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चोरी के वाहनो के प्रकरण में आरटीओ और पुलिस आमने-सामने

नवी मुंबई पुलिस ने किसी को न बख्शने की दी चेतावनी

अमरावती/दि. 13- विदर्भ की राजधानी नागपुर और उपराजधानी अमरावती आरटीओ कार्यालय में बडे पैमाने पर चोरी के वाहन रजिस्टर किए गए. इसके लिए हर वाहन से दो-दो लाख रुपए वसूल किए गए. अधिकारी और एजेंट की सांठगांठ से यह रैकेट चल रहा था. चोरी के हजारो वाहनों का रजिस्ट्रेशन पिछले कुछ सालो में हुआ है. यह करोडो का घोटाला माना जा रहा है. अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, मिझोरम, असम, मध्यप्रदेश, हरियाना, छत्तिसगढ आदि राज्यो से चोरी के वाहनों का रजिस्ट्रेशन दोनों आरटीओ कार्यालय में हुआ है. नई मुंबई की क्राईम ब्रांच पुलिस द्वारा इस अनियमितता का पर्दाफाश कर अमरावती आरटीओ कार्यालय के तीन अधिकारियों को गिरफ्तार करने के बाद अब आरटीओ और पुलिस आमने-सामने आ गई है. मुंबई पुलिस का कहना है कि, पुलिस की जांच जारी है. जो दोषी होगा उनमें से किसी को बख्शा नहीं जाएगा. वहीं आरटीओ अधिकारियों का कहना है, जो वाहन रजिस्टर्ड हुए उनकी एनओसी थी. उसमें अधिकारी दोषी नहीं है.
चोरी के ट्रको के फर्जी कागजपत्र के आधार पर अमरावती आरटीओ कार्यालय में रजिस्ट्रेशन कर उसकी बिक्री किए जाने के मामले में नवी मुंबई क्राईम ब्रांच पुलिस द्वारा मुख्य सूत्रधार मणियार को गिरफ्तार करने के बाद मुंबई क्राईम ब्रांच पुलिस ने अमरावती आरटीओ कार्यालय के सहायक परिवहन अधिकारी सिद्धार्थ ढोके, मोटर वाहन निरीक्षक गणेश वरुठे और भाग्यश्री पाटिल को गिरफ्तार किया था. वहीं इस घोटाले में नाम आने पर अमरावती के राज बागरी, नागपुर आरटीओ कार्यालय के एआरटीओ राजेश सरक, पूर्व एआरटीओ शांताराम फासे, मोटर वाहन निरीक्षक उदय पाटिल ने अग्रिम जमानत प्राप्त कर ली है. लेकिन मुंबई पुलिस की इस कार्रवाई के बाद आरटीओ अधिकारी और पुलिस आमने-सामने आ गए है. अमरावती आरटीओ कार्यालय के तीन अधिकारी पकडे जाने के बाद आननफानन में बचाव के तरीके खोजे गए. गिरफ्तारी से बचने के लिए कुछ अधिकारी कोर्ट पहुंचे तो कुछ ने पुलिस विभाग व अन्य विभागो में शिकायत की. अब आरटीओ अधिकारियों का कहना है कि, संबंधित वाहन चोरी के थे अथवा नहीं यह उन्हें नहीं पता. लेकिन जो वाहन रजिस्टर्ड हुए उनकी एनओसी उनके पास थी. इसमें अधिकारी दोषी नहीं है.

* जारी है एक-दूसरे पर आरोप
– आरटीओ : दूसरे राज्यों से चोरी के वाहन है, यह हमें पता नहीं चला, गाडियों के दस्तावेजों के आधार पर रजिस्ट्रेशन कर दिया. इसमें हम दोषी नहीं है.
– पुलिस : एजेंटों ने स्वीकार किया कि चोरी के वाहनों का रजिस्ट्रेशन करने के लिए अधिकारियों ने एक मोटी रकम ली (हर वाहन से दो-दो लाख रुपए) ऐसे में वह अनजान थे. यह नहीं कहा जा सकता.
– आरटीओ : वाहनों की एनओसी थी, जिसके आधार पर भी रजिस्ट्रेशन किए. वह फर्जी थी या दूसरे राज्यों ने आरटीओ विभाग ने गलत तरीके से जारी की तो हम क्या कर सकते है. उन्हें देखकर ही दिया है.
– पुलिस : वाहनों की एनओसी फर्जी है या नहीं है, यह देखने का एक सिस्टम है. जिसकी अनदेखी की गई. विभाग ऐसे वाहनों का निरीक्षण भी करता है, जिसमें चेसिस नंबर और इंजन नंबर को मिलाया जाता है. अधिकांश चोरी के वाहनों में यह नहीं किया गया, इसकी छूट दी गई.
– आरटीओ : पुलिस को गिरफ्तार करने का अधिकार नहीं है, उन्हें पहले आरटीओ के वरिष्ठ अधिकारियों से अनुमति लेना चाहिए थी, जो नहीं ली.
– पुलिस : अपराध करने वालों के साथ नियमानुसार जो कार्रवाई होती वही हुई. इसमें किसी भी छूट देने या विशेष दर्जा देने का नियम नहीं है. जब खुलेआम अधिकारी इस रैकेट में शामिल है, उनके खिलाफ सबूत है. तभी गिरफ्तारी का कदम उठाया गया.
– आरटीओ : यदि कोई एजेंट या बाहरी लोग इसमें शामिल है, तो उन्हें पुलिस को गिरफ्तार करना चाहिए, अधिकारी तो खुद पीडित है.
– पुलिस : हमारे पास सबूत है कि, अधिकारियों और विभाग के स्टॉफ की मिलीभगत से पूरा रैकेट काम कर रहा था. अब वह पीडित कैसे बन गए. इस काम को करने के लिए करोडों की रकम ली और उसके बदले नियमों की अनदेखी की. अब वह पीडित कैसे हो गए.

* अधिकारी दोषी नहीं है
आरटीओ में जो जोरी के वाहन रजिस्टर्ड हुए है. उनकी एनओसी थी. जिसके आधार पर उनका रजिस्ट्रेशन हुआ है. यदि वह फर्जी थे या संबंधित राज्यों ने गलत तरीके से जारी किए है तो उन पर कार्रवाई करें. हमारे अधिकारी उसके लिए जिम्मेदार नहीं है. विभाग अपने स्तर पर भी इसकी जांच कर रहा है. पुलिस की गिरफ्तारी ही गलत है.
– राजाभाऊ गीते, आरटीओ, अमरावती.

* किसी को भी छोडा नहीं जाएगा
हमारी जांच जारी है. हम पुख्ता सबूतों के आधार पर ही नियमानुसार कार्रवाई कर रहे है. जो गिरफ्तारी हुई है वह भी और आगे जो होंगी वह भी. जिन लोगों ने अग्रिम जमानत ली है, हम उनके खिलाफ कोर्ट में अगली कार्रवाई कर रहे है. इस रैकेट में शामिल किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा.
– अमित काले, डीसीपी, मुंबई.

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