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निधी उपलब्ध कराये जाने की मांग
अमरावती/दि.13 – जिले की चांदुर बाजार तहसील अंतर्गत स्थित श्री क्षेत्र रिध्दपुर को महानुभाव पंथियों की काशी के रूप में जाना जाता है. जहां के सर्वांगीण विकास हेतु तत्कालीन फडणवीस सरकार के कार्यकाल में 250 करोड रूपयों का विकास प्रारूप घोषित किया गया था. साथ ही यहां पर मराठी विश्वविद्यालय साकार करने की भी घोषणा की गई थी. किंतु राज्य की मौजूदा महाविकास आघाडी सरकार द्वारा वर्ष 2021-22 हेतु पेश किये गये बजट में इन कामों हेतु किसी भी तरह की निधी का प्रावधान नहीं किया गया है. जिससे रिध्दपुर के आचार्यों, महंतों व क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों सहित रिध्दपुर वासियों में ठाकरे सरकार के प्रति जबर्दस्त रोष व असंतोष देखा जा रहा है.
उल्लेखनीय है कि, राज्य की पूर्ववर्ती फडणवीस सरकार के कार्यकाल में 250 करोड रूपयों का विकास प्रारूप घोषित होने के साथ ही 22.50 करोड रूपयों की निधी भी प्राप्त हुई थी. जिससे यहां पर कुछ विकास कार्य शुरू भी किये गये थे. किंतु अब निधी के अभाव में विकास कार्य बुरी तरह से प्रभावित हुए और कई कामों को बीच में ही रोकना पडा है. ऐसे में रिध्दपुर के सरपंच गोपाल जामठे, उपसरपंच अब्दुल साबीर, मयंकराज महानुभाव, सुभाष वानखडे, गजानन पोहोकार, मनोज वानखडे, भूषण शिरभाते, नितीन वानखडे व नदीम अख्तर सहित अनेकोें ने रिध्दपुर विकास प्रारूप के लिए निधी बढाकर देने और यहां पर मराठी विश्वविद्यालय स्थापित करने को लेकर सरकार से मांग की है.
सरकार ने निराश किया
श्री क्षेत्र रिध्दपुर को मराठी भाषा का मायका कहा जाता है. ऐसे में उम्मीद थी कि, ठाकरे सरकार द्वारा बजट सत्र में मराठी विश्वविद्यालय की स्थापना को लेकर घोषणा की जायेगी. लेकिन रिध्दपुर को सरकार ने निराश किया है. इसी तरह यहां पर चल रहे विकास कामों के लिए भी निधी का कोई प्रावधान नहीं किया गया है. जिससे यहां पर काम प्रभावित होंगे.
– आचार्य नागराजबाबा शास्त्री
अध्यक्ष, अ. भा. महानुभाव परिषद
तीव्र आंदोलन करना पडेगा
रिध्दपुर स्थित वाजेश्वरी में पंडीत म्हाइंभट ने मराठी भाषा का पहला गद्य ग्रंथ अर्थात ग्रंथराज लीला चरित्र लिखा है. अत: इस परिसर में भारत का पहला मराठी विश्वविद्यालय स्थापित हो, ऐसी विगत कई वर्षों से महानुभाव पंथियोें व मराठी भाषियों की मांग है. अब इस मांग के लिए महानुभाव परिषद को आंदोलन करना पडेगा.
-जयराजबाबा कारंजेकर
प्रचार मंत्री, महानुभाव परिषद
जनभावनाओं का आदर करे सरकार
इस क्षेत्र के मराठी भाषा व संस्कृति का गहरा रिश्ता है. मराठी भाषा के आद्य ग्रंथ लीला चरित्र की रचना इसी पावन भुमि में हुई है. अत: रिध्दपुर की पवित्र भुमि पर मराठी विश्वविद्यालय स्थापित करने के प्रयास विगत कई वर्षों से किये जा रहे है. कुछ दिनों पूर्व जांच समिती ने जगह का भी निरीक्षण किया था और उम्मीद थी कि, इस हेतु बजट में प्रावधान किया जायेगा. लेकिन सरकारी उदासिनता के चलते हमें निराशा हाथ लगी है. सरकार को चाहिए कि, रिध्दपुर सहित समस्त जिलावासियोें, विशेषकर महानुभाव पंथियों व मराठी भाषियों की भावनाओं का आदर करते हुए इस संदर्भ में जल्द से जल्द आवश्यक कृति की जाये.