अमरावती

‘भूदान’ की १६०० एकड़ जमीन का नियमबाह्य वितरण

८ जिलों में शिकायत प्राप्त

खेतिहर मजदूरों के बजाय अन्य लोगों को लाभ
विदर्भ में सबसे ज्यादा प्रकरण
अमरावती / दि.१८- आचार्य विनोबा भावे ने भूदान यज्ञ के लिए देश में १३ वर्ष ५८ हजार किलोमीटर की यात्रा की थी. इसमें से प्राप्त जमीन का वितरण भूमिहीन खेतिहर मजदूरों को ही करना था, लेकिन राज्य के आठ जिले में जिलाधिकारी के पास दाखिल प्रकरणों के अनुसार १५८९ एकड़ जमीन का नियमबाह्य तरीके से वितरण होने की जानकारी सामने आई है. जबकि हकीकत में इसकी व्याप्ती कई गुना होने का आरोप किया जा रहा है. भूदान अभियान दौरान महाराष्ट्र में १, लाख ५१ हजार १६० जमीन दान मिली थी. इसमें से १ लाख १३ हजार २३० एकड़ जमीन का वितरण किया गया है. विदर्भ में विदर्भ भूदान मंडल व उर्वरित महाराष्ट्र में महाराष्ट्र ग्रामदान नवनिर्माण समिति के पास भूदान कानून के अधीन रहकर भूमिहीन खेतिहर मजदूरों को जमीन वितरित करने की जिम्मेदारी थी. वास्तव में प्रावधान का भंग कर आठ जिले में ६४३ हेक्टेयर यानी १५८९ एकड़ जमीन का वितरण किया गया है. इस सदर्भ में सर्व सेवा संघ के विवेकानंद माथने ने सरकार से शिकायत की है. इस बारे में किसानों ने सर्व सेवा मंडल में शिकायत की है. इसके अलावा अध्यक्ष चंदनपाल को संघ के ही कुछ सदस्यों ने घोटाले के सबूत पेश किए है. इस संबंध में एक साल से कोई भी जांच नहीं की जाने की जानकारी सामने आई है.
* फेरफार और बिक्री भी
कानून के अनुसार भूदान में प्राप्त जमीन भूमिहीन खेतिहर मजदूरों को देने का प्रावधान है. प्रत्यक्ष में कई अमीर लोगों को और सामाजिक संस्थाओं को जमीन का वितरण किया गया है. इसके अलावा राजस्व विभाग की मिलीभगत से शर्तभंग भी हुआ है. इसमें भोगवटदार वर्ग बदल कर भूदान की जमीन बेचने के मामले उजागर हुए है.
* १५० मामले प्रकाश में
आठ जिले में भूदान प्रावधान का भंग करने वाले १५० प्रकरण संबंधित जिलाधिकारी के पास आए है. इनमें से १०७ प्रकरण विदर्भ के और ४३ रायगड जिले के है. नागपुर जिले में ९.४२ हेक्टेयर, वर्धा में ३६१०३२ हेक्टेयर, गोंदिया ७.०८ हेक्टेयर, अमरावती २८.१७ हेक्टेयर, वाशिम १३.३८ हे. बुलडाणा २५.१९ हे. यवतमाल १०७.६३ हे. और रायगड जिले में ९०.८९ हेक्टेयर जमीन वितरण में नियमों का उल्लंघन हुआ है.
फिलहाल अंकेक्षण शुरु है
भूदान जमीन का अंकेक्षण फिलहाल शुरु है. इसमें कुछ प्रकरण बाहर आ रहे है. आरोप की गई कृषि भूमि किसका और कब वितरित हुई, इसकी जानकारी मिली होती तो अच्छा होता.
-नरेंद्र बैस, संयुक्त सचिव
(अंकेक्षण), भूदान यज्ञ मंडल

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