अमरावतीविदर्भ

मरीजों की लूट, प्रशासन सुस्त

गंभीर मरीजों को सुपर स्पेशालीटी का सहारा

  • मनपा ने भेजी स्वास्थ्य विभाग को रिपोर्ट

अमरावती/दि.९ – इस समय अमरावती शहर सहित जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना की बीमारी का संक्रमण काफी अधिक बढ गया है. जिसका फायदा उठाते हुए कई डॉक्टरों द्वारा इसे कमाई का अवसर मानकर मरीजों की लूट शुरू की गई है. ऐसे आरोप लगने शुरू हो गये है. साथ ही इस संदर्भ में मनपा के पास कई शिकायतें भी मिली है. उल्लेखनीय है कि, विगत दो दिनों के दौरान ही ५०० से अधिक संक्रमित मरीज अमरावती में पाये गये है और कोरोना को लेकर हालात गंभीर होते रहने के बीच कुछ निजी डॉक्टरों ने मौके का फायदा उठाना शुरू कर दिया है, ऐसे आरोप भी अब तेज हो चुके है.

उल्लेखनीय है कि, सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्थाओं पर लोगों का विश्वास नहीं रहने के चलते इन दिनों कुछ निजी डॉक्टरों की जबर्दस्त चांदी हो रही है और सामान्य बुखार का इलाज करने से इन्कार करनेवाले डॉक्टर भी अब कोरोना का इलाज करने हेतु आगे आ रहे है. ज्ञात रहे कि, कोरोना के प्रारंभिक काल में जिलाधीश शैलेश नवाल व मनपा आयुक्त प्रशांत रोडे ने सभी निजी डॉक्टरों से आगे आकर कोरोना के खिलाफ जारी संघर्ष में सहयोग देने का आवाहन किया था. जिसे डॉक्टरों की ओर से अपेक्षित प्रतिसाद नहीं मिला था. लेकिन अब सामाजिक दायित्व निभाने के नाम पर शहर में कई निजी कोविड अस्पताल शुरू हो रहे है. जिसके तहत कुछ डॉक्टरों ने अपने दवाखानों में ही कोविड सेंटर तैयार किये है. वहीं कुछ ने अन्य लोगों के साथ भागीदारी करते हुए कोविड हॉस्पिटल शुरू किये है. इन निजी कोविड अस्पतालों में सरकार द्वारा निर्धारित की गई दरों पर ही कोरोना संक्रमित मरीजोें का इलाज किया जाना अनिवार्य है. लेकिन कई निजी अस्पतालों में इलाज के लिए दोगुनी दरे ली जा रही है. साथ ही इलाज पूरा होने के बाद डिस्चार्ज के समय कोई बिल भी नहीं दिया जा रहा. इसके अलावा कुछ निजी कोविड अस्पतालों में ऑनलाईन पेमेंट व कैशलेश व्यवहार भी स्वीकार नहीं किया जा रहा, ऐसी जानकारी है.

एक इंजेक्शन की कीमत ६५ हजार रूपये!

स्थानीय गडगडेश्वर प्रभाग में रहनेवाले एक व्यक्ति को कोरोना संक्रमित होने के बाद शहर के एक निजी अस्पताल में इलाज हेतु भरती किया गया. उसके फुफ्फुस में इंफेक्शन रहने के चलते उसे मटोसीलीझूमै-४०० ग्राम इंजेक्शन दिया गया. इस इंजेक्शन की कीमत करीब ४२ हजार रूपये होती है. जिसके लिए इस मरीज से ६५ हजार रूपये लिये जाने की जानकारी है. जिसका सीधा मतलब है कि, इस इंजेक्शन की जमकर कालाबाजारी हो रही है.

आर्थिक गडबडियां पायी गयी

निजी कोविड अस्पतालों में निर्धारित दरों से अधिक पैसे लिये जाते है. इस आशय की शिकायतें मिलने के बाद मनपा आयुक्त प्रशांत रोडे ने लेखा परीक्षण के आदेश जारी किये थे. जिसके बाद लेखा परीक्षण शुरू किया गया और एक दवाखाने में चार से पांच मरीजों से ज्यादा शुल्क लिये जाने की जानकारी सामने आयी. जिसकी रिपोर्ट आयुक्त के मार्फत स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव को भेजी गयी है. साथ ही इसकी प्रतिलिपी जिलाधीश व संभागीय आयुक्त को भी दी गई है. इस आशय की जानकारी मनपा के मुख्य लेखा परिक्षक राम चव्हाण ने दी है.

ऑक्सिजन के लिए सरकारी अस्पताल

जानकारी है कि, बेहद गंभीर हालात में पहुंच जानेवाले कोरोना संक्रमित मरीजों को निजी कोविड अस्पतालों द्वारा यह कहते हुए सुपर स्पेशालीटी अस्पताल में रेफर कर दिया जाता है कि, मरीज को ऑक्सिजन व वेंटिलेटर पर रखना जरूरी है. जबकि निजी कोविड केयर सेंटर शुरू करने से पहले वहां पर ऑक्सिजन पॉइंट, आयसीयू व वेंटिलेटर की सुविधा उपलब्ध रहने की बात करते हुए ही प्रशासन से अनुमति ली जाती है. साथ ही इन दवाखानों में मरीज के सामान्य स्थिति में रहने तक उसका इलाज कर लाखों रूपयों का बिल निकाला जाता है. और जैसे ही कोई मरीज गंभीर स्थिति में जाता दिखाई देता है, तो उसे तुरंत ही सुपर स्पेशालीटी के सरकारी कोविड अस्पताल में रेफर कर दिया जाता है. ताकि यदि उस मरीज की मौत हो, तो उस मौत का ठीकरा निजी कोविड अस्पताल की बजाय सरकारी कोविड अस्पताल पर फुटे. इससे पहले शहर में ऐसे दो-तीन मामले उजागर हो चुके है.

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