अमरावती

कक्षा 11 वीं की प्रवेश प्रक्रिया को लेकर दौर तेज

शहर के ‘ढ’ पहुंच रहे गांव-खेडे में

* गांवों के मेधावी आ रहे शहर में
* कक्षा 10 वीं की अंकपत्रिका मिलने का हो रहा इंतजार
अमरावती/दि.27– कक्षा 10 वीं की बोर्ड परीक्षाओं के नतीजे घोषित होते ही अब विद्यार्थियों में कक्षा 11 वीं की प्रवेश प्रक्रिया को लेकर अच्छी-खासी गहमागहमी देखी जा रही है. जिसके लिए अपनी-अपनी शालाओं के जरिये कक्षा 10 वीं की अंंकपत्रिका मिलने को लेकर प्रतीक्षा की जा रही है, ताकि कक्षा 11 वीं में प्रवेश को लेकर कदम आगे बढाये जाये. उल्लेखनीय है कि, अमरावती शहर में कई नामांकित कनिष्ठ महाविद्यालय है और मनपा क्षेत्र में स्थित सभी कनिष्ठ महाविद्यालयों में केंद्रीय ऑनलाईन प्रक्रिया के तहत प्रवेश दिया जाता है और इस प्रवेश के लिए बाकायदा अंकों की कट ऑफ लिस्ट घोषित की जाती है, यानी विभिन्न शाखाओं के लिए एक तरह से मेरीट सूची के आधार पर ही कक्षा 11 वीं में प्रवेश होता है. ऐसे में बेहतरीन कॉलेज में शिक्षा प्राप्त करने के इच्छूक ग्रामीण क्षेत्रों के विद्यार्थी भी अमरावती आकर इस केंद्रीय ऑनलाईन प्रवेश प्रक्रिया का हिस्सा बनते है. वहीं दूसरी ओर शहरी क्षेत्र की शालाओं से बेहद कम अंकों के साथ कक्षा 10 वीं की परीक्षा में उत्तीर्ण होनेवाले विद्यार्थियों द्वारा ग्रामीण क्षेत्र में स्थित महाविद्यालयों में प्रवेश लिया जाता है. जहां पर मेरीट सूची का कोई आधार नहीं होता. ऐसे में कहा जा सकता है कि, शहर सहित जिले के मेधावी छात्र-छात्राओं द्वारा शहरी क्षेत्र के महाविद्यालयों में प्रवेश हेतु आवेदन किया जाता है. वहीं शहरी क्षेत्र से वास्ता रखनेवाले फिसड्डी यानी ‘ढ’ श्रेणीवाले छात्र ग्रामीण इलाकों की ओर भागते है.
बता दें कि, इस वर्ष कक्षा 10 वीं का परीक्षा परिणाम 96.31 फीसद रहा और 37 हजार 40 विद्यार्थी इस परीक्षा में उत्तीर्ण हुए. अमरावती शहर में कक्षा 11 वीं में प्रवेश हेतु अनुदानित महाविद्यालयों में 9 हजार 710 तथा बिना अनुदानित महाविद्यालयों में 16 हजार 350 सीटें उपलब्ध रहने की जानकारी कक्षा 11 वीं की केंद्रीय ऑनलाईन समिती के समन्वयक अरविंद मंगले द्वारा दी गई है.
* पहली पसंद सायन्स व कॉमर्स को
कक्षा 11 वीं की प्रवेश प्रक्रिया में हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी विद्यार्थियों द्वारा वाणिज्य व विज्ञान शाखा को खासा पसंद किया जा रहा है. अमरावती शहर में विज्ञान शाखा की 7 हजार 80 तथा वाणिज्य शाखा की 2 हजार 810 सीटें प्रवेश हेतु उपलब्ध है.
* कला शाखा में विद्यार्थियों का टोटा
कक्षा 10 वीं के बाद विद्यार्थियों का विज्ञान व वाणिज्य शाखा की ओर रूझान अधिक रहता है. ऐसे में कला शाखा के पास विद्यार्थियों की हमेशा किल्लत रहती है. जिसके चलते कला शाखा में विद्यार्थियों का प्रवेश करने हेतु संबंधित महाविद्यालयों के प्राध्यापकों को अच्छा-खासा प्रयास करना पडता है.
* महाविद्यालयों की प्रवेश क्षमता कितनी?
– अनुदानित
2,710 – कला
2,800 – विज्ञान
1,450 – वाणिज्य

– बिना अनुदानित
1,360 – वाणिज्य
4,280 – विज्ञान
1,000 – कला
* 11 वीं सायन्स में प्रवेश लो, सीधे परीक्षा के समय कॉलेज आओ
– निजी कोचिंग क्लासेस के संचालक आये ‘एक्शन’ में
– निजी महाविद्यालयों के साथ ‘टाय अप्’ का दौर हुआ तेज
बता दें कि, विज्ञान शाखा में जाने के इच्छूक विद्यार्थी आगे चलकर नीट, जेईई तथा सीईटी जैसी परीक्षाएं देकर मेडिकल या इंजिनिअरींग पाठ्यक्रमों में जाने की इच्छा रखते है और इसके लिए कक्षा 11 वीं में रहते समय ही अपनी तैयारियां शुरू कर देते है. चूंकि इन परीक्षाओं के लिए कनिष्ठ महाविद्यालय स्तर पर कोई तैयारी नहीं करवाई जाती. ऐसे में संबंधित विद्यार्थियों द्वारा निजी कोचिंग क्लासेस व ट्युशन क्लासेस का आसरा लिया जाता है. चूंकि इन परीक्षाओं के लिए काफी कडी मेहनत करनी पडती है. ऐसे में कई निजी कोचिंग क्लासेस व ट्युशन क्लासेस द्वारा शहर के कई कनिष्ठ महाविद्यालयों के साथ ‘टाय अप्’ कर लिया जाता है. जिसके तहत विद्यार्थियों को साफ तौर पर कहा जाता है कि, कोचिंग क्लास में एडमिशन लेने के बाद उनका ‘टाय अप्’ रहनेवाले कॉलेज में एडमिशन करा दिया जायेगा और उन्हें 11 वीं व 12 वीं की पढाई करने के लिए कॉलेज जाने की कोई जरूरत नहीं रहेगी, बल्कि उन्हें केवल कक्षा 11 वीं की लिखीत परीक्षा व प्रैक्टिकल के समय ही केवल नाम के लिए अपने कॉलेज जाना होगा. शहर के नामांकित महाविद्यालयों को छोडकर ज्यादा तर छोटे-मोटे ज्युनियर कालेजों द्वारा निजी कोचिंग क्लासेस के साथ ऐसे ‘टाय अप्’ किये जाते है, ताकि उन्हें भी बैठे-दिखाये विद्यार्थी मिलते रहे और ऐसे मेधावी विद्यार्थियों द्वारा कक्षा 12 वीं में उल्लेखनीय सफलता हासिल करने पर उनके महाविद्यालयों का बैठे-बिठाये नाम भी होता रहे.
* निजी कोचिंग व ट्युशन क्लास के संचालक लगे काम पर
कक्षा 10 वीं के परीक्षा परिणाम घोषित होते ही शहर के सभी निजी कोचिंग व ट्युशन क्लासेस संचालकों द्वारा अपने यहां अधिक से अधिक एडमिशन कराने का प्रयास किया जा रहा है. जिनके यहां पर नीट, जेईई व सीईटी जैसी परीक्षाओं की तैयारियां करवाई जाती है.
* सायन्स के विद्यार्थी सीधे परीक्षा देने आते हैं कॉलेज
विज्ञान शाखा में प्रवेश लेनेवाले अधिकांश विद्यार्थी कक्षा 11 वीं व 12 वीं की पढाई करने की बजाय नीट व सीईटी की परीक्षा को ज्यादा महत्व देते है. जिसके लिए वे पूरा समय निजी कोचिंग क्लासेस में ही रहते है और दो साल के दौरान केवल कक्षा 11 वीं की महाविद्यालय स्तर पर होनेवाली परीक्षा देने के लिए ही अपने कॉलेज में जाते है. ऐसे में विज्ञान शाखा की कक्षा 11 वीं व 12 वीं में विद्यार्थियों की उपस्थिति बेहद कम दिखाई देती है. हालांकि राज्य शिक्षा बोर्ड द्वारा कक्षा 11 वीं व 12 वीं में विद्यार्थियों की 75 फीसद उपस्थिति अनिवार्य की गई है, लेकिन इस पर विज्ञान शाखा में अमुमन अमल नहीं होता.
* कॉमर्स व आर्ट में अच्छी रहती है विद्यार्थियों की हाजरी
विज्ञान शाखा की तुलना में कला व वाणिज्य शाखा की कक्षाओं के विद्यार्थियों का अपने महाविद्यालय में उपस्थिति का प्रमाण अधिक रहता है और महाविद्यालय द्वारा चलाये जानेवाले विभिन्न उपक्रमों में भी इन्हीं दो शाखाओं के विद्यार्थियों का अच्छा-खासा सहभाग दिखाई देता है.
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