इस गांव की श्मशान भूमि में ग्रामीण करते हैं ‘डब्बा पार्टी’
अमरावती/दि.27- जिस स्थान पर मृत व्यक्तियों के पार्थिव शरीरों पर अंतिम संस्कार किया जाता है, उसे श्मशान भूमि कहा जाता है. जिसे लेकर आज के आधुनिक युग और 21 वीं सदी के दौरान भी कई लोगों के मन में विभिन्न प्रकार की गलतफहमियों के साथ डर व दहशत की भावना रहती है. साथ ही कई लोगबाग श्मशान भूमि की ओर जाना टालते है. वहीं महिलाएं आज भी श्मशान भूमि में जाने की हिम्मत नहीं करती. लेकिन वरूड तहसील के हातूर्णा गांव में एक अलग ही चित्र दिखाई देता है. जहां गांव की श्मशान भूमि में छोटे बच्चों से लेकर महिलाओं की भी आवाजाही रहती है और इस गांव के लोग श्मशान भूमि को रमणीय स्थान मानते है. जिसके चलते यहां पर पूरा दिन कई लोगों का आना-जाना लगा रहता है और यहां पहुंचने के बाद लगता है, मानों हम किसी पर्यटन स्थल पर आ गये है.
अमरावती, वर्धा व नागपुर जिले की सीमा पर वर्धा नदी के किनारे अमरावती जिले का हातूर्णा नामक अंतिम गांव है. पहले इस गांव की श्मशान भूमि जिस जगह पर थी, वह स्थान वर्धा नदी पर अप्पर वर्धा बांध बनाये जाने के चलते डूबित पात्र में शामिल हो गया. ऐसे में बांध का निर्माण होने के बाद पूर्व विधायक नरेशचंद्र ठाकरे की संकल्पना से वर्धा नदी के किनारे करीब तीन एकड जगह पर नई श्मशान भूमि का निर्माण किया गया. चूंकि यहां पर वर्धा नदी में सालभर भरपूर पानी रहता है. ऐसे में इस श्मशान भूमि में हरे-भरे पेड-पौधों की भरमार है. बडे-बडे वृक्ष, फूलों से लदे पौधे, जगह-जगह पर की गई रंग-बिरंगी चित्रकारी और परिसर में लगाये गये संतों के चित्र इस श्मशान भूमि में दिखाई देते है. बेहद रमणीय वातावरण रहने के चलते हातूर्णा गांव सहित आसपास के गांवों केे लोगबाग भी यहां पर डब्बा पार्टी करने हेतु आते है. साथ ही यहां पर वर्धा व अमरावती जिले को जोडनेवाला विशालकाय पुल रहने के चलते यहां बेहद विलोभनीय दृश्य दिखाई देता है. जिससे यहां पर सालभर पर्यटकों की अच्छी-खासी भीडभाड रहती है.