आंकडों में काट-छांट कर निकाले गये थे २.३३ करोड रूपये
शौचालय घोटाला मामले की रिपोर्ट से उजागर हुआ मामला

-
१४ देयकों के जरिये १३७२ फर्जी बिलों की राशि हुई थी जारी
अमरावती/दि.१५ – स्थानीय महानगरपालिका के इतिहास में अब तक का सबसे बडा घोटाला निजी शौचालय घोटाले के रूप में सामने आया है. जिसके लिए पूरी तरह से मनपा अधिकारियों की लापरवाही या मिलीभगत को जिम्मेदार माना जा रहा है. सात ठेकेदारों ने १७१ की बजाय १५४३ निजी शौचालयों का काम दिखाते हुए स्वच्छ महाराष्ट्र अभियान की २.३३ करोड रूपयों की निधी पर हाथ साफ कर दिया. इस बारे में की गई जांच के पश्चात तैयार हुई रिपोर्ट की जानकारी अब सामने आ गयी है. इस रिपोर्ट में बडनेरा झोन सहित मनपा मुख्यालय के अधिकारियों की अक्षम्य लापरवाही व अनदेखी को जिम्मेदार बताया गया है.
बडनेरा झोन में जो लाभार्थी व्यक्तिगत शौचालयों का निर्माण नहीं कर सकते है, ऐसे लाभार्थियों की सूची तैयार कर उन्हें शौचालय बनाकर देने हेतु झोनस्तर पर निर्माण ठेकेदार की नियुक्ती तथा उनसे करारनामा लेकर सुपर स्ट्रक्चर का काम पूरा करने के बाद जीओ टैगींग करते हुए नियमानुसार बिल पेश करना था. इस संदर्भ में १५ मार्च २०१७ को निगमायुक्त द्वारा आदेश जारी किया गया था. जिसके बारे में उल्लंघन व अनदेखी करने की वजह से यह घोटाला हुआ, ऐसा आक्षेप इस रिपोर्ट में लिया गया है. निजी शौचालयों के काम हेतु पात्र लाभार्थियों की सूची सहायक आयुक्त के मार्फत मुख्यालय एवं मान्यता पश्चात निर्माण पूर्ण होते ही उपअभियंता के प्रमाणपत्र सहित बिलों को नियमानुसार पेश नहीं किया गया. समिती को एक भी नस्ती में यह प्रकार प्राप्त नहीं हुआ. देयक अदा करते समय आवश्यक जोडपत्र तथा निर्माण के पुर्णत्व का प्रमाणपत्र नहीं जोडा गया है. लेखाधिकारी व लेखापरीक्षक ने नस्ती के साथ कौन-कौन से दस्तावेज जोडने है, इसे लेकर कोई आक्षेप जारी नहीं किये. नस्ती प्रत्यायोजन आदेश प्रदान करने से पहले आयुक्त की मान्यता के बिना उपायुक्त (सामान्य) स्तर पर नस्ती क्रमांक ७६ व ७७ में १ लाख ८० हजार व १ लाख ५० हजार रूपयों के देयक प्रदान किये जाने से प्रशासकीय अनियमितता होने को लेकर आक्षेप भी इस रिपोर्ट में दर्ज कराया गया है.
इसमें यह विशेष उल्लेखनीय है कि, कुछ नस्ती में अधिकारियों के हस्ताक्षर पूरी तरह असली है. वहीं कुछ स्थानों पर फर्जी हस्ताक्षर भी पाये गये है. पूरे मामले में नस्ती क्रमांक २०, २६, २७, २९, ३१, ३३, ३४, ३५ व ३७ पूरी तरह से बनावट रहने के चलते १३७२ लाभार्थियों के नाम पर २ करोड ३३ लाख २४ हजार रूपये का चुना मनपा की तिजोरी को लगाया गया है.
जांच समिती का निष्कर्ष
सहायक आयुक्त (मुख्यालय) तथा एमओएच व उपायुक्त (सामान्य) के बीच समन्वय का अभाव, सहायक आयुक्त सोनाली यादव, प्रशांत शेलके, श्रीकांत शेलके तथा विभाग प्रमुख के तौर पर डॉ. सीमा नेताम, डॉ. विशाल काले व योगेश पीठे ने अपनी जिम्मेदारी योग्य तरीके से नहीं निभायी. मुख्य लेखापरीक्षक राम चव्हाण के फर्जी हस्ताक्षर पर आक्षेप. उपायुक्त नरेंद्र वानखडे द्वारा भी अधिकारों का हनन. ठेकेदारों की बजाय अन्यों के नाम पर देयक जमा करने के मामले में मुख्य लेखापरीक्षक प्रेमदास राठोड अति प्रदान देयक हेतु जवाबदार. फर्जी हस्ताक्षर रहने की बात अधिकारियों द्वारा अपने जवाब में कहे जाने से इस विषय की स्वतंत्र जांच हेतु समिती प्रस्तावित.
इन नस्तियों के आंकडों में हुई हेराफेरी
नस्ती क्रमांक १७ में लाभार्थी संख्या ३१ थी, जिसे काटकर १०१ किया गया. इसी तरह बिल की राशि को ५ लाख २७ हजार से बढाकर १७ लाख १७ हजार रूपये किया गया.
नस्ती क्रमांक २१ में लाभार्थी संख्या १७ थी. जिसे काट-छांटकर १६५ किया गया और २ लाख ८९ हजार रूपये के बिल की राशि को बढाकर २८ लाख ५० हजार रूपये किया गया.
नस्ती क्रमांक २२ में लाभार्थी संख्या को काट-छांटकर १७ की बजाय ११७ किया गया और बिल की रकम को २ लाख ८९ हजार से बढाकर १९ लाख ८९ हजार किया गया.
नस्ती क्रमांक ३४ में २९ लाभार्थी संख्या को काट-छांटकर १६९ किया गया और बिल की रकम को ४ लाख ९३ हजार रूपये से बढाकर २८ लाख ७३ हजार रूपये किया गया.
ठेकेदार, लाभार्थी व जारी रकम
ठेकेदार लाभार्थी जारी रकम
- आर. के. इंडस्ट्रीज, औरंगाबाद ७० ११,९०,०००
- आर. के. इंडस्ट्रीज, औरंगाबाद ८६ १४,६२,०००
- बेस्ट बिल्डर एन्ड डेवलपर १४८ २५,१६,०००
- ओमशांति बिल्डर १०० १७,००,०००
- प्रणय सुभाष मेहरे १४० २३,८०,०००
- सुशांत अशोक निमकर्डे १४९ ५५,३३,०००
- चेतन कन्ट्रक्शन कंपनी ८९ १५,१३,०००
- चेतन कन्ट्रक्शन कंपनी १०४ १७,६८,०००
- चेतन कन्ट्रक्शन कंपनी १०७ १८,१९,०००
- ऋषिकेश चांगोले ५६ ९,५२,०००
- कुल १,३७२ २,३३,२४,०००