अमरावती

फिनले की चिमनी से ललकार को मिला प्रतिसाद

मिल खुलेंगी,तनख्वाह भी मिलेंगी...!

  • श्रमिको का चिमनीगिरी आंदोलन सफल रहा

परतवाड़ा/अचलपुर दी २४ –:जुड़वाशहर की जीवनदायिनी कहलाती प्राचीन विदर्भ मिल बेरार की जगह पर भारत सरकार द्वारा स्वतंत्र रूप से खड़ी की गई फिनले मिल को पुनः पूरी तरह शुरू करने की मांग को लेकर कल 23 अगस्त,सोमवार को किया गया चिमनीगिरी आंदोलन रात साढ़े नौ बजे सफलता लिए समाप्त हुआ है.
यहां बता दे कि कोरोना काल मे मिल श्रमिको को दिया जा रहा एडॉप्ट पेमेंट की जगह पर उन्हें पूरा मेहनताना दिया जाए और फिनले का उत्पादन पूर्णतः शुरू करने की मांग को लेकर कल भारतीय मजदूर संघ संलग्न पूर्व पार्षद व मजदूर यूनियन नेता अभय माथने,राजेश ठाकुर,धर्मा राउत यह तीनों भी मिल परिसर स्थित तीन सौ फुट ऊंची चिमनी पर चढ़ गए थे.फिनले मिल परिसर में स्थित पवनसुत हनुमान के दर्शन करने गये तीनो के यूं चिमनी पर चढ़कर बैठ जाने की खबर फैलते ही मुंबई से दिल्ली तक खलबली मच गई थी.सुबह साढ़े सात बजे ही अकस्मात इस अजीबोगरीब आंदोलन के बारे में लोगो को पता चला.मिल प्रबंधन को मालूम पड़ने पर उन सभी के भी होश फाख्ता हो गए थे.
अमरावतीं मंडल के प्रस्तुत प्रतिनिधि ने सर्वप्रथम श्रमिक नेता अभय माथने से संपर्क कर उनका उद्देश्य जाना था.यह पहला मौका था जब मीडिया को पीड़ित द्वारा अपनी मांग कोई सौ फुट से भी ज्यादा ऊंचाई से बताई जा रही थी.दो प्रमुख मांगे श्रमिक संघ ने बताई थी.पहला यह कि मिल को पूर्ववत शुरू किया जाए और दूसरा सभी श्रमिको को उनका बकाया वेतन दिया जाए.
कल शाम पांच बजे तक भी कोई हल नहीं निकला था.माथने,ठाकुर और धर्मा अपने मजदूर धर्म की पताका लिए चिमनी पर ही अड़े रहे-खड़े रहे.नीचे सुबह से लेकर रात तक उनके समर्थकों और श्रमिको का हुजूम खड़ा हुआ था.रात तक तो पूरा मिल परिसर ही जनसागर में तब्दील हो गया था.
घटना की जानकारी लगते ही तहसीलदार मदन जाधव,परतवाड़ा के थानेदार सदानंद मानकर,अचलपुर के मनोज चौधरी मिल परिसर में डेरा डाल चुके थे.पुलिस व कमांडो को सभी कोनो पर तैनात कर दिया गया था.एहतियात के तौर पर फायरब्रिगेड और एम्बुलेंस को भी बुला लिया गया था.
सुबह से चल रहे इस चिमनी आंदोलन ने मिल महाप्रबंधक अमितसिंग को बेचैन कर दिया था.मिल मैनेजमेंट की ओर से अपने वरिष्ठों को मुंबई और दिल्ली सूचना दे दी गई थी.पहलीं सूचना जब दिल्ली पहुंची तब कपड़ा मंत्री पीयूष गोयल विमान में सवार थे,इस कारण तब कोई हल नहीं निकल पाया.
चिमनी पर जाकर खड़े हुए अपने नेताओं के समर्थन में 500 से ज्यादा श्रमिक व समर्थक नीचे खड़े रहे.वो जब तक मांग पूरी न हो तब तक डटे रहने का ऐलान कर नेताओ का उत्साहवर्धन करते रहे.श्रमिक संघ के सुधीर भोगे,पिंटया जायले,राजेश गौर,मनीष लाडोळे,नरेंद्र बोरकर, दिनेश उघड़े,सचिन जिचकार,विवेक महल्ले,धनंजय लव्हाले ने बताया कि मिल को सभी तंत्रज्ञान के साथ पूरी तरह शुरू किया जाना चाहिए.कच्चा माल नही है,यह बहाना अब नही चलेगा.सभी श्रमिको को काम पर लिया जाए,मिल शुरू की जाए और सभी बकाया वेतन की तत्काल अदायगी करने तक आंदोलन चलता ही रहेंगा.
श्रमिक नेता अभय माथने ने चर्चा के दौरान कल ही बताया कि मिल प्रबंधन ने लाभ के 25 करोड़ रुपये एनटीसी को जमा करा दिए और दूसरी और मजदूरों को वेतन नहीं दिया जा रहा है.इस अन्याय के लिए अब आरपार की लड़ाई ही की जा रही है.
इसी बीच मिल प्रबंधक ने ताजा स्थिति से राष्ट्रीय वस्त्र निगम के प्रमुख और वस्त्रोद्योग मंत्रालय को ईमेल कर इतल्ला किया था.किसी भी जगह से शाम 7 बजे तक कोई प्रतिसाद प्राप्त नही हुआ.
  • भारतीय की मध्यस्थता रंग लाई

भारतीय मजदूर संघ यह भारतीय जनता पार्टी की ही एक इकाई है.आंदोलन की जानकारी मिलने के बाद भाजपा के ओबीसी सेल प्रदेश उपाध्यक्ष गजानन कोल्हे,प्रवीण तोंडगांवकर,नीलेश सातपुते ,गजानन शर्मा आदि फिनले परिसर में पहुंच गए थे.गजानन कोल्हे ने स्थिति का जायजा लेकर तुरंत भारतीय जनता पार्टी प्रदेश संघटन महामंत्री श्रीकांत भारतीय को पूरी जानकारी दी.चल रहे घटनाक्रम से अमरावतीं मनपा नेता तुषार भारतीय को भी अवगत कराया गया था.श्रीकांत भारतीय ने वस्त्रोद्योग मंत्री पीयूष गोयल से मोबाइल पर संपर्क कर उन्हें फिनले की स्थिति और श्रमिको की मांग के बारे में रिपोर्ट दी.श्रीकांत  की बातचीत होते ही दिल्ली से सूत्र संचालन शुरू हो गए.एनटीसी और कपड़ा मंत्रालय से फिनले एमडी अमितसिंग को तत्काल योग्य दिशा निर्देश जारी हो गए.इस पूरी संवादगी में रात के आठ बजे चुके थे.श्रमिक अभी भी चिमनी पर ही आरूढ़ थे.
  • फिनले ने दिया लिखित आश्वासन

दिल्ली दरबार से निर्देश मिलने के बाद मिल प्रबंधन की ओर से महाप्रबंधक अमितसिंग ने श्रमिको को लिखित आश्वासन दिया है.फिनले प्रबंधन ने अपने पत्र में लिखा है कि निधि उपलब्ध होते ही सभी श्रमिको को उनका पूरा बकाया वेतन दे दिया जायेगा.उसी प्रकार राष्ट्रीय वस्त्र निगम की सूची में फिनले का नाम सबसे अग्रक्रम में दर्ज है.फिलहाल देश की करीब 30 कपड़ा मिल कोरोना की वजह से बंद पड़ी है.लेकिन जब भी मिल में उत्पादन शुरू किया जायेगा तब सबसे पहले फिनले अचलपुर को ही शुरू करने का अभिवचन एनटीसी की ओर से अमितसिंग ने दिया है.
  • सितंबर के पहले सप्ताह में बैठक

श्रीकांत भारतीय ने इस मसले को हल करने बेहतरीन भूमिका अदा की है.इसी का परिणाम यह रहा कि कपड़ा मंत्री पीयूष गोयल ने सितंबर माह के पहले सप्ताह में मुंबई में एक बैठक रखी है.इस बैठक में एनटीसी के आला अफसरों और फिनले के श्रमिक प्रतिनिधिमंडल को भी आमंत्रित किया जायेगा. मुंबई की इस सभा मे फिनले मिल के लिए कोई ठोस और सकारात्मक निर्णय होने की संभावना जताई जा रही है.
  • नही दर्ज हुआ अपराध

श्रमिको को आंदोलन करने की स्वतंत्रता है.इसके लिए पूर्व सूचना दी जानी चाहिए.आप बगैर पूर्व सूचना के कोई भी आंदोलन करके शांति भंग नहीं कर सकते है.अभय माथने बताते है कि उन्होंने अपने आंदोलन का सोशल मीडिया पर मैसेज दिया था.कल सोमवार सुबह फिनले प्रबंधन को भी निवेदन दे दिया गया था.भारतीय कपड़ा मिल के इतिहास में संभवतः यह पहला आंदोलन होंगा जिसमे श्रमिक चिमनी पर चढ़ गए.चिमनी पर चढ़ने की अनुमति हर किसी को नही दी जाती है.इस संपूर्ण घटनाक्रम में कोरोना संक्रमणकाल प्रतिबंध अधिनियम का उल्लंघन हुआ है,बिना अनुमति भीड़ इकट्ठा करना भी गैरकानूनी कहा जा सकता है.परतवाड़ा और अचलपुर थाने में कल के घटनाक्रम को लेकर कोई भी अपराध दर्ज नहीं किये जाने की जानकारी मिली है.अचलपुर थाने से मिली जानकारी के अनुसार फिनले मिल व्यवस्थापन द्वारा कल से लेकर अभी तक कोई शिकायत नहीं दिए जाने के कारण पुलिस ने मामला दर्ज नहीं किया है.आज दोपहर 2 बजे तक आन्दोलकर्ताओ पर कोई भी मामला दर्ज नहीं किया गया है.फिनले से शिकायत प्राप्त होने पर पुलिस जरुर कार्रवाई करेंगी.
देर रात नौ बजे के करीब मिल व्यवस्थापन की ओर से लिखित आश्वासन देने के बाद माथने,ठाकुर और धर्मा के कदम फिनले की धरती पर पड़े.एक आंदोलन का सुखद पटाक्षेप हुआ.प्रशासन और पुलिस ने भी कोई अनर्थ होने नहीं दिया,इसके लिए वो भी धन्यवाद के पात्र है.सब से बड़ी दया-माया कुदरत ने दिखाई.कल वरुण और इन्द्रदेवता की कृपा दिनभर बनी हुई रही.आंदोलन खत्म होने तक आसमां से बूंद भी नही टपकी थी.यदि झमाझम बारिश हो जाती तो स्थिति नियंत्रण से बाहर होने को क्षणभर भी नही लगता था.दिल्ली से आश्वासन मिला,स्थानीय नेताओं को सफलता का च्यवनप्राश  मिला है.फिलहाल मिल बंद और मजदूरी भी बकाया है.उधार का यह सिंदूर नगदी में कब तब्दील होंगा,इस और जुड़वाशहर वासियों की नजरें लगी रहेंगी.
संलग्न-:फ़ोटो
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