अमरावती

कोविड काल में घटे और अनलॉक में बढे सडक हादसे

खाली सडकों पर फर्राटे से वाहन चलाने की प्रवृत्ति बढी

  • अनलॉक के दौरान सडक हादसों में गई 38 लोगों की जान

अमरावती/प्रतिनिधि दि.२८ – गत वर्ष मार्च माह के दौरान कोविड संक्रमण के खतरे को देखते हुए देशव्यापी लॉकडाउन लगाया गया था. जिसकी वजह से हर कोई अपने-अपने घरों में रहने के लिए मजबूर था और सडकों पर पूरी तरह से सन्नाटा पसरा हुआ था. वहीं कालांतर में धीरे-धीरे अनलॉक की प्रक्रिया शुरू की गई. जिससे सडकों पर एक बार फिर भीडभाड का दृश्य दिखाई देने लगा. किंतु इस दौरान लोगों की वाहन चलाने संबंधी आदतों व प्रवृत्ति में काफी हद तक बदलाव देखा गया और पहले की तुलना में सडकों पर भीडभाड कम रहने की वजह से लोगबाग काफी तेज गति से फर्राटे के साथ अपने वाहन सडकों पर दौडाने लगे. जिसकी वजह से अब आये दिन कहीं न कहीं कोई सडक हादसा घटित हो रहा है और विगत पांच माह के दौरान घटित 151 सडक हादसों में 38 लोगों की जान गई है.
ज्ञात रहें कि, कोविड संक्रमण काल के दौरान लॉकडाउन के चलते सभी तरह के वाहन लंबे समय तक एक ही जगह पर खडे रहे. जिससे उनकी समूचित तरीके से देखभाल और दुरूस्ती नहीं हो पायी. वहीं इस दौरान नादुरूस्त सडकों की देखरेख का काम भी नहीं हो पाया. ऐसे में नादुरूस्त सडकों पर कुछ हद तक नादुरूस्त वाहनों के दौडने की वजह से साथ ही सुनसान सडक पर फर्राटा भरने की प्रवृत्ति की वजह से अब एक बार फिर सडक हादसों की संख्या में इजाफा होता देखा जा रहा है. विगत पांच माह के दौरान शहर पुलिस आयुक्तालय के कार्यक्षेत्र में 151 सडक हादसे हुए. जिनमें 38 लोगों की जान जाने के साथ ही 116 लोग बुरी तरह से घायल हुए है.

  • पैदल चलनेवालों के लिए भी खतरा

ऐसा नहीं है कि, सडक हादसों में केवल वाहन सवारों की ही मौत हुई या वे घायल हुए, बल्कि सडक से पैदल गुजर रहे लोग भी ऐसे हादसों का शिकार हुए है. कई स्थानों पर खेत से काम निपटाकर अपने घर की ओर पैदल जा रहे किसानों व खेतीहर मजदूरों को पीछे से आ रहे वाहनों द्वारा टक्कर मारी गई. जिसमें कई लोगों की मौत भी हुई है, वहीं कुछ लोग घायल भी हुए है.

  • मृतकों में युवाओं की संख्या सर्वाधिक

विगत पांच माह के दौरान शहरी क्षेत्र में हुए हादसों में करनेवालों में युवाओं का प्रमाण सर्वाधिक रहा. तेज रफ्तार के साथ वाहन चलाने, शराब पीकर वाहन चलाने की वजह से अधिकांश युवा हादसों का शिकार हुए.

  • ‘ब्लैक स्पॉट’ पर नहीं सूचना फलक

उल्लेखनीय है कि, इन दिनों शहर में हर ओर सिमेंट के सपाट व चिकने रास्ते तैयार हो गये है. जिन पर युवाओं द्वारा अपने दुपहिया व चारपहिया वाहन सरपट भगाये जाते है, लेकिन शहर में कई स्थानों पर ‘ब्लैक स्पॉट’ है, जहां पर वाहन धीरे चलाना जरूरी होता है, लेकिन इन स्थानों पर किसी भी तरह का कोई सूचना फलक नहीं लगाया गया है. जिसकी वजह से आये दिन ऐसे स्थानों पर हादसे घटित होने की संभावना बनी रहती है.

  • हादसों की वर्षनिहाय स्थिति

वर्ष         हादसे     घायल   मौतें
2018     453       376     90
2019     465       314     92
2020     385       274     81
2021 (मई माह तक) 151 116 30

  • लॉकडाउन में घटा हादसोें का प्रमाण

ज्ञात रहें कि, वर्ष 2020 में अधिकांश समय कडे लॉकडाउन में बीता और जून माह से अनलॉक की प्रक्रिया शुरू होने के बावजूद लोगों में कोविड संक्रमण को लेकर काफी हद तक भय का माहौल था, क्योंकि जुलाई माह के बाद संक्रमण की रफ्तार तेज हुई थी और सितंबर माह आते-आते ही हालात काफी विस्फोटक हो गये थे. किंतु इसके बाद धीरे-धीरे लोगों में काफी हद तक लापरवाही बढने लगी. जिसके परिणामस्वरूप फरवरी माह से कोविड संक्रमण की दूसरी लहर शुरू हुई और एक बार फिर लॉकडाउन लागू करने के साथ ही प्रतिबंधात्मक आदेश जारी किये गये. यहीं वजह रही कि, वर्ष 2020 तथा 2021 के पहले पांच माह के दौरान सडक हादसों की संख्या अपेक्षाकृत तौर पर कम रही.

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