* 6 जिले वंचित है पेसा कानून के लाभ से
अमरावती/दि.14- भारतीय संविधान में 5 वीं अनुसूची में शामिल अनुसूचित क्षेत्र व अनुसूचित जानजाति के प्रशासन व नियंत्रण को लेकर विशेष प्रावधान किए गए है. राष्ट्रपति ने महाराष्ट्र राज्य के लिए 1950 व 1960 में अनुसूचित क्षेत्र घोषित किए थे. उन्हीं अनुसूचित क्षेत्रों को 2 सितंबर 1985 में निश्चित करते हुए अंतिम तौर पर घोषित किया गया. परंतु आज 38 वर्ष बीत जाने के बाद भी अनुसूचित क्षेत्रों की पुनर्रचना नहीं की जा सकी है.
वर्ष 2011 की जनगणना के मुताबिक राज्य के कुल 36 जिलों में 44 हजार 199 गांव व शहर है. जिनकी जनसंख्या 11 करोड 23 लाख 74 हजार 333 है. जिसमें से 1 करोड 5 लाख 10 हजार 213 आदिवासी जनसंख्या है. जो कुल जनसंख्या की तुलना में 9.35 फीसद है. राज्य के 31 हजार 639 गांवों व शहरों में बडे पैमाने पर आदिवासी जनसंख्या रहती है और 6 हजार 471 गांवों व शहरों में 50 फीसद से अधिक जनसंख्या आदिवासियोें की है. वहीं शत-प्रतिशत आदिवासी जनसंख्या रहने वाले गांव और बिना अनुसूचित क्षेत्र में 50 फीसद से अधिक आदिवासी जनसंख्या रहने वाले सैकडों गांव अनुसूचित क्षेत्र के लाभ से वंचित है.
अनुसूचित क्षेत्र के लाभ से वंचित रहने वाले कई गांवों को अतिरिक्त आदिवासी उपाय योजना क्षेत्र, माडा व क्लस्टर के स्वरुप वाले क्षेत्र में शामिल किया गया है. परंतु अनुसूचित क्षेत्र में रहने का फायदा इन गांवों को मिलता नहीं है. जिसकी वजह से विकास के कई अवसरों से ऐसे क्षेत्रों के आदिवासी लाभान्वित नहीं हो पाते.
* जिला व तहसील निर्मिति के चलते सीमारेखा में बदलाव
वर्ष 1985 के बाद राज्य में मुंबई उपनगर, नंदुरबार, वाशिम, हिंगोली, गोंदिया व पालघर इन 6 जिलों की निर्मिति हुई. नये जिलों की निर्मिति के चलते कई नई तहसीलों की निर्मिति व पुनर्रचना हुई. जिसकी वजह से उनकी सीमारेखा में बदलाव हुआ. ऐसे मेें अनुसूचित क्षेत्र में बदलाव होकर पुनर्रचना होना अपेक्षित था. परंतु अब भी ऐसा नहीं हो पाया है.
* नई दिल्ली में 11 व 12 फरवरी 2015 को हुई राज्यपाल की बैठक में तथा केंद्रीय जनजातिय कार्य मंत्रालय द्बारा 26 मई 2015 को जारी आदेश में राज्य के अनुसूचित क्षेत्रों की पुनर्रचना के काम को गति देने का निर्देश दिया गया है. इस संदर्भ में केंद्र सरकार के साथ ही राज्य सरकार की आदिवासी सलाहकार समिति में तत्कालीन मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए थे. परंतु अब भी पेसा क्षेत्र की पुनर्रचना नहीं की गई है. जिसे जल्द से जल्द करने हेतु राज्य सरकार को पत्र भेजा गया है.
– राजू मडावी,
विभागीय अध्यक्ष,
ट्रायबल फोरम (नागपुर)