अमरावती

ग्रामपंचायतों के कामकाज का लिया जायजा

महिला महाविद्यालयों की ओर से अनोखा उपक्रम

सरपंचों से किया सवाल-जवाब
चांदूर रेलवे-/ दि. 7 संयुक्त राष्ट्र संगठन द्वारा 15 सितंबर यह दिन अंतर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में जाता है. से ’पंचायत टू पार्लेमेंट’, चलो भारत बुलंद बनाएं’ की पहल कॉलेज में लागू की जा रही है. इस वर्ष संयुक्त राष्ट्र संगठन की थीम थी लोकतांत्रिक सिद्धांतों का पालन और प्रचार इसी के एक भाग के रूप में गांव के सरपंच से भेंट लेकर गांव के शासन को समझने के लिए ’सेल्फी विद सरपंच’ पहल को लागू किया गया.
विदर्भ युथ वेलफेअर सोसाइटी ’द्वारा संचालित महिला कला व वाणिज्य महाविद्यालय चांदूर रेलवे प्रा. राजाभाऊ देशमुख कला कॉलेज नांदगांव खंडेश्वर, आरडीआईके 6. मवि, बडनेरा, इंदिराबाई महिला मवि. अमरावती राजनीति विज्ञान विभाग ने संयुक्त रूप से 15 सितंबर अंतर्राष्ट्रीय लोकतंत्र दिवस में 2 अक्टूबर महात्मा गांधी जयंती तक ’सरपंच के साथ सेल्फी’ पहल का आयोजन किया. इसके माध्यम से छात्रों को ग्राम पंचायत, ग्राम सभा, गांव की वास्तविक समस्याओं और ग्राम पंचायत के उल्लेखनीय कार्यों से अवगत कराया गया. ग्राम पंचायत पंचायत राज व्यवस्था में ग्राम सभा की कार्यकारी समिति है, जो 73वें संविधान संशोधन के तहत अस्तित्व में आई ग्राम पंचायत ग्राम सभा के प्रति उत्तरदायी होती है. यानी ग्रामसभा गांव की संसद होती है. एक मतदाता जिसने किसी गांव में 18 वर्ष की आयु पूरी कर ली है. ग्रामसभा का सदस्य होता है, लेकिन कहा जाता है कि राजनीति मेरा काम नहीं है, लेकिन आम लोगों का लहजा नकारात्मक होता है. अतः इस पहल का उद्देश्य छात्रों की ग्राम पंचायत के मामलों पर ध्यान देना और गांव के विकास के लिए मेरे सहयोग की भावना से गांव के विकास में योगदान देने के लिए तैयार रहना था. इस पहल में सरपंच क्रमशः अंजलि गजभिये (राजूरा), सुषमा ढोकणे (बेलोरा), वर्षलता जाधव (घुईखेड़), मिलिंद गुजरकार (बग्गी-जावरा), शिल्पा कणसे (धोत्रा), मुक्ता इंगले (निंभा), वर्षा मातोड़े (चांदूरवाड़ी), स्वप्निल देशमुख (येरड), शालू सूर्यवंशी (सावंगी मग्रापुर), प्रदीप कुबड़े (आमला विश्वेश्वर) संगीता ठाकरे (सुपलवाड़ा), इंदूताई जवंजाल (पोहराबंदी), मनोज राऊत (भिलटेक) इन सरपंचों ने मुलाकात के दौरान छात्रों द्वारा पूछे गए प्रश्नों का उत्तर देते हुए ग्राम पंचायत का लेखा-जोखा दिया.

ग्रामपंचायत राज की ली जानकारी
यह देखा गया कि ग्राम पंचायतों को प्राप्त धनराशि अपर्याप्त है, जबकि ग्राम सभाओं की उपस्थिति नाममात्र की है. क्या सरपंच का सीधा चयन गांव के विकास के लिए उपयुक्त होगा ? इस पर ज्यादातर सरपंचों ने सहमति जताई. कार्यक्रम का संचालन प्राचार्य सीमा जगताप, राजनीति विज्ञान विभाग प्रमुख प्रो. डॉ. प्रदीप दंदे के मार्गदर्शन में लागू किया गया था. यह उपक्रम तृप्ति थेटे, निर्जला वासनिक, वेदांती पवार, मोनिका घरत, वैष्णवी सहारे, प्राची रोकड़े, वैष्णवी लड़के, वैष्णवी गुल्हाने, पूनम मेहकर, वैष्णवी घाटे, बुशरा शेख, उजमा शेख, सबा शाहा, सायली डोंगरे, अंजलि एकोणकार, पूजा डेहनीकर, मनीषा चव्हाण, आंचल कोडापे, मनीषा खोब्रागड़े, तेजल ठाकरे, मोहिनी चौधरी, गीता साखने ने मुलाकात लेने वाले छात्रों के रूप में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

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