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कोरोना के चलते पंढरपूर यात्रा का अनुमति नहीं
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जिले से बस के जरिये केवल एक मानांकित पालखी रवाना
अमरावती/दि.20 – कोविड संक्रमण के खतरे को देखते हुए गत वर्ष की तरह इस वर्ष भी आषाढी एकादशी पर पंढरपुर यात्रा व पैदल वारी के लिए प्रतिबंध कायम रखा गया है. ऐसे में जहां एक ओर वारकरियों द्वारा अपने आराध्य भगवान विठ्ठल से मुलाकात करने की प्रतीक्षा की जा रही है. वहीं दूसरी ओर इस प्रतिबंध की वजह से राज्य परिवहन निगम की आय पर भी अच्छाखासा परिणाम हो रहा है. पंढरपुर में वारकरियों को प्रवेश की अनुमति नहीं रहने के चलते अमरावती विभाग से पंढरपुर के लिए कोई बस नहीं छोडी जा रही. ऐसे में रापनि को इस बार भी करीब 46 लाख रूपयों के आसपास राजस्व के नुकसान का सामना करना पडेगा.
ज्ञात रहे कि राज्य सरकार की ओर से कोविड संक्रमण की संभावित तीसरी लहर को देखते हुए आषाढी एकादशी पर समूचे राज्य से केवल 10 मानांकित पालखियों को पंढरपुर आने की अनुमति दी गई है. जिसके तहत अमरावती संभाग सहित समूचे विदर्भ से केवल कौंडण्यपुर की पालखी विगत रविवार को एसटी बस से पंढरपुर रवाना हुई है.
इस बार एसटी से एक ही पालखी
कोरोना के चलते राज्य सरकार द्वारा इस वर्ष भी आषाढी एकादशी पर पंढरपुर के यात्रा उत्सव को रद्द किया गया है और आषाढी एकादशी पर्व पर समूचे राज्य से केवल 10 पालखियों को ही पंढरपुर आने की अनुमति दी गई है. जिसके तहत अमरावती सहित विदर्भ क्षेत्र से केवल श्री क्षेत्र कौंडण्यपुर स्थित रूख्मिणी माता संस्थान की पालखी का इन 10 मानांकित पालखियों में समावेश किया गया है. जिसके तहत कौंडण्यपुर स्थित रूख्मिणी माता संस्थान की पालखी विगत 18 जुलाई को ही राज्य परिवहन निगम की बस से रवाना हुई.
जिले से प्रतिवर्ष निकलनेवाली पालखियां
अमरावती जिले से प्रतिवर्ष तिवसा तहसील अंतर्गत कौंडण्यपुर स्थित रूख्मिणी देवी की पालखी सहित घुईखेड स्थित बेंडोजी महाराज की पालखी एवं अन्य कई धार्मिक संस्थानों की पैदल वारी पंढरपुर के लिए रवाना होती है. हर पालखी के साथ आठ से दस वारकरियों का समावेश होता है और जब यह तमाम पालखियां एक साथ आकर पंढरपुर की ओर मार्गक्रमण करती है, तो सडकों पर श्रध्दा एवं भक्तिभाव की गंगा प्रवाहित होती दिखती है. इसके अलावा कई भाविक भक्त अपने स्तर पर पैदल वारी करते है और बस से भी पांडुरंग दर्शन हेतु पंढरपुर के लिए जाते है.
- प्रतिवर्ष पंढरपुर के लिए छूटनेवाली बसें – 59
- रोजाना होनेवाली आय – 6 लाख
- प्रतिवर्ष पंढरपुर जानेवाले वारकरियों की संख्या – 16 हजार 149