पूर्व विधायक धाने पाटील को दी गई जिला समन्वयक की जिम्मेदारी
शिवसेना ने अपने ‘पुराने शेर’ पर फिर जताया भरोसा
![](https://mandalnews.com/wp-content/uploads/2022/07/shivsena-1.jpg)
* जिले में शिवसेना से दो बार विधायक रहनेवाले धाने पाटील हैं एकमात्र नेता
* अब नये जोश के साथ पार्टी को संगठनात्मक रूप से देंगे मजबूती
अमरावती/दि.19– वर्ष 1995 तथा वर्ष 1999 के विधानसभा चुनाव में बडनेरा निर्वाचन क्षेत्र से सेना प्रत्याशी के तौर पर दो बार जीत दर्ज करनेवाले पूर्व विधायक ज्ञानेश्वर धाने पाटील को जिले के पुराने व निष्ठावान शिवसैनिकों में से एक माना जाता है. जिन्होंने वर्ष 1986 के दौरान शिवसेना में शामिल होने के बाद शाखा प्रमुख से लेकर उप जिला प्रमुख जैसे विभिन्न पदों पर काम किया है और जिनके संगठन कौशल्य व नेतृत्व क्षमता पर भरोसा रखते हुए पार्टी ने उन्हें लगातार दो बार विधानसभा चुनाव में टिकट देकर अपना प्रत्याशी बनाया. पार्टी के इस भरोसे पर भी ज्ञानेश्वर धाने पाटील पूरी तरह से खरे उतरे. वहीं वर्ष 2004 से लेकर अब तक पार्टी द्वारा टिकट नहीं दिये जाने के बावजूद वे पूरे समर्पित भाव के साथ पार्टी के लिए काम कर रहे है. उनकी इस सक्रियता व सेवा को देखते हुए शिवसेना ने अपने इस ‘पुराने शेर’ पर एक बार फिर भरोसा जताया है और उन्हेें जिला प्रमुख के समकक्ष रहनेवाले जिला समन्वयक पद का जिम्मा सौंपा है.
बता दें कि, अमरावती शहर सहित जिले मेें ज्ञानेश्वर धाने पाटील ही एकमात्र ऐसे शिवसैनिक है, जो दो बार विधायक रह चुके है. हालांकि धाने पाटील के साथ-साथ जिले के कद्दावर सेना नेता रहे संजय बंड भी शिवसेना की ओर से दो बार विधायक रह चुके थे, लेकिन चूंकि अब पूर्व विधायक संजय बंड का देहांत हो चुका है. ऐसे में दो बार विधायक रहने का बहुमान हासिल रखनेवाले ज्ञानेश्वर धाने पाटील जिले के एकमात्र सेना नेता है. विशेष उल्लेखनीय यह भी है कि, ज्ञानेश्वर धाने पाटील ने किसी जमाने में अपने समकक्ष रहनेवाले संजय बंड के साथ ही शिवसेना में काम करना शुरू किया था और एक समय ऐसा भी आया, जब संजय बंड के जिला प्रमुख रहते वक्त उसी कार्यकारिणी में ज्ञानेश्वर धाने पाटील भी उपजिला प्रमुख के तौर पर कार्यरत थे. शाखा प्रमुख, विभाग प्रमुख, उपशहर प्रमुख, शहर प्रमुख तथा उप जिला प्रमुख जैसे पदों पर कार्य करते हुए विधायक बननेवाले ज्ञानेश्वर धाने पाटील को एक ऐसा शिवसैनिक माना जाता है, जिन्हें राजनीति के साथ-साथ शिवसेना के संगठनात्मक ढांचे और कार्यपध्दति के बारे में पूरी जानकारी है. साथ ही किसी भी तरह के पद की लालसा या प्रतिस्पर्धा से दूर रहनेवाले पूर्व विधायक ज्ञानेश्वर धाने पाटील को ‘मातोश्री’ के प्रति समर्पित शिवसैनिक भी माना जाता है. किसी जमाने में शिवसेना प्रमुख स्व. बालासाहब ठाकरे के हाथों शिवबंध बंधवा चुके पूर्व विधायक ज्ञानेश्वर धाने पाटील उन पुराने निष्ठावान शिवसैनिकों में शामिल है. जिन्होंने अमरावती शहर व जिले में शिवसेना को स्थापित व विकसित करने में अपना पूरा योगदान दिया. हालांकि बाद में कुछ कारणों के चलते वे एक तरह से हाशिये पर भी चले गये. लेकिन उन्होंने शिवसेना का दामन कभी नहीं छोडा. ऐसे में अब पार्टी ने एक बार फिर अपने इस ‘पुराने शेर’ की सुध ली है और उन्हें जिला समन्वयक के पद का जिम्मा सौंपा गया है. इस पद पर नियुक्ति के साथ ही पूर्व विधायक ज्ञानेश्वर धाने पाटील को तिवसा, अचलपुर व मेलघाट निर्वाचन क्षेत्र की जिम्मेदारी सौंपी गई है. यानी इन तीनों विधानसभा क्षेत्रों के सेना पदाधिकारियों व शिवसैनिकों के बीच आपसी समन्वय बनाये रखने और उनकी समस्याओं का स्थानीय स्तर पर ही निराकरण करने का जिम्मा पूर्व विधायक ज्ञानेश्वर धाने पाटील पर होगा.
बता दें कि, शिवसेना में संगठनात्मक स्तर पर जिला प्रमुख का पद सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है और एक ही जिले में एक से अधिक जिला प्रमुख नियुक्त करते हुए उन्हें अलग-अलग विधानसभा क्षेत्रों की जिम्मेदारी सौंपी जाती है. साथ ही साथ जिला प्रमुख पद के लिए एक से अधिक योग्य शिवसैनिक रहने पर उन्हें इसी पद के समकक्ष रहनेवाले जिला समन्वयक पद की जिम्मेदारी सौंपी जाती है. पता चला है कि, पार्टी नेतृत्व द्वारा पूर्व विधायक ज्ञानेश्वर धाने पाटील को जिला प्रमुख पद के लिए ही योग्य माना जा रहा था और उन्हें इस पद की जिम्मेदारी देने की पूरी तैयारी भी कर ली गई थी. लेकिन खुद ज्ञानेश्वर धाने पाटील ने यह कहते हुए जिला प्रमुख बनने से इन्कार कर दिया कि, चूंकि उनके बेटे श्याम धाने पाटील शिवसेना की युवा ईकाई युवा सेना के जिला प्रमुख है और एक ही घर में पार्टी के दो जिला प्रमुख पद रहने से शिवसैनिकों में अच्छा संदेश नहीं जायेगा. अत: उन्हें कोई भी पद न दिया जाये, बल्कि वे बिना पद के ही पूरी सक्रियता के साथ पार्टी का काम करते रहेंगे. ऐसे में पार्टी ने उनके अनुरोध को आंशिक तौर पर स्वीकार करते हुए उन्हें जिला प्रमुख की बजाय जिला समन्वयक पद का जिम्मा सौंपा और तीन तहसीलों में पार्टी को संगठनात्मक रूप से मजबूत करने की जिम्मेदारी दी. इस जरिये पार्टी ने एक तरह से अपने इस ‘पुराने शेर’ की एक बार फिर ‘फुल फार्म’ में वापसी करवायी है, ताकि जिले में शिवसेना को एक बार फिर पहले की तरह मजबूत रूप से स्थापित किया जा सके. ऐसे में अब यह देखना दिलचस्प होगा कि, शिवसेना के इस ‘पुराने शेर’ द्वारा किस तरह अपनी पुरानी दहाड के साथ मैदान में उतरकर काम किया जाता है.
* बडनेरा पर भी रहेगा विशेष ध्यान
यद्यपि जिला समन्वयक के तौर पर पूर्व विधायक ज्ञानेश्वर धाने पाटील को तिवसा, अचलपुर व मेलघाट विधानसभा क्षेत्र की जिम्मेदारी सौंपी गई है. लेकिन उनके पास पूरे जिले के सेना पदाधिकारियों से संपर्क साधने का अधिकार भी होगा. अपने इस अधिकार के चलते बडनेरा निर्वाचन क्षेत्र का दो बार प्रतिनिधित्व कर चुके पूर्व विधायक धाने पाटील द्वारा अब अपने इस पुराने निर्वाचन क्षेत्र में शिवसेना को एक बार फिर पहले की तरह मजबूत करने का काम निश्चित तौर पर किया जायेगा, ताकि बडनेरा निर्वाचन क्षेत्र से विधानसभा में ‘भगवा’ फहराया जा सके. ऐसे में बहुत जल्द अमरावती शहर सहित बडनेरा में शिवसेना के लिहाज से नये राजनीतिक समीकरण बनते दिखाई दे सकते है.