* राज्य सरकार का प्रस्ताव लटका है केंद्र के पास
अमरावती /दि.4– भारतीय संविधान के अनुच्छेद 371 (2) के तहत विदर्भ सहित मराठवाडा व शेष महाराष्ट्र के लिए स्थापित किए गए वैधानिक विकास मंडल विगत 3 वर्ष 7 माह से अपने अस्तित्व की लडाई लड रहे है. वहीं दूसरी ओर वैधानिक शब्द को दोबारा जोडकर इन मंडलों को पुनर्जीवित करने से संबंधित राज्य सरकार द्वारा भेजा गया प्रस्ताव पिछले एक वर्ष से केंद्रीय गृहमंत्रालय के पास विचाराधीन पडा हुआ है.
महाराष्ट्र के संतुलित प्रादेशिक विकास हेतु देश के राष्ट्रपति द्वारा 1 मई 1994 को इन विकास मंडलों की स्थापना की गई थी. इस अंतर्गत संतुलित प्रादेशिक विकास के लिए राज्य सरकार को निर्देश देने का अधिकार राज्यपाल को प्राप्त हुआ था. वर्ष 2015 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने इन विकास मंडलों को 5 वर्ष की समयावधि दी थी. लेकिन इन विकास मंडलों के नाम से वैधानिक शब्द को हटा दिया गया था. पश्चात इन तीनों विकास मंडलों का कार्यकाल 30 अप्रैल 2020 को खत्म हुआ. परंतु तत्कालीन महाविकास आघाडी ने केवल कार्यकाल बढाने को लेकर मौखिक बात कही और इसके अलावा कोई पहल नहीं की. साथ ही मविआ सरकार ने सत्ता से जाते-जाते विकास मंडलों को समयावधि देने की सिफारिश जरुर की. इसके पश्चात सत्ता में आयी शिंदे-फडणवीस सरकार ने 6 अक्तूबर 2022 को विभागों की पुनर्रचना का प्रस्ताव केंद्र सरकार की ओर भेजा. नियमानुसार गृह मंत्रालय की मान्यता पश्चात इस प्रस्ताव को राष्ट्रपति के समक्ष विचारार्थ भेजा जाता है. लेकिन यह प्रस्ताव फिलहाल गृहमंत्रालय में ही अटका पडा है. ऐसी जानकारी राजभवन के सूत्रों द्वारा दी गई है.
* सदस्य सचिव के लिए लेटर पर लेटर
जहां एक ओर विकास मंडलों के पुनरुज्जीवन के लिए प्रयास किए जा रहे है. वहीं हाल ही में इन विकास मंडलों के कार्यालय भी शुरु किए गए है. विदर्भ वैधानिक विकास मंडल में अधिकारियों व कर्मचारियों के कुल 17 पद मंजूर है. जिसमें से 6 सीटे रिक्त है. इसमें सदस्य सचिव जैसे महत्वपूर्ण पर का भी समावेश है. जिसके लिए सरकार को लगातार एक के पीछे एक पत्र भेजे जा रहे है. अगस्त 2021 में राज्य सरकार ने आईएएस अधिकारी दीपक सिंगला की इस पद पर नियुक्ति की थी. परंतु 8 नवंबर को उनका तबादला हो गया. पश्चात 9 दिसंबर 2022 को इस पद का जिम्मा भाग्यश्री बानाइत को सौंपा गया. लेकिन उनका भी जनवरी 2023 में तबादला कर दिया गया और तब से यह पद रिक्त पडा है. जिसके लिए लगातार पत्र भेजे जा रहे है.
* अनुशेष निर्मूलन की अवधि बढी
वहीं दूसरी ओर विदर्भ में अमरावती विभाग में 4 जिलोें में सिंचाई की भौतिक अतिरिक्त निधि की निर्धारित कालावधि निकालने में राज्य सरकार असफल रही है. वर्ष 2019 से 2021 तक वाशिम तथा जून 2022 तक अमरावती, अकोला व बुलढाणा इन तीन जिलों के परिशिष्ट जारी करने की अवधि निश्चित की गई थी. परंतु अब जून 2025 तक अकोला व बुलढाणा का अनुशेष दूर करने की अवधि दी गई है. वहीं अमरावती व वाशिम के लिए यह मुदत जून 2024 तक है. आंकडेवारी के अनुसार 2019 की तुलना में अमरावती संभाग का अनुशेष 55 फीसद से कम हुआ है.
* अनुशेष की जिला निहाय स्थिति
जिला जून 2019 जून 2023
अमरावती 67,707 हे. 10,510 हे.
अकोला 43,940 हे. 27,006 हे.
वाशिम 5,608 हे. 3,645 हे.
बुलढाणा 45,884 हे. 31,850 हे.
कुल 1,63,139 हे. 73,011 हे.