अमरावती

विद्याभारती वक्तृत्व स्पर्धा का फिरता चषक

आकांशा असनारे स्पर्धा की मुख्य विजेता रही

अमरावती प्रतिनिधि/दि. 28 – शहर की कॅम्प, परिसर की विद्याभारती महाविद्यालय की राज्यस्तरीय आंतर महाविद्यालयीन वक्तृत्व स्पर्धा दि.23 जनवरी 2021 को महाविद्यालय की दृकश्राय सभागृह में संपन्न हुई. सुबह ठीक 9.30 बजे इस स्पर्धा का उदघाटन हुआ. यह स्पर्धा विद्याभारती जेम्स की अध्यक्षा मंजरीताई शेखावत के प्रयासों से हुई . यह थोडे दिनों में ही राज्यभर में प्रसिध्द हुई. इस स्पर्धा का यह छठवां वर्ष है. इस स्पर्धा में बडी संख्या में स्पर्धकों ने भाग लिया व उत्तम प्रतिसाद दिया.
इस स्पर्धा का शुभारंभ क्रांतिकारक सुभाषचंद्र बोस की प्रतिमा को माल्यार्पण कर किया गया. उदघाटन के समय अमरावती विभाग के सहसंचालक डॉ.केशव तुपे थे. इस अवसर पर मंच पर विद्याभारती शैक्षणिक संस्था के सचिव डॉ.अशोक चव्हाण, प्राचार्य डॉ. प्रज्ञा येनकर, राज्यस्तरीय वक्तृत्व स्पर्धा के मुख्य संयोजक डॉ. आर. एस. पाटिल, जेम्स के समन्वयक प्रा.अमित जयस्वाल उपस्थित थे.
स्पर्धा का प्रास्ताविक करते समय डॉ. आर. एम पाटील ने इस स्पर्धा की भूमिका विशद की. इसमें उन्होंने बताया कि महाराष्ट्र के वक्ताओं की परंपरा बताते समय बालशास्त्री जांभेकर से तथा प्र.के .अत्रे, राम शेवालकर, शिवाजीराव भोसले की वाणी से महाराष्ट्र के लोगों को नया विचार दिया. गुगुल नाम के सर्च इंजिन के समय वक्ताओं का महत्व बताया. डॉ.केशव तुपे ने कोविड19 के समय यह स्पर्धा आयोजित की उस संबंध में महाविद्यालय की प्रशंसा की. उन्होंने कहा कि मैं वक्ता होने की अपेक्षा अच्छा श्रोता है, ऐसा उन्होंने कहा. आगे उन्होंने कहा कि प्रोफेशनल साईड में रखकर कुछ बातों में रूचि होनी चाहिए, जीवन के कुछ समय अपने दिलचस्पी में भी लगाना चाहिए. ऐसा कहकर प्राचार्य डॉ. प्रज्ञा येनकर ने सभी स्पर्धको को शुभकामना व्यक्त की. उन्होंने यह भी कहा कि बोलने की अपेक्षा ज्ञान अधिक होना चाहिए, इसी के साथ शब्दशक्ति सहित ज्ञानशक्ति बढाए, ऐसा आवाहन किया. उद्घाटकीय कार्यक्रम का संचालन प्राध्यापक अश्वीनी राठी व आभार प्रा. अमित जयस्वाल ने माना. इस स्पर्धा में कुल 50 विद्यार्थियों ने अपना वक्तृत्व प्रस्तुत किया. पुणे, मुुबई, लातुर, सातारा, वाशिम ऐसे महाराष्ट्र के विविध क्षेत्र में खिलाडियों ने कोरोना के समय में भी स्पर्धाओं में सहभाग दर्शाया. इसमें कोरोना के कार्य, नई शैक्षणिक नीति, शिक्षा क्रांति के बल पर, मैं किसान बोलता हूॅ, पुस्तकालय इंतजार करते है पढनेवालो का, आनलाईन शिक्षा प्रक्रिया वास्तव और भविष्य के इस विषय पर स्पर्धको ने अपने विचार प्रस्तुत किए. इस वकृत्व स्पर्धा का परीक्षण प्राचार्य डॉ. गणेश टाले, डॉ. वर्षा गावंडे, डॉ. अश्विनीकुमार वाजपेयी ने बंदोबस्त किया .
लगभग 6 घंटे चलने वाला पुरस्कार वितरण समारोह 4.30 बजे संपन्न हुआ.
इस अवसर पर विलास मराठे , पी.टी. पाटिल , डॉ.अशोक चव्हाण, डॉ.प्रज्ञा येनकर, डॉ. आर.एम. पाटिल, प्रा. अमित पाटिल, प्रा. अमित जयस्वाल उपस्थित थे. इस स्पर्धा में प्रथम पुरस्कार आकांशा अविनाश असनारे डॉ.पंजाबराव देशमुख को तथा द्बितीय पुरस्कार राहुल राजेश सावंत, भाउसाहब लहाने महाविद्यालय तथा द्बितीय पुरस्कार राहुल राजेश सावंत, भाउसाहेब लहाने महाविद्यालय, पींजर तथा तृतीय पुरस्कार अश्विनी जयराम तावडे, गरवारे महाविद्यालय पुणे व उत्त्तेजनार्थ मैथिली किशोर फुले को मिला. पुरस्कार वितरण समारोह के समय दो स्पर्धको ने स्पर्धा के आयोजन संदर्भ में अपने मनोगत व्यक्त किए. इस कार्यक्रम का सूत्रसंचालन व आभार डॉ. मीनल खेरडे ने किया.

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