अमरावतीमुख्य समाचार

सुबह 3 बजे से हनुमान गढी में शुरु हो जाती है दिनचर्या

नहाने-धोने के साथ ही भजन-कीर्तन का दौर हो जाता है शुरु

* जगह-जगह जलते है अलाव, नहाने के लिए गर्म किया जाता है पानी
* सूरज निकलते ही छत्री तालाब से भानखेडा मार्ग पर उमडने लगती है भाविकों की भीड
* सुबह 9 बजे के आसपास पंडाल दिखाई देने लगता है खचाखच
* हनुमान गढी से लाईव कवरेज- संजय पंड्या
अमरावती/दि.18 – इस समय शहर सहित समूचे जिले में हाड कंपा देने वाली ठंड पड रही है. ऐसे में कोई व्यक्ति घनी बस्ती से बाहर खुले आसमान के नीचे पूरी रात बिताए. इसकी कल्पना करने से ही रौंगटे खडे हो जाते है. लेकिन इस समय अमरावती से करीब 5 किमी की दूरी पर भानखेडा की पहाडी स्थित हनुमान गढी में चल रही शिवमहापुराण कथा के आयोजन स्थल पर 1 लाख से भी अधिक भाविक श्रद्धालु कडाके की ठंड के बीच 5 दिनों के लिए इस खुले परिसर में अपना डेरा जमाए बैठे है. ऐसे में इसे आस्था और विश्वास की शक्ति कहा जा सकता है. इन भाविक श्रद्धालुओं में महाराष्ट्र सहित देश के विभिन्न प्रांतों से आये भाविक श्रद्धालुओं का समावेश है, जो यहां पर पूरे पांच दिन रुककर कथा श्रवण करने हेतु अपना बोरिया बिस्तर लेकर अपनी पूरी तैयारी के साथ आये है. साथ ही विशेष उल्लेखनीय यह है कि, कथा के आयोजन स्थल पर रोजाना दोपहर 1 से 4 बजे तक तीन घंटों के लिए ही पं. प्रदीप मिश्रा द्वारा कथा सुनाई जाती है. परंतु इस परिसर में 24 घंटे चहल-पहल दिखाई देती है.
इस पूरे परिसर का मुआयना करने पर पता चला कि, हनुमान गढी में रोजाना तडके 3 बजे से भी दिनचर्या शुरु हो जाती है. जिसके तहत लोगबाग कडाके की ठंड रहने के बावजूद नींद से जागकर दैनिक क्रिया से फारिग होते है और फिर नहाने व कपडे धोने का दौर शुरु होता है. जिसके लिए कथा पंडाल परिसर में जगह-जगह जलने वाले अलावों पर लोगबाग हाथ शेकने के साथ ही नहाने के लिए पानी गर्म करते है और फिर नहाना धोना निपटाकर सुबह होते-होते यहां पर भजनों व कीर्तनों का दौर शुरु हो जाता है. जिसके तहत कई भाविक श्रद्धालू कथा पंडाल के भीतर अपने-अपने झुंड बनाकर बैठ जाते है और ढोल-मंजिरा लेकर भजन-कीर्तन करना शुरु कर देते है. जिसके चलते कथा पंडाल के भीतर सुबह से ही भक्तिपूर्ण वातावरण बन जाता है.

* सुबह 6 बजे से साफ-सफाई व 7 बजे से नाश्ते का दौर होता है शुरु
इस दौरान सुबह 4 बजे से कथा पंडाल और परिसर में फैले कचरे को समेटते हुए साफ-सफाई का काम करना शुरु कर दिया जाता है तथा सुबह 6 बजे से परिसर से संकलित हुए कचरे को वाहनों में भरकर यहां से बाहर भेजना शुरु कर दिया जाता है. इसी के साथ ही पांच दिवसीय कथा के लिए कथास्थल पर ही डेरा जमाए बैठे भाविक श्रद्धालू के लिए आयोजकों सहित कई स्वयंसेवी व सामाजिक संगठनों द्वारा सुबह 7 बजे से चाय-नाश्ता वितरण का काम करना शुरु कर दिया जाता है और लोग कतारबद्ध होकर चाय-नाश्ता लेना शुरु कर देते है. साथ ही सुबह से ही पूरे परिसर में हजारों स्वयंसेवक श्रद्धालुओं की सेवा में तत्पर भी हो जाते है. चाय नाश्ते का लाभ लेने के उपरान्त बाहरगांव से आये श्रद्धालु तुरंत ही 9 बजे के आसपास तक कथा पंडाल में पहुंचकर अपनी जगह पर जाकर बैठ जाते है, ताकि उनके द्वारा घेरी गई जगह किसी और श्रद्धालू द्वारा न ले ली जाये. वहीं सुबह 9 बजे से ही कथा पंडाल में अमरावती में रहने वाले भाविक श्रद्धालुओं का भी आना शुरु हो जाता है और 10-11 बजते-बजते ही कथा पंडाल पूरी तरह से खचाखच भरा दिखाई देने लगता है.

* दस्तूर नगर से आगे की सडक पर तौबा भीड
भानखेडा मार्ग पर हनुमान गढी में चल रही शिवमहापुराण कथा में उपस्थित रहने हेतु अमरावतीवासियों में भी जबर्दस्त उत्साह है तथा लोगबाग सुबह से ही कथास्थल के लिए रवाना होने लगते है, ताकि उन्हें कथा सुनने हेतु अच्छे से जगह मिल जाये. इसके मद्देनजर सुबह 8 बजते-बजते दस्तुर नगर से छत्री तालाब होते हुए भानखेडा की ओर जाने वाले रास्ते पर हर ओर केवल हनुमान गढी की तरफ जाने वाले श्रद्धालुओं का रेला दिखाई देता है. जिसके चलते इस मार्ग पर वाहनों की आवाजाही को पूरी तरह से रोक दिया गया है तथ दोपहिया व चारपहिया वाहनों को भानखेडा व कोंडेश्वर के रास्ते से होते हुए हनुमान गढी की ओर आने की अनुमति दी जा रही है.

* पंढरपुर की कथा के आयोजक पहुंचे अमरावती
– आयोजन संबंधित व्यवस्था का किया निरीक्षण
उल्लेखनीय है कि, अमरावती में 20 दिसंबर को शिवमहापुराण कथा की समाप्ति होगी. जिसके उपरान्त 25 दिसंबर से पं. प्रदीप मिश्रा की शिवमहापुराण कथा पंढरपुर में आयोजित होने जा रही है. जिसके चलते पंढरपुर में कथा का आयोजन करवाने वाले वहां के भाजपा पदाधिकारी अभिजीत पाटिल अपने सहयोगियों के साथ अमरावती में आयोजन, नियोजन व व्यवस्था की जानकारी लेने एवं निरीक्षण करने हनुमान गढी पहुंचे. जहां पर हनुमान चालीसा चैरिटेबल ट्रस्ट की ओर से सुनील राणा, विनोद गुहे व विनोद जायलवाल ने उनका स्वागत करते हुए उन्हें पूरी जानकारी दी.

* रात में बांटे गए 90 हजार लोगों को कंबल
उल्लेखनीय है कि, हनुमान गढी परिसर में इस समय करीब डेढ लाख लोग विगत एक सप्ताह से डटे हुए है. जिनका डेरा आगामी 20 दिसंबर को कथा समाप्ति तक इसी परिसर में रहेगा. ऐसे में ठंड के इस मौसम में अपनी आस्था व श्रद्धा के चलते शिवमहापुराण कथा के लिए मौसम की परवाह किए बिना यहां पर रहने वाले लोगों को आयोजकों सहित कई स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा बीती रात लगभग 90 हजार कंबलों का वितरण किया गया. जिसके तहत कथ पंडाल में अलग-अलग जगहों पर अपने जत्थे के साथ सो रहे भाविक श्रद्धालुओं तक कंबल पहुंचाए गए.

* रोजाना दोनों समय 3 से 4 लाख लोग ले रहे भोजन प्रसाद का लाभ
उल्लेखनीय है कि, कथास्थल के पास ही 5 एकड परिसर में बनाए गए रसोई घर में रोजाना 135 चूल्हों पर शुद्ध व सात्विक भोजन तैयार किया जा रहा है. जिसका दोनों समय 3 से 4 लाख लोगों द्वारा लाभ लिया जा रहा है. यहां पर रोजाना सुबह 9 से दोपहर 12.30 बजे तक तथा शाम 6 से रात 12.30 बजे तक भोजन वितरण का काम चलता है. जिसके लिए बुर्‍हानपुर से आये रामदयाल मरोठिया अपने 100 लोगों की टीम के साथ बडे-बडे बर्तनों में भोजन बनाने का काम कर रहे है. वहीं 500 से 600 महिलाओं द्वारा रोटियां बेलने और लगभग इतनी ही महिलाओं द्वारा रोटियां सेकने का काम किया जा रहा है. वहीं बर्तन धोने के काम में करीब 400 महिलाएं लगाई गई है. साथ ही काफी बडे बर्तनों को धोने के काम में पुरुष सहायकों की सेवा ली जाती है.

* सांसद नवनीत राणा ने रोटी भी बनाई और बर्तन भी मांजे
विशेष उल्लेखनीय है कि, बीती रात शिवमहापुराण कथा की मुख्य आयोजक एवं जिले की सांसद नवनीत राणा ने कथास्थल के पास बनाए गए रसोई घर में पहुंचकर रोटिया बेलने व सेकने का काम करने के साथ ही सब्जी बनाने के काम में हाथ बंटाया. जिसके बाद भी बेसिन एरिया में पहुंची और उन्होंने झुठे बर्तनों को भी मांजने व धोने का काम किया. यह देखकर इन सभी कामों में सेवा दे रहे महिला एवं पुरुष स्वयंसेवकों में अच्छा खासा उत्साह देखा गया.

Related Articles

Back to top button