अमरावती/दि.18– आरटीई प्रवेश के लिए शासन की तरफ से निजी शालाओं को 25 प्रतिशत विद्यार्थी प्रवेश की सख्ती की गई है. इसके बदले विद्यार्थियों का शिक्षा शुल्क संबंधित शालाओं को दिया जाता है. लेकिन पिछले 4 साल से शासन की निधि नहीं मिल पाई है. जिले की करीबन 236 शालाओं को प्रति विद्यार्थी 17410 के मुताबिक शासन की तरफ से 4 साल के 63 करोड 30 लाख 3 हजार 960 रुपए लेना था. लेकिन केवल 22 करोड 32 लाख 94 हजार 700 रुपए प्राप्त हुए है. इस बार फिर से 91 लाख 60 हजार रुपए मिले है. अभी भी 40 करोड रुपए की निधि शासन के पास बकाया है. इस कारण बकाया कब मिलेगा, ऐसा सवाल शाला संचालकों व्दारा किया जा रहा है.
आर्थिक रुप से कमजोर रहे परिवार के बच्चों को निजी अंग्रेजी माध्यम की शालाओं में प्रवेश लेने के लिए आरटीई प्रवेश प्रक्रिया वर्ष 2012 से शुरु की गई.
इस कारण संबंधित शाला की पटसंख्या के 25 प्रतिशत विद्यार्थियों को ऐसी शालाओं में प्रवेश देना अनिवार्य किया गया. इस कारण हर वर्ष जिले की करीबन 215 से 236 शालाओं का पंजीयन कर उनके प्रवेश का कोटा निश्चित किया जाता है. हर वर्ष 2 हजार से अधिक प्रवेश निश्चित किए जाते हैं. इसके लिए शासन की तरफ से इन शालाओं को शिक्षा शुल्क स्वरुप में निधि दी जाती है. वर्ष 2018-19 तक निधि नियमित मिली. लेकन 2019-20 से 2022-23 इन चार वर्षो में अल्पमात्रा में शासन की तरफ से निधि प्राप्त हुई है. इस कारण शाला व्यवस्थापन मे रोष व्याप्त है. विद्यार्थियों को भी इस रोष का सामना करना पड रहा है. इन 4 सालों में 63 करोड 30 लाख 3 हजार 960 शासन से आना अपेक्षित था. यह रकम बकाया रहते वर्ष 3022-23 के लिए 15 करोड 57 लाख रुपए शासन से लेना था. लेकिन केवल 91 लाख 6 हजार पुरए ही मिले है. जबकि पिछला 40 करोड बकाया अब तक नहीं मिला है. 4 साल में केवल 22 करोड 32 लाख 94