संत कंवरराम की अनूठी परंपरा पीढ़ी दर पीढ़ी जारी
संत कंवरराम की अनूठी परंपरा पीढ़ी दर पीढ़ी जारी
*संत कंवरराम की अनूठी परंपरा पीढ़ी दर पीढ़ी जारी
* सुपौत्र साईं राजेशलाल का प्रतिपादन
* धाम की भी विशेषताएं बतलाई
अमरावती/दि.13- अमर शहीद संत कंवरधाम साहिब का 138वां जयंती महोत्सव आज से भानखेडा रोड स्थित संत कंवरराम धाम में आरंभ हो गया है. उनके वंशज सात दशक पूर्व से अमरावती आकर बसे थे. उनकी चौथी पीढ़ी के संत साइर्ं राजेशलाल कंवर (मोरडिया) ने संत कंवरधाम की तरह सेवा, सत्संग और सिमरन के साथ गरीबों, जरुरतमंदों की सेवा जारी रखी है.
भानखेडा रोड स्थित संत कंवरराम धाम, जरवार में आज से तीन दिवसीय अमर शहीद संत कंवरराम साहिब के 138वें जयंती महोत्सव के अवसर पर अमरावती मंडल ने संत कंवरराम साहिब के गद्दीनशीन संत साईं राजेशलाल कंवर से लिए साक्षात्कार में बताया कि संत कंवरराम मूल सिंध प्रांत अखंड भारत के निवासी थे. उन्हें 1 नवंबर 1939 को गोली मारी गई थी. उनका परिवार वर्ष 1956 में अमरावती आकर बस गया था. पिछले सात दशक से अमरावती में रहते आ रही संतजी की वर्तमान में चौथी पीढ़ी है. संत साई राजेशलाल ने बताया कि संत कंवरराम साहित हिंदू-मुस्लिम एकता के प्रतीक थे. उन्हें राज्यपाल से प्रमाणपत्र भी इस उपाधि का मिला था. झोली में आनेवाला पैसा वह कभी अपने घर न लाते हुए गरीबों में बांट दिया करते थे. उनके भजनों से लोग मंत्रमुग्ध हो जाते थे. संतजी की वाणी से जो निकला वह सत्य रहता था. सिंध प्रांत में एक मुस्लिम के बेटे का देहांत होने पर संपूर्ण परिवार के सदस्य शोक में डूबे हुए थे, तब संत कंवरराम ने उन्हें कहा था कि जब वह भजन करेंगे तब लोरी के समय बच्चे को उनकी गोद में दें, बच्चे के परिवार ने भी ऐसा ही किया और लोरी सुनते ही वह बच्चा जीवित हो गया था. ऐसे संतजी के अनेक चमत्कार थे.
संत साईं राजेशलालजी ने कहा कि संत कंवररामजी को कृष्णावतार माना जाता था. वह पैरो में घुंघरू बांधकर भजन गाते हुए नाचते थे, तब उपस्थित लोग मंत्रमुग्ध हो जाते थे. उस समय झोली में आनेवाला पैसा वह गरीबों में बांट दिया करते थे. उन्होंने अपने जीवन में गरीबो की सेवा, विवाह में कन्यादान, लोगों के दुख-दर्द दूर करने का काम, गौसेवा की है. संतजी जो निष्पाप सेवा कर गए वहीं परंपरा वर्तमान हम उनके वंशज कायम रखे हुए हैं. उनकी हमेशा इच्छा रहती थी कि देश में सभी तरफ सुख-शांति और खुशहाली रहे. वहीं प्रयास संतजी के भक्तों के हैं. संतजी की नजर में हमेशा कोई अलग नहीं था. सभी को ईश्वर के पुत्र समझते थे. इसी कारण दुनिया में जहां समाज वहां संतजी का नाम है, ऐसा भी संत साइर्ं राजेशलाल कंवर ने कहा.
* पूरे वर्ष में संत कंवरराम के 900 कार्यक्रम
अमर शहीद संत कंवरराम साहिब के गद्दीनशीन संत साई राजेशलाल कंवर ने बताया कि संत कंवरराम की बरसी, जयंती, पुण्यतिथि समेत अन्य त्यौहार समेत पूरे वर्ष में कुल 900 कार्यक्रम आयोजित होते हैं. यानि हर दिन तीन कार्यक्रमों का आयोजन होता है. उनके नाम से हर शहर में स्कूल, कॉलोनी, धर्मशाला, दवाखाने आदि है. उनकी महिमा अपार है.
* भानखेडा में 14 एकड में साकार होगा संत कंवरराम धाम
संत साईं राजेशलाल ने बताया कि भानखेडा रोड पर संत कंवरराम धाम 14 एकड में 100 करोड की लागत से भव्य-दिव्य निर्मित होगा. जहां वृद्धाश्रम, गौशाला, स्कूल, कॉलेज, दवाखाना आदि सभी सेवाएं निशुल्क रहेंगी. इस निर्माण को पांच वर्ष का समय लग सकता है. यहां गरीबों को सुबह-शाम भोजन निशुल्क मिलेंगा.संतजी की तरह भक्ति के माध्यम से प्रेमभावना कायम रखने के उनके वंशज के प्रयास हैं.