* शिक्षकों के वेतन अटके
अमरावती/दि.7– शासन ने एक ओर शिक्षा का अधिकार के रूप में आरटीई अंतर्गत प्रत्येक शाला में 25 % विद्यार्थी होना ही चाहिए. ऐसी सख्ती की है. दूसरी ओर विगत 4 वर्षो से आरटीई के 40 करोड रूपए जिले के 236 शालाओं को अभी तक नहीं मिले. शासन की उदासीन नीति के कारण आरटीई में प्रवेश देनवाली शालाओं को आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड रहा है.
शाला चलाए तो कैसे ?ऐसा सवाल बिना अनुदानित निजी अंग्रेजी मीडियम की शालाओं के सामने उपस्थित हो रहा है. स्कूल चलाने के लिए इन स्कूल को भी दर्जा कायम रखना पडता है. इसके लिए पैसे की जरूरत होती है. शाला-शालाओं में भी स्पर्धा है. इसके लिए जेब से पैसे खर्च करना पडता है. कुछ शालाए आर्थिक समस्या के कारण डूबने पर आ गई है. शैक्षणिक सुविधा , खेल, आधुनिकीकरण पर खर्च करे तो कहां से, ऐसा सवाल उपस्थित हो रहा है. जिसके कारण शाला के सामने समस्याएं ही समस्याएं है. आरटीई अंतर्गत जितने विद्यार्थी पढते है. उनका शुल्क शासन शालाओं को देते है. परंतु विगत 4 साल से शासन ने निधी दिया ही नहीं. जिसके कारण जिले की 236 शालाओं को प्रति विद्यार्थी 17 हजार 420 के अनुसार शासन की ओर से चार साल के कुल 60 करोड 30 लाख 3 हजार 160रूपए लेना होता है. ऐसा होने पर शासन की ओर से 22 करोड 22 लाख 94 हजार 700 रूपए मिले है.
* दृष्टिक्षेप में स्थिति
– आरटीई पंजीकृत शाला – 236
– आरटीई अंतर्गत प्रवेश- 2305
– आरटीईची की शासन – 40 करोड
के पास बकाया रकम
– शाला को मिले – 91 लाख
– 4 वर्ष में मिले – 34 करोड
* शाला आर्थिक संकट में
आरटीई का शासन के पास बडे प्रमाण में बकाया है. सबब, शाला, आर्थिक संकट में है. इसका शाला की प्रगति पर परिणाम हो रहा है. शाला चलाए तो कैसे, ऐसा सवाल है.
अनिल आसालकर, संगठनमंत्री
महाराष्ट्र इंग्लिश स्कूल ट्रस्टीज असो.
आरटीई अंतर्गत शालाओं को निधि मिले इसके लिए निरंतर प्रयास शुरू ही है. शासन ने आवश्यक निधि मांगा. किंतु पूरा निधि नहीं मिला. जिसके कारण बकाया रकम बढ रही है.
बुध्दभूषण सोनोने, शिक्षाधिकारी