अल्फाटोक्सीन’ से कैंसर होने का खतरा

अमरावती/दि.12– मुंगफल्ली के दाने में नमी का प्रमाण 9 फीसद से अधिक रहने पर ‘अस्पर्जीलस’ नामक फफूंद में वृद्धि होकर ‘अल्फाटोक्सीन’ की निर्मिती होती है. जिसके परिणामस्वरुप बीज की उपज क्षमता कम हो जाती है. साथ ही ऐसे बीजों का सेवन करने पर कैंसर जैसी गंभीर बीमारी होने का खतरा भी रहता है.
इस समय मुंगफल्ली की फसल वृद्धिंगत अवस्था में है और फसल की कटाई सावधानीपूर्वक करने पर गुणवत्तापूर्ण उत्पादन हासिल किया जा सकता है. फसल के पककर तैयार हो जाने पर मुंगफल्ली के पौधे के पत्ते पिले पडने लगते है और झडने शुरु हो जाते है. साथ ही फल्लीयों का टरफल भी कडक हो जाता है. एक पौधे में लगभग 75 फीसद फल्लीयां पककर तैयार हो जाने के बाद मुंगफल्ली की कटाई की जानी चाहिए अन्यथा उपज में कमी रहने की भी पूरी संभावना रहती है.
मुंगफल्ली की कटाई के समय जमीन में जरुरत से ज्यादा आद्रता रहने पर फल्लीयों के भीतर अंकुरन होने की शुरुआत हो जाती है. जिसके चलते कई बार 50 फीसद तक नुकसान भी होता है. कटाई के बाद मुंगफल्लीयों को एक ही स्थान पर ढेर लगाकर जमा करने बजाए जमीन पर फैलाकर रखना चाहिए और उन्हें धूप में सुखाना चाहिए, ऐसी सलाह डॉ. पंजाबराव देशमुख कृषि विद्यापीठ के तिलहन संशोधन विभाग एवं वनस्पति रोग शास्त्र विभाग द्वारा दी गई है.
* अन्यथा हो सकती है गंभीर बीमारियां
मुंगफल्ली के दानों में पानी का प्रमाण 7 फीसद तक आने के बाद उसका सुरक्षित स्थान पर संग्रहन करना चाहिए. वहीं यदि फल्ली दाने में गिलेपन का प्रमाण 9 फीसद से अधिक रहता है तो इसके चलते अस्पर्जीलस नामक फफून में वृद्धि होकर ‘अल्फाटोक्सीन’ की निर्मिती होती है. जिसके परिणामस्वरुप बीजों की उपज क्षमता कम होती है और ऐसे फल्ली दानों का सेवन करने पर कैंसर जैसी बीमारी होने की भी संभावना रहती है.
* फफून वाला कुटार जानवरों के लिए भी घातक
मुंगफल्ली का संग्रहन किए जानेवाला कमरा व स्थान पूरी तरह से साफसुथरा होना चाहिए. जहां पर मुंगफल्ली को बोरों में भरकर रखा जाना चाहिए और उसकी हर महिने जांच-पडताल भी की जानी चाहिए. मुंगफल्ली व पत्तों व डंठल का प्रयोग जानवरों के चारे के तौर पर भी किया जाता है. परंतु नमी के चलते फफून के संक्रमन का शिकार रहनेवाली फसल से बने चारे का सेवन कर जानवर भी बीमार पड सकते है. अत: मुंगफल्ली के कुटार को पहले धूप में अच्छी तरह से सूखा लेना चाहिए और इसके बाद ही उसे जानवरों को खाने हेतु दिया जाना चाहिए.