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रेस्क्यू टीम ने तीन दिन में 34 बंदरों को दिया जीवनदान

दो बंदरों की सर्पदंश से मौत

जलाशय के पेड पर फंसे बंदरों के झुंड को मिला छुटकारा

अमरावती/ दि.19 – दर्यापुर तहसील के सामदा काशीपुर स्थित जलाशय के मध्य में इमली के पेड पर फंसे हुए बंदरों के झुंड को जिला आपदा व्यवस्थापन की रेस्क्यू टीम ने खबर मिलते ही वहां पहुंचकर नाव की सहायता से इन बंदरों को रिहा किया. तीन दिन तक चले अथक प्रयास और रेस्क्यू ऑपरेशन के बल पर 34 बंदरों को बाढ के पानी से सही सलामत बाहर निकालकर उन्हें जीवनदान दिया गया हैं. इसमें बंदरों के छोटे बच्चों का भी समावेश था. इस कार्रवाई से वन्य प्राणियों को बचाने वाले बचाव दल की सभी ओर प्रशंसा हो रही है. अभी भी छह बंदर बाढ में फंसे है और दो बंदरों की सर्पदंश से मौत हुई है. बाढ में फंसे शेष बंदरों को बचाव दल व्दारा बाहर निकालने का प्रयास हो रहा है. जिला आपदा व्यवस्थापन प्राधिकरण के अध्यक्ष तथा जिलाधिकारी पवनीत कौर के निर्देश पर वन्य प्राणियों को रिहा करने के लिए शोध व बचाव दल को भेजा गया है. राज्य आरक्षित पुलिस बल के समादेश हर्ष पोद्दार, उपवन संरक्षक चंद्रशेखर बाला, निवासी उपजिलाधिकारी डॉ.नितीन व्यवहारे, सहायक वन संरक्षक ज्योती पवार, वन परिक्षेत्र अधिकारी प्रदीप भड, जिला आपदा व्यवस्थापन अधिकारी सुरेंद्र रामेकर, पुलिस निरीक्षक मारोती निवारे के नेतृत्व में 15 जुलाई को सुबह 9 बजे रेस्क्यू टीम पहुंची. इस बचाव दल में हेमंत सरकटे, कौस्तुभ वैद्य, भूषण वैद्य, उदय मोरे, गौरव जगताप, हिरालाल पवार, आकाश निमकर, अर्जन सुंदरडे, पंकज येवले, राजेंद्र शहाकार, प्रफुल्ल भुसारी, अजय आसोले, चालक गजानन मुुंडे व पुरुषोत्तम पुराम आदि का समावेश था. दर्यापुर तहसील में रविवार 11 जुलाई को अतिवृष्टि हुई थी. जिससे सामदा काशीपुर समीप के जलाशय में जलस्तर बढ गया था. इस जलाशय के मध्य में इमले के पेड पर 30 से 40 बंदरों की झुंड फंसी पडी थी. जलाशय का पानी बढने से बंदरों को पांच दिन से वहां से निकलते नहीं आ रहा था. उनकी ओर किसी का ध्यान नहीं गया. सोमवार को जलाशय के पास में रहने वाले खेत में काम करने वाले मजदूरों को इमली के पेड पर बंदरों की गतिविधियां दिखाई दी. उन्होंने संबंधित तहसीलदार योगेश देशमुख को यह बात बताई. तहसीलदार ने यह जानकारी जिलाधिकारी कार्यालय को दी. वन्य प्राणी पेड पर फंसे रहने की खबर मिलते ही जिलाधिकारी कार्यालय का आपदा व्यवस्थापन दल वहां पहुंचा. इस टीम के साथ वन विभाग के अधिकारी व कर्मचारी वहां पहुंचे थे. जिस पेड पर बंदर फंसे थे उस पेड को चारों ओर से घेर लिया था. पेड किनारे से लगभग 2 किलोमीटर दूरी पर था. बचाव दल के सदस्य बोट के सहारे पेड तक पहुंचे. पिछले तीन दिनों से बंदर भूखे बैठे थे. इस कारण रेस्क्यू टीम ने उन्हें फल बिस्कीट और केले खिलाए. रेस्क्यू टीम ने फलों का आमिष दिखाकर बंदरों को अपनी बोट में लिया और किनारे पर लाकर छोडा. पेड पर बंदरों की भागादौडी, पक्षियों के घरोैंदे भी नीचे गिर रहे थे. टीम ने उन पक्षियों के बच्चों को भी जीवनदान दिया है. उसमें से कुछ बंदर बोट में नहीं पहुंचे तो कुछ तैरते हुए किनारे पर पहुंचे. इस तहर पहले ही दिन शाम 7 बजे तक 17 बंदरोें को बचाया गया. दूसरे दिन फिर 13 बंदरों को और तीसरे दिन 4 बंदर बचाए गए. इस तरह 34 मुख वन्य प्राणियों को बचाव दल व्दारा सुरक्षित बाढ के पानी से बाहर निकाला गया.

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