शालाओं के समय को लेकर किया जाये पुनर्विचार
प्राथमिक शिक्षक समिती ने संशोधित आदेश जारी करने की मांग की
* शालेय शिक्षा मंत्री गायकवाड को सौंपा गया निवेदन
अमरावती/दि.26– दो दिन पूर्व राज्य में कक्षा 1 ली से 9 वीं तथा कक्षा 11 वीं की शालाओ को आगामी 30 अप्रैल तक दोनों सत्रों में पूरी क्षमता के साथ पूरा समय शुरू रखने के संदर्भ में परिपत्रक जारी किया गया था. जिसका विरोध करते हुए महाराष्ट्र राज्य प्राथमिक शिक्षक समिति ने इस संदर्भ में राज्य की शालेय शिक्षा मंत्री वर्षा गायकवाड सहित शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को एक ज्ञापन सौंपा है. जिसमें कहा गया है कि, विदर्भ क्षेत्र में पडनेवाली भीषण गर्मी और सरकारी शालाओं में व्याप्त असुविधा के साथ ही विद्यार्थियों के स्वास्थ्य व सुरक्षा को देखते हुए इस फैसले पर पुनर्विचार किया जाये.
राज्य की शालेय शिक्षा मंत्री वर्षा गायकवाड, शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव विकास रस्तोगी, राज्य शिक्षा आयुक्त सूरज मांढरे तथा प्राथमिक शिक्षा संचालक दिनकर टेमकर के नाम जारी ज्ञापन में कहा गया कि, कोविड संकटकाल के दौरान शालाएं पूरी तरह से बंद थी. पश्चात बीच में कुछ समय शालाओं को खोलने के बाद दोबारा बंद करना पडा. जिसकी वजह से विद्यार्थियों का काफी शैक्षणिक नुकसान हुआ. इस बात का ऐहसास प्राथमिक शिक्षक होने के नाते उन्हें रोजाना ही होता है. प्रतिवर्ष मार्च माह में पडनेवाली भीषण गर्मी व तेज धूप की वजह से सभी शालाओं को केवल सुबह के सत्र में लिया जाता है. सरकारी शालाओं की कक्षाओं में बिजली व पंखे का अभाव रहने के साथ ही लोडशेडिंग की वजह से पेयजल की सुविधा भी उपलब्ध नहीं होती. ऐसे में दोपहर के सत्र में शालाएं बंद रखी जाती है. इसके अलावा विदर्भ क्षेत्र में गरमी की प्रखरता व दाहकता के चलते दोपहर के समय त्राहीमाम्वाली स्थिति रहती है. ऐसे में दोपहर के समय शालाओं को शुरू रखना और विद्यार्थियों को शालाओं में बुलाना व्यवहारिक रूप से ठीक नहीं है. अत: इस संदर्भ में राज्य के शालेय शिक्षा विभाग द्वारा अपने फैसले पर पुनर्विचार किया जाना चाहिए तथा इसे लेकर संशोधित आदेश जल्द से जल्द जारी किया जाना चाहिए.