अमरावती

रोजे का मतलब केवल भूखा रहना नहीं, बल्कि नेकी करना है

डॉ.मोहम्मद कहाड़े ने समझाया महत्व

* वहेदतनगर में इफ्तार कार्यक्रम
अमरावती / दि.३– जमात-ए-इस्लामी हिन्द अमरावती शाखा, यूथ विंग तथा एस.आई.ओ द्वारा सैफिया स्कूल के पास वहेदत नगर की मस्जिद-ए-तौहिद में इफ्तार कार्यक्रम मगरीब की नमाज से पहले आयोजित किया गया. इस कार्यक्रम में प्रमुख वक्ता एवं जमात-ए-इस्लामी हिन्द, अकोला के डॉ.मोहम्मद उमर कहाडे़ ने कहा कि, जीवन हमारे हाथ में है, ना मृत्यु, फिर भी हम दूसरों पर अपना प्रभुत्व सिद्ध करने का प्रयास करते हैं. ऐसा तब होता है, जब आदमी का अहंकार और वासना शरीर पर आधिपत्य कर लेती है. शरीर से वासना और अहंकार का आधिपत्य हटाने के लिए ही रोजे का आविष्कार हुआ. यह तकवा निर्माण करने का सबसे अच्छा तरीका है. जो इन्सान झूठ बोले, उसके मरने-जीने से अल्लाह को भी कोई फर्क नहीं पड़ता. रोजे का मतलब केवल भूखा रहना नहीं. बल्कि दुष्कर्मों से दूरी बनाते हुए नेकी करना होता है. जो नेकी की राह पर चलता है, उसे ही इन्सान कहा जाना चाहिए. रोजा इन्सान को इन्सान बनाता है. कार्यक्रम में बतौर अतिथि पुलिस आयुक्त नवीनचंद्र रेड्डी, गाडगेनगर पुलिस थाने के पुलिस निरीक्षक आसाराम चोरमले भी प्रमुख रूप से उपस्थित रहे. कार्यक्रम का प्रारंभ अजमत उल्लाह खान द्वारा पवित्र कुरान के पठन और अनुवार से हुआ. कार्यक्रम की प्रस्तावना जमात-ए-इस्लामी हिन्द के स्थानीय अध्यक्ष रफीक अहमद खान ने रखी. डॉ. कहाड़े ने कहा कि, कुरान केवल मुसलमानों का धर्मग्रंथ नहीं. कुरान पर हर व्यक्ति का समान अधिकार है. रमजान में इन्सान को बुरा देखने, सोचने, करने, बोलने का उपवास करना चाहिए. रमजान का महीना वैसे तो बाकी महीनों से अलग नहीं होता. लेकिन इस महीने में कुछ खास हुआ था, इसलिए हर कोई इसे पवित्र मानता है. दरअसल इस पाक महीने में अल्लाह ने दुनिया का आखिरी ग्रंथ इस धरती पर अवतरित किया. जिसे हम कुरान के नाम से पहचानते हैं. यह धर्म अल्लाह ने खुद लिखा है. अल्लाह यानी वह, जिसने इस सृष्टि का निर्माण किया है. दुनिया में कुरान ही एक अकेला ग्रंथ नहीं. इससे पहले भी अल्लाह ने अपने कई ग्रंथ इस धरती पर उतारे. लेकिन कुरान उनमें से आखिरी है. ऐसा कुरान में लिखा है. कुरान में यह भी लिखा है, कि इस ग्रंथ से कोई छेडखानी नहीं की जानी चाहिए. इसके एक-एक शब्द को वैसे ही पढा जाना चाहिए. जैसा अल्लाह ने इसे लिखकर भेजा है. इसलिए दुनिया के सभी ग्रंथों में बदलाव हुआ. लेकिन अकेले कुरान में कोई बदलाव नहीं किया गया. कुरान में लिखा गया है, कि हर किसी को रोजा रखना चाहिए. रोजा रखने से तकवा कायम होता है. तकवा यानि दुनिया के निर्माता को अपना सबकुछ अर्पित कर देना और उसके बताए मार्ग पर चलना. कार्यक्रम में जमात-ए-इस्लामी हिंद के जिलाध्यक्ष काजी लईक अहमद, वाजिदुल्लाह खान, अजमत उल्लाह खान, प्रा. मोहम्मद अय्यूब, नजर खान, मुमताज हुसैन, मोहम्मद नासिर, जुन्नेद मेमन, जावेदउल्लाह खान, मोहम्मद झाकिर, काजी मोहम्मद रफीक, मोहम्मद अनिस, मस्जिद ए तौहीद के इमाम हाफिज अब्दुल कादिर, प्रा. महफूज अली, हाजी अब्दुल कादिर साहब, डॉ. सुफियान अस्करी, प्रा. महफूज अली, हाजी अब्दुल कुद्दुस, खालिद जमील, इकरामोद्दीन सऊद, हेडमास्टर सूफी, अजहर अली, मोहम्मद अनिस, काजी मतीन अहमद रईस अहमद उर्फ शब्बिर भाई, डॉ. मुदस्सिर, साबिर अली, नवेद खान, गुजनफर अली, आरिफउर रहमान, यूथ विंग और एस.आई.ओ के फव्वाद खान, अहमद खान, दानिश नवेद, अनसनजर खान, काजी अनस फुरकान, सलीम भाई, ठेकेदार इंजीनियर अतहर हुसैन, मुनजिर हुसैन, कामरान काशिफ, जिया खान, सै. नाजिर, जावेद खान, आसिफ खान, सलीम शेख वेंडर, मोहम्मद सलीम, सलीम शहजाद, याह्या खान पठान, मोहम्मद नासिर, दिलकश, सै. अफसर अली, जमात ए इस्लामी हिंद की महिला शाखा की जी.आई.ओ की छात्राएं, सचिन अर्जुने, सतीश श्रृंगारे, शुभम अर्जुने, चेतन इंगोले, पुरुषोत्तम बागडी, महेश खुले, मदन पाटिल, डॉ. गणेश खारकर, अंकुश हिंगकर, रामदास तायडे, ज्ञानेश्वर ढोलेकर आदि उपस्थित रहे. सैकडों की जमात ने एकसाथ बैठकर इफ्तार किया. इसमें सभी जाति धर्मर्ं के लोग उपस्थित रहे.
* पुलिस प्रशासन पर मजबूत विश्वास हो
पुलिस कमिश्नर नवीनचंद्र रेड्डी ने कहा कि, रमजान का महीना सही से गुजरे इसलिए पुलिस विभाग पूरी कोशिश करता है. इस महीने मुस्लिम समाज अल्लाह के करीब जाने का प्रयास करता है और समाज में उन्नति के लिए इबादत करता है. कुरान में लिखित सुविचारों को पढा व समझाया जाता है. यह सब करते समय जमात को पुलिस प्रशासन पर मजबूत विश्वास होना चाहिए. जो भी अविश्वास प्रशासन और लोगों के बीच निर्माण हो जाते हैं, उन्हें आपस में मिल बैठकर सुलझाना जरुरी होता है. मुस्लिम समाज सामाजिक कार्यों में सबसे आगे रहता है और सबकी मदद करता है. दूसरे समाज के लोगों को भी कुरान पढकर उनके बीच फैले भ्रमित विचारों को दूर करना चाहिए. एक संयुक्त समाज के तौर पर हिंदू और मुस्लिम समाज में अच्छी बातचीत जरुरी है. पुलिस पूरी कोशिश करती है कि, दोनों समुदायों में कभी टकराव निर्माण ना हो. सोशल मीडिया पर गलत बातें तेजी से फैल रही हैं. जिन्हें जांच-पडताल के बिना फॉर्वड नहीं किया जाना चाहिए. वॉट्सएप यूनिवर्सिटी में तब्दील हो गया है. लोग इस पर गलत बातें पढते हैं. इसलिए उनकी धारणाएं गलत बनती हैं. सोशल मीडिया का सही उपयोग होना चाहिए. पुलिस और समाज में अच्छा तालमेल होना जरूरी है.

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