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मोर्शी/दि.२ – कोई भी गैरव्यवहार करे बगैर केवल कर्मचारी की गलती से स्थानीय खरीदी-बिक्री संस्था में हुए १०० बोरों की गडबडी की चर्चा फिलहाल मोर्शी तहसील में जोरों पर चल रही है. नाफेड के माध्यम से खरीदी किए हुए चना व तुअर के माल में से १०० बोरों का माल खरीदी-बिक्री संस्था की ओर से वखार महामंडल (सरकारी गोदाम) को समय के भीतर नहीं भेजा गया. बाद में कर्मचारी की गलती को ठीक करने के लिए मैनेजर ने इसमें काफी एडजेस्टमेंट करने का प्रयास किया, लेकिन इसमें दो किसानों का नुकसान होने की गहरी संभावना दिखाई दे रही है.
खरीदी-बिक्री संस्था के माध्यम से नाफेड ने किसानों से तुअर व चना खरीदी किया था. इसमें ३५,२२४ क्विंटल तुअर व २९,७३६ क्विंटल चना की खरीदी हुई थी. खरीदी की मुद्दत १५ अगस्त थी, लेकिन माल की आवक ज्यादा होने से सहायक निबंधक की इजाजत से दूसरे दिन भी माल की खरीदी की गई थी. यह पूरा माल सरकारी गोदाम में देते समय कर्मचारी की गलती से १०० बोरों की नोंद कम ली गई व उतना माल भी सरकारी गोदाम को भेजने का ही रह गया. यह बात बाद में ध्यान में आने पर शेष माल पुन: सरकारी गोदाम की ओर भेजा गया. लेकिन सरकारी गोदाम की भी खरीदी की मुद्दत खत्म होने से उन्होंने वह माल वापस भेजा. अब इन १०० बोरों का हिसाब कागजों पर बराबर करने के लिए खरीदी-बिक्री संस्था के मैनेजर्स सहित संबंधित कर्मचारियों की तार पर की कसरत शुरू हो चुकी है. १०० बोरों की नाफेड द्वारा ही खरीदी कम दर्शाई गई.
इसके लिए दो किसानों को उनका माल वापस ले जाने का आग्रह किया, लेकिन इन किसानों ने अपना माल नाफेड को बेचा रहने की वजह से उन्होंने मैनेजर्स की यह विनती स्वीकारना संभव ही नहीं था. उन्होंने साफ इन्कार किया. उसके पश्चात कृषि उपज बाजार समिती के यार्ड में यह माल रखकर व्यापारियोें के माध्यम से इस माल की खरीदी की गई. उसकी रकम २ लाख ५५ हजार ८०० रूपये है. यह रक्कम उस किसान तक अभी भी नहीं पहुंची है.
साथ ही बाजार समिती में सरकार के समर्थन मूल्य के अनुसार ही यह खरीदी हुई होगी तो वह किसानों को भी मान्य होगा, लेकिन रकम कम रहने पर किसान पुन: इन्कार करने की संभावना है. इसलिए फिलहाल यह मामला खत्म हुआ, ऐसा नहीं मान सकते. इस दौरान खरीदी-बिक्री संस्था के अध्यक्ष ने इस मामले में मैनेजर्स को लिखित जवाब मांगा है और उसी वजह से यह मामला प्रकाश में आया है.