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गुंबद गिरते ही नाचे साधू

राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा 22 दिन शेष

* मलबे से निकली चांदी की पालखी
* अभय बपोरीकर का संस्मरण
अमरावती/ दि.29 –राम मंदिर की कार सेवा हेतु गए अमरावती के अभय बपोरीकर गुंबद गिरने के बाद मलबे से निकली वस्तुओं के स्वयं साक्षी रहे. उन्होंने अपने साथ ले गई डायरी में इन वस्तुओं की सूची नोट की थी. वह सूची आज भी उनके पास धरोहर के रूप में संभालकर रखी गई है. परकोटे के भीतर सुरेंद्र बुरंगे, राजा खारकर, अभय बपोरीकर, चंद्रकांत गावंडे आदि ने अमरावती मंडल के साथ अपने उस समय के अनुभव साझा किए. जिसमें बपोरीकर ने उपरोक्त जानकारी दी.
* मलबे से चांदी का सिंहासन
बपोरीकर ने बताया कि गुंबद ढहने के बाद काफी अफरातफरी मची. जिसमें वे अपने साथियों से कुछ समय के लिए बिछड गये थे. उन्होंने देखा कि साधू प्रसन्नता से झूम रहे थे. उसी समय मलबे से काफी ऐतिहासिक वस्तुएं बरामद हुई. उसमें चांदी की पालखी, चांदी का सिंहासन, 3 फीट का लगभग 25 किलो वजनी घंटा, एक काली मूर्ति, दो संस्कृत शिलालेख, 4 बडे स्तंभ, खंबे के निचले हिस्से (बेस) का समावेश रहा. यह सब वस्तुएं वहां कुछ समय के लिए रखी गई थी. जिससे उन्होंने इसकी सूची बना ली.
* अयोध्यावासियों ने की मदद
बपोरीकर व उनके साथियों ने बतलाया कि कार सेवकों की अयोध्यावासियों ने काफी सहायता की. 10 किमी दूर तक छोडकर आए . उसी प्रकार रातभर जब चबूतरे का निर्माण कार्य चला तो चाय, बिस्किट भी उपलब्ध किए. पानी पिलाना तो सभी ने कर्तव्य समझकर किया. नाश्ते में गुड, चना, चना चबेना और दोपहर का भोजन का भी प्रबंध कई लोगों ने सहज किया.
* 40 घंटे चली कार सेवा
बपोरीकर ने बताया कि उन्होंने अपनी डायरी में काफी कुछ नोट कर रखा था. उस समय नहीं लगा कि यह कभी उपयोगी होगा. किंतु अपने घर परिवार की आनेवाली पीढी के लिए उन्होंने यह सब बातें नोट कर रखी थी. वे जिस- जिस गांव से होकर गए, उनके नाम डायरी में नोट करना नहीं भूले. एक जगह धरपकड में उनकी डायरी छूट गई थी. किसी तरह उन्होंने उसे वापस पा लिया. डायरी में नोट की गई बातों से ही स्पष्ट हुआ कि कार सेवा 40 घंटे चली. आचार्य गिरिराज किशोर, अशोक जी सिंघल, उमा जी भारती आदि के जोरदार संबोधन घंटो चलते रहे. कार सेवकों को प्रेरित करते रहे.

 

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