* राज्य सरकार द्वारा नीति बदले जाने के संकेत
अमरावती/दि.20– शिक्षा का अधिकार के तहत होनेवाले शाला प्रवेश थम गए है. जिससे अभिभावक पसोपेश में है. नाना प्रकार की चर्चाएं चल रही है. जिसमें सरकारी स्तर पर कौनसा कार्यक्रम कब घोषित होता है, इसका पालक वर्ग इंतजार कर रहा है.
शिक्षा का अधिकार कानून में प्रावधान है कि, आर्थिक रुप से कमजोर वर्गो के विद्यार्थियों को 25 प्रतिशत स्थान दिए जाए. फरवरी आधा बीत चुका है, फिर भी शिक्षा विभाग ने इस बारे में कोई सूचना जारी नहीं की है. प्रवेश प्रक्रिया को लेकर पालक वर्ग पसोपेश में आ गया है.
कहा जा रहा है कि, राज्य शासन भी पडोसी कर्नाटक सरकार के समान पैटर्न लागू कर सकता है. जहां अंग्रेजी माध्यम की शालाओ में 25 प्रतिशत सीटे आर्थिक रुप से पीछडे वर्ग के लिए आरक्षित की जाती है. उनकी फीस राज्य सरकार अदा करेगी.
शालाओ का फीस का बकाया काफी बढ गया है. कोरोना से पहले जहां प्रति छात्र 17 हजार रुपए अदा किए जाते थे वहीं कोरोना दौरान यह राशि 8 हजार रुपए प्रति छात्र कर दी गई थी. अंग्रेजी माध्यम की शालाओ के सरकार पर करोडो रुपए बकाया है. कर्नाटक पैटर्न अपनाने पर सरकार को शालाओं को कम भुगतान करना पडेगा. साफ है कि, सरकार की तिजोरी पर भार कम होगा. ऐसे विद्यार्थियों को सरकारी शालाओ में पहले एडमिशन देने और फिर अंग्रेजी माध्यम शालाओ में रिक्त सीटों पर प्रवेश देने की योजना होने का सुनने में आ रहा है. काफी कुछ अस्पष्ट होने से पालक वर्ग चिंतित है.