परतवाड़ा/अचलपुर दि. 28 – स्थानीय उपजिला अस्पताल अचलपुर में कार्यरत डॉ वैभव पाटिल (एमडी) के अस्पताल में बिना अनुमति के एक मरीज का, कोरोना संक्रमण के लिए गलत इलाज करने का आरोप लगाया जा रहा है.
मोर्शी निवासी आदर्श शिक्षिका प्रतिभा टिपरे इनका समय पर योग्य इलाज न करते हुए गलत औषधोपचार करने से इलाज के दौरान ही नागपुर में उनकी मृत्यु हो गई.इस बारे में उनके पति रविन्द्र उतमराव टिपरे ने परतवाड़ा पुलिस स्टेशन में शिकायत दी है.शिकायत की प्रतिलिपि जिलाधीश और स्वास्थ्य मंत्रालय को भी प्रेषित की गई.आगे पुलिस इन संदर्भ में जांच कर रही.बताया जाता है कि अपनी शिकायत में रविन्द्र टिपरे ने डॉ पाटिल और उनके अस्पताल प्रबंधन को लेकर गंभीर आरोप लगाए है.सभी वरिष्ठों से शिकायत ओर कार्रवाई की मांग की गई.
गौरतलब है कि अचलपुर-परतवाड़ा में कोरोना का इलाज करने के लिए अस्पताल खोंलने से पूर्व जिला शल्य चिकित्सक और उपजिला अस्पताल की अनुमति लेना जरूरी होता है.डॉ वैभव पाटिल के अस्पताल में कोरोना का इलाज होता है इस आशय का कोई दस्तावेज वरिष्ठों के पास उपलब्ध नही होने की जानकारी मिली है.जिलाधीश शैलेश नवाल के नेतृत्व की एक कमेटी कोरोना रुग्णालय को अनुमतीं प्रदान करती है.अस्पताल के लिए योग्य जगह, वेंटिलेटर, आक्सीजन ,कंसंट्रेटर, स्टाफ आदि सभी आवश्यक संसाधनों की पृष्टि होने के बाद निजी कोविड सेंटर को अनुमतीं दी जाती है.संबंधितों द्वारा आरोप लगाया जा रहा है कि जब डॉ वैभव पाटिल के अस्पताल को कोरोना इलाज की अनुमति ही नही दी गई तब उन्होंने कोरोना पेशंट का उपचार किस आधार पर किया.बहरहाल , यह बात सिर्फ डॉक्टर पाटिल के अस्पताल को लेकर ही नही की जा रही अलबत्ता शहर कुछ दवाखानों में मरीजों की अज्ञानता को व्यवसायिक रूप से खूब कैश किया जा रहा है.भर्ती कोरोना पेशंट को दवाखाने के भीतर कौनसी दवा , किस मूल्य की दवा कब,कितनी बार दी गई इसका गवाह कोई भी परिजन नही होता है.डॉक्टर जो हिसाब लिख दे उसे मानने के अलावा कोई रास्ता शेष नही रहता.इस लूटमार के असंख्य भुक्तभोगी तहसील में देखनें को मिल सकते है.
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बिना अनुमति के दवाखाना
डॉ वैभव पाटिल यह उपजिला अस्पताल में कार्यरत है.शासकीय सेवा में कार्यरत रहते हुए निजी अस्पताल का संचालन नही किया जा सकता.शासकीय डॉक्टर अपनी निजी सेवाएं नही दे सकता है.बावजूद इसके परतवाड़ा से अचलपुर रोड पर,एलआइसी के पास डॉ पाटिल का दवाखाना शुरू है.यह नियम बाहय होने के बाद भी अभी तक स्वास्थ्य विभाग और नगर पालिका ने किसी भी प्रकार की कार्रवाई नही की है.परतवाड़ा-अचलपुर जुड़वाशहर में इस प्रकार बिना अनुमति के और कितने दवाखाने शुरू है,इसकी छानबीन करना भी आज जरूरी हो चुका है.
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न्यायालय से स्टे लाकर अस्पताल
हमने इस संदर्भ में डॉ ढोले से प्रश्न किया तब उनका कहना था कि 2011 के पहले जिनकी नियुक्ति सरकारी अस्पताल में हुई है उन्हें यह सेवा शर्ते लागू नहीं है.यहाँ गौरतलब है कि शहर में खुद डॉ सुरेंद्र ढोले भी एक निजी अस्पताल का संचालन करते है.ढोले के अनुसार,’ मैने कोर्ट से स्टे प्राप्त कर निजी प्रैक्टिस शुरू की है ‘. उन्होंने यह भी बताया कि ऐसे अनेक डॉक्टर्स है जो कोर्ट के स्टे को प्राप्त कर निजी प्रैक्टिस कर रहे है.
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मैने कोरोना का इलाज नहीं किया है – डॉ वैभव पाटिल
आदर्श शिक्षिका प्रतिभा टिपरे के परिजनों की ओर से अपने ऊपर लगाए गए सभी आरोपो को सिरे से खारिज करते हुए डॉ वैभव पाटिल ने कहां कि न तो वो कोविड 19 का उपचार करते है और न ही उन्होंने प्रतिभा टिपरे इस मरीज का कोरोना के लिए कोई इलाज किया है.मेरे अस्पताल में आने से पूर्व पेशंट अन्य चिकित्सक अथवा दूसरे अस्पताल में भी अपना इलाज करवा चुका था.मैने ‘ सारी ‘ रोग का आंकलन (डायगनोसिस )होने पर इलाज किया.एक पोस्ट ग्रेजुएट एमडी चिकित्सक के नाते जो भी संभव इलाज किया जा सकता था,वो सब मैने करने की कोशिश की है.कोई भी डॉक्टर अपने ‘इलाज ‘ (ट्रीटमेंट ) की बदनामी कभी नही चाहता है.मेरे अस्पताल को छोड़कर अन्यत्र जाने का फैसला भी पेशंट के परिजनों का ही था.मैने अमरावतीं में उन्हें जिस डॉक्टर् के पास रेफर किया था,मरीज को उस डॉक्टर के पास नही ले जाया गया है.कुछ अन्य समस्या के चलते परिजन पेशंट को अपने निर्णय से रेफर डॉक्टर की बजाय दूसरे डॉक्टर के पास ले गए.15 तारीख तक पेशंट की हालत ठीक ही थी.आगे अमरावतीं,नागपुर में क्या हुआ,कैसे उपचार हुआ..यह मैं नही बता सकता हूँ.
डॉ पाटिल ने प्रखरता के साथ यह भी कहाँ कि मेरे अस्पताल में कोविड 19 का इलाज नहीं किया जाता है.आज तक मैंने अनेक कोविड पेशंट शासकीय अस्पताल में ही रेफर किये है.मेरे अस्पताल के रिसेप्शन पर भी यह सूचना लिखी हुई है कि हम कोविड का इलाज नहीं करते है.इसलिए यह तथ्यहीन इल्जाम है कि मैने पेशंट का गलत इलाज किया, ज्यादा पावर की औषधि दी,और कोरोना का इलाज भी किया.मैने अपने अधिकार क्षेत्र में, एक मर्यादा में रहकर पेशंट की स्वास्थ्य सेवा करने का काम किया है.पेशंट मेरे पास आने से पूर्व भी किसी दूसरे डॉक्टर से अपना उपचार करा चुका था.
डॉ वैभव पाटिल ने सभी सवाल के जवाब देते हुए आगे कहा कि अब रहा सवाल मेरी निजी प्रैक्टिस का तो उसके भी कानून कायदे है.मै अभी तक शासकीय सेवा में स्थायी(परमानेंट )नही हुआ हूँ.मेरे प्रोबेशन पीरियड ही अभी खत्म नहीं हुआ.कोरोना संकटकाल के चलते मुझे स्थायी करने का अभी तक कोई आदेश प्राप्त नही हुआ.पाटिल ने नियम बताते हुए यह भी कहा कि जो परमानेंट गवर्मेंट डॉक्टर नॉन प्रैक्टिस अलाउंस प्राप्त करते है,वो निजी प्रैक्टिस नही कर सकते है.मैने नॉन प्रैक्टिस अलाउंस मुझे नही चाहिए ऐसा लिखकर दे रखा है.मुझे अभी तक परमानेंट नही किया गया.सेवा शर्ते मुझपर अभी लागू नहीं होती.मै पीजी (पोस्ट ग्रेजुएट )होने के बाद भी मुझे आज एक सामान्य एमबीबीएस डॉक्टर का वेतन ही दिया जा रहा है.मुझे न तो वेतनवृद्धि लागू है और ना ही कोई अन्य अलाउंस मिलता है.परमानेंट होने के बाद यह सब बातें कोर्ट के आदेश पर लागू हो सकती है.मेरे द्वारा नॉन प्रैक्टिस अलाउंस नही चाहिए लिखकर देना ही अन्य आरोप का जवाब कहाँ जा सकता है.न्यायालय के आदेश अथवा स्टे को लेकर निजी प्रैक्टिस भी की जा सकती है.मैने कभी भी कोरोना इलाज केंद्र के नाम से न तो कोई बोर्ड लगाया है, ना कोई अनुमतीं मांगी है और ना ही किसी कोविड पेशंट का इलाज किया है.