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भाजपा के लिए फायदेमंद दिख रहा आरक्षण

45 पूर्व पार्षदों में से 32 के लिए स्थिति अनुकूल

* पार्टी से दुबारा भी मिल सकता है मौका
* इक्का-दुक्का सीटों पर नये समीकरण बन सकते है
* शेष सीटोें पर नये चेहरों पर खेला जा सकता है दांव
अमरावती/दि.30– मनपा के आगामी चुनाव के लिए गत रोज ओबीसी आरक्षण का ड्रॉ निकाला गया. इसके साथ ही अब मनपा के सभी 33 प्रभागों में एससी-एसटी व ओबीसी के साथ ही महिला आरक्षण की स्थिति स्पष्ट हो गई है और किन-किन सीटों पर सर्वसाधारण प्रवर्ग के उम्मीदवारों द्वारा चुनाव लडा जा सकता है, यह भी साफ हो गया है. इसके साथ ही अब मनपा के 33 प्रभागों में 98 सीटों पर आरक्षण के हिसाब से प्रत्याशी तय करने की राजनीतिक दलों में कवायद तेज हो गई है और चुनाव लडने के इच्छूकों द्वारा अपने राजनीतिक समीकरण बिठाये जा रहे है. जिसमें फिलहाल भाजपा का पलडा आरक्षण की स्थिति के चलते मजबूत दिखाई दे रहा है.
बता दें कि, मनपा के पिछले सदन में भाजपा के 45 सदस्य निर्वाचित होकर पहुंचे थे और तब 87 सदस्यीय सदन में भाजपा ने स्पष्ट बहुमत के साथ अपनी सत्ता स्थापित की थी. वहीं इस बार मनपा की सदस्य संख्या में 11 सीटों का इजाफा हुआ है और इस बार 98 सीटों के लिए चुनाव होना है. उल्लेखनीय यह भी है कि, मनपा का पिछला चुनाव भाजपा ने तब भाजपा की ओर से विधायक रहनेवाले डॉ. सुनील देशमुख की अगुवाई में लडा था. किंतु कालांतर में अगला विधानसभा चुनाव हारने के बाद डॉ. सुनील देशमुख एक बार फिर कांग्रेस में वापिस चले गये. चूंकि मनपा के विगत चुनाव के समय डॉ. देशमुख के कई समर्थक भी भाजपा में आये थे. जिनमें से कुछ लोग भाजपा की टिकट पर पार्षद भी चुने गये थे और डॉ. सुनील देशमुख के कांग्रेस में वापिस जाते ही उन्होेंने भी अपना पाला बदल लिया. ऐसे पार्षदों की संख्या करीब आठ से दस मानी जा रही है. यानी भाजपा के पास पिछली बार के 45 में से करीब 35 पूर्व पार्षद ही साथ बने हुए है. इनमें से 32 पार्षद ऐसे है, जिनके निर्वाचन क्षेत्र में आरक्षण की नई स्थिति की वजह से कोई फर्क नहीं पडा है. यानी वे एक बार फिर अपने निर्वाचन क्षेत्र से दावेदारी के लिए पार्टी के समक्ष सबसे प्रबल दावेदार है और पार्टी को भी इनके नामों पर एक बार विचार तो करना ही पडेगा. क्योंकि इनमें से कई नाम ऐसे भी है, जिन्हें मनपा की राजनीति का दिग्गज खिलाडी माना जाता है और जो एक से अधिक बार मनपा में पार्षद भी निर्वाचित हुए है. जिनमें से सुनील काले, संध्या टिकले व कुसुम साहू चार-चार बार वंदना हरणे, राधा कुरील, चंदू बोमरे व सचिन रासने तीन-तीन बार, तुषार भारतीय दो बार, राजेश पड्डा दो बार (एक बार राजेश पड्डा की पत्नी व दुसरी बार राजेश पड्डा खुद) चुनाव जीते है. इसके अलावा लखनराज व उनकी बहन अनिता राज भी संयुक्त रूप से तीन बार अपने क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर चुके है. इसके साथ ही नूतन भुजाडे भी एक तरह से मनपा में अपनी पारिवारिक विरासत को लेकर चल रही है. इससे पहले नूतन भुजाडे के ससुर भुजाडे बंधू मनपा में एक से अधिक बार पार्षद रह चुके है. वहीं खुद नूतन भुजाडे दो बार मनपा का चुनाव जीती है. इन सभी की दावेदारी को इस बार भी भाजपा की ओर से बेहद प्रबल माना जा रहा है. साथ ही साथ कमालवाली बात यह भी है कि, इन सभी दावेदारों के लिए उनके प्रभागों में आरक्षण की स्थिति बेहद अनुकूल भी है. जिससे उनकी दावेदारी को और भी अधिक बल मिलता है.
* कौन कहां से हो सकता है दावेदार
चूंकि इस समय राज्य सहित केंद्रीय सत्ता में भाजपा का शासन है और पिछली बार ऐसी ही स्थिति का फायदा भाजपा को स्थानीय स्तर पर मिला था. जिसके चलते 87 में से 45 सीटों पर भाजपा प्रत्याशी चुनाव जीते थे. ऐसे में इस बार भी पार्टी के पास टिकट हेतु प्रत्याशियों की अच्छी-खासी भीड रहेगी. जिसमें से फिलहाल शेगांव-रहाटगांव प्रभाग की सर्वसाधारण (महिला) सीट से वंदना मडगे, तपोवन प्रभाग की सर्वसाधारण (महिला) सीट से सुरेखा लुंगारे, संत गाडगेबाबा प्रभाग की ओबीसी सीट से चंद्रकांत बोमरे, महेेंद्र कालोनी प्रभाग की सर्वसाधारण (महिला) सीट से नीता प्रमोद राउत या माधुरी सुहास ठाकरे अथवा सर्वसाधारण सीट से उनके पति, विलास नगर प्रभाग की अनुसूचित जाति सीट से संजय नरवने, ओबीसी (महिला) सीट से संजय वानरे की पत्नी तथा सर्वसाधारण (महिला) सीट से सोनाली करेसिया, रामपुरी कैम्प प्रभाग की सर्वसाधारण (महिला) सीट से सोनाली नाईक व सर्वसाधारण सीट से श्रीचंद तेजवानी, जोग स्टेडियम की सर्वसाधारण सीट से पूर्व स्वीकृत पार्षद डॉ. प्रणय कुलकर्णी, स्वामी विवेकानंद प्रभाग की सर्वसाधारण (महिला) सीट से जयश्री डहाके, बेलपुरा प्रभाग की तीन सीटों से राधा कुरील, नूतन भुजाडे व अनिता राज, नवाथे-अंबापेठ प्रभाग की सर्वसाधारण (महिला) सीट से लवीना हर्षे व सर्वसाधारण सीट से प्रणित सोनी, मोरबाग प्रभाग की ओबीसी (महिला) सीट से कुसुम साहू, सर्वसाधारण (महिला) सीट से राजेश पड्डा की पत्नी तथा सर्वसाधारण सीट से कौशिक अग्रवाल, गडगडेश्वर प्रभाग की ओबीसी (महिला) सीट से लता देशमुख, सर्वसाधारण (महिला) सीट से सुनंदा खरड व सर्वसाधारण सीट से आशिष तटकरे, बुधवारा प्रभाग की सर्वसाधारण सीट से विवेक कलोती, एचवीपीएम प्रभाग की सर्वसाधारण (महिला) सीट से स्वाती कुलकर्णी व सर्वसाधारण सीट से सचिन रासने, राजापेठ प्रभाग की सर्वसाधारण (महिला) सीट से पद्मजा कौंडण्य व सर्वसाधारण सीट से बलदेव बजाज, किरण नगर प्रभाग की सर्वसाधारण (महिला) सीट से संध्या टिकले, दस्तुर नगर-जेवड प्रभाग की सर्वसाधारण सीट से मंगेश खोंडे व ओबीसी सीट से वंदना हरणे, साईनगर प्रभाग की सर्वसाधारण (महिला) सीट से रेखा भूतडा व सर्वसाधारण सीट से तुषार भारतीय या चेतन गावंडे, सूतगिरणी प्रभाग की ओबीसी सीट से सुनील काले तथा पूर्व बडनेरा प्रभाग की महिला आरक्षित दो सीटों में से एक सीट पर गंगा अंभोरे की दावेदारी लगभग तय मानी जा रही है. इन दावेदारों में डॉ. प्रणय कुलकर्णी को छोडकर 32 दावेदार ऐसे है, जो पिछली बार जनता के जरिये निर्वाचित होकर मनपा के सदन में पहुंचे थे और विगत पांच वर्षों के दौरान अपने द्वारा किये गये कामों के दम पर दोबारा चुनावी अखाडे में उतरने को तैयार है.
* इन प्रभागों में पार्टी के पास है प्रत्याशियों का टोटा
यद्यपि स्थिति भाजपा के लिए काफी हद तक अनुकूल दिखाई दे रही है, लेकिन नवोदय विद्यालय, लालखडी-नवसारी, बिच्छू टेकडी, वडाली, फ्रेजरपुरा, सराफा, बेनोडा, पश्चिम बडनेरा व आठवडी बाजार इन प्रभागों की सीटों के लिए फिलहाल भाजपा के पास कोई सशक्त चेहरे नहीं है. इसके अलावा जिन प्रभागों में कुछ पूर्व पार्षदों की दावेदारी को अभी से तय माना जा रहा है, उन प्रभागों में भी तीन में से एक या दो सीटोें पर पार्टी को प्रत्याशी खोजने में अच्छी-खासी मशक्कत करनी पडेगी. यहां यह विशेष उल्लेखनीय है कि, जहां एक ओर कांग्रेस व राकांपा जैसे दलों के पास सभी 98 सीटों पर अपने प्रत्याशी खडे करने की सहूलियत है, वहीं भाजपा को मुस्लिम बाहूल्य सीटों को छोडकर ही चुनाव लडना होता है और अमरावती मनपा में करीब 7 से 8 प्रभाग ऐसे है, जहां मुस्लिम मतदाताओें का बाहुल्य है. ऐसे में करीब 20 से 22 सीटों पर भाजपा द्वारा अपने प्रत्याशी खडे ही नहीं किये जा सकते, यानी भाजपा को 98 में से लगभग 75 से 78 सीटों पर अपने प्रत्याशी खडे करते हुए 98 सदस्यीय सदन में बहुमत हासिल करने का प्रयास करना होगा.

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