अमरावती प्रतिनिधि/दि.2 – केंद्र सरकार द्वारा पेश किया गया बजट प्राप्तीकर की दृष्टि से सर्वसामान्य लोगों के लिए न तो राहतकारी रहा और न ही इस बजट की वजह से उन पर कोई आर्थिक बोझ ही पडा. हालांकि कोरोना महामारी की वजह से उपजे हालात को देखते हुए अपेक्षा व्यक्त की जा रही थी कि, संभवत: सरकार द्वारा कोविड टैक्स लगाया जायेगा, किंतु ऐसा कुछ भी नहीं हुआ. जिससे आम करदाताओं को राहत मिली. लेकिन कर स्लैब में भी कोई अन्य सकारात्मक बदलाव नहीं हुआ. ऐसे में प्राप्तीकर में सहूलियत एवं कर स्लैब में बदलाव की अपेक्षा पूरी तरह से व्यर्थ चली गयी.
उल्लेखनीय है कि, पिछले बजट में केंद्र सरकार ने 5 लाख रूपये तक की आय को करमुक्त करते हुए रिबेट की घोषणा की थी. लेकिन कर की सहूलियत व रिबेट के बाद शेष बची आय पर अब भी सर्वसामान्य लोगो को टैक्स देना पडता है. ऐसे में उम्मीद की जा रही थी कि, इस बार के बजट में सरकार इस समस्या की ओर ध्यान देगी और संभवत: 5 लाख रूपये की आय को सीधे-सीधे कर मुक्त घोषित करेगी. लेकिन ऐसा नहीं हुआ.
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कर निर्धारण करना हुआ आसान
कर पुर्नजांच की मर्यादा को अब छह वर्ष से घटाकर तीन वर्ष कर दिया गया है. जिसकी वजह से अब कर निर्धारण करना बेहद आसान हो गया है. वन पर्सन कंपनी के लिए पूंजी व बिक्री की कोई मर्यादा नहीं रखी गयी है और सरकार ने करदाताओ पर विश्वास जताया है. छह वर्ष से घटाकर तीन वर्ष की अवधि तय करना इसी का एक उदाहरण है. इसके अलावा दस करोड तक वार्षिक लेन-देन रहनेवाले तथा 95 वे प्रतिशत से अधिक आर्थिक व्यवहार बैंक के जरिये करनेवाले कंपनियों को ऑडिट से छूट दी गई है. इसका भी आम करदाताओं व व्यापारियों को काफी फायदा होगा.