24 दिसंबर को दोपहर 1 से डेढ बजे के दौरान विद्यापीठ परिसर के गेस्ट हाऊस के पीछे वन विभाग का यह रेस्क्यू ऑपरेशन चला. इस तेंदूए शावक को उसके नैसर्गिक अधिवास में छोडा जानेवाला है.
संत गाडगेबाबा अमरावती विद्यापीठ का पीछे का परिसर जंगल से घिरा हुआ है. इस परिसर में तालाब भी है. इस कारण जंगल के वन्य प्राणी अनेक बार विद्यापीठ परिसर में घूस जाते है. मंगलवार को सुबह विद्यापीठ के सुरक्षा रक्षक अपनी ड्यूटी कर रहे थे तब उन्हें विद्यापीठ के सबसे अंतिम भाग में स्थित युजीसी-एमएमटीआईसी गेस्ट हाऊस के तार के कंपाऊंड के भीतर तेंदूए का एक शावस दीवार पर बैठा दिखाई दिया. सुरक्षा रक्षकों ने यह जानकारी विद्यापीठ के प्रशासकीय अधिकारियों को दी. पश्चात इस घटना की जानकारी अमरावती वन विभाग के रेस्क्यू दल को दी गई. इस जानकारी के आधार पर अमरावती वन विभाग के उपवनसंरक्षक धैर्यशील पाटिल के मार्गदर्शन में वनरक्षक अमोल गावनेर व वन मजदूर सहित वन्य प्रेमी सावंत देशमुख, जयंत वडदकर का दल तत्काल विद्यापीठ पहुंचा. उस समय तेंदूआ गेस्ट हाऊस इमारत के पीछे स्थित दीवार पर बैठा दिखाई दिया. पश्चात रेस्क्यू दल ने तेंदूए के शावक को फिजिकल रेस्क्यू करने का निर्णय लिया. पश्चात आधे घंटे के रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद तेंदूए के शावक को पिंजरे में कैद करने में सफलता मिली. इस तेंदूए के शावक को वडाली वनपरिक्षेत्र में रखा गया था. पश्चात उसे नैसर्गिक अधिवास में छोड दिया गया.
* तार कंपाउंड के कारण शावक अटका
विद्यापीठ के गेस्ट हाऊस परिसर के पीछे तालाब है. इस परिसर से तेंदूए के पीछे उसके 7 से 8 माह का मादा शावक शाम को गेस्ट हाऊस परिसर में घुसा. पश्चात तेंदूआ वहां से चला गया और शावक वहीं रुक गया. परिसर में तार का कंपाउंड रहने से तेंदूए के शावक को बाहर निकलते नहीं आया. इस कारण वह उसी परिसर में अटकने की संभावना व्यक्त की जा रही है.
* तार के कारण शावक नहीं जा सका बाहर
7 से 8 माह के तेंदूए का शावक शाम को मां के साथ भीतर घुसा होगा. पश्चात उसकी मां चली गई और वह तार के कंपाउंड के भीतर ही रहा होगा. शावक तार के कारण बाहर नहीं जा सका. सुबह सुरक्षा रक्षक को शावक भीतर दिखाई दिया. उन्होंने वन विभाग को जानकारी दी. दोपहर 1.30 बजे फिजिकली रेस्क्यू कर शावक को पिंजरे में कैद किया गया. उसे नैसर्गिक अधिवास में छोडा जाएगा.
– अमोल गावनेर, वनरक्षक.