अमरावती

संत साध्वी नर्मदादासी माता की तपस्या और संकल्प हुए साकार

इतिहास रच गया अचलपुर में आयोजित धार्मिक कार्यक्रम

* एक माह तक चला अखिल भारतीय संत सम्मेलन, संत-महंतों की रही उपस्थिति
* एकादश कुंडात्मक श्रीराम महायज्ञ व संगीतमय रामायण कथा का भी हुआ आयोजन
परतवाड़ा/अचलपुर दि.10 – सच्चासाधु-संत कभी भिक्षा मांगने में संकोच नही करता, किंतु सवाल यह उठता है कि वो भिक्षा अथवा कार्य किस प्रायोजन हेतु किया जा रहा है. संतो व साधुओं की मूल प्रवृत्ती में यह लक्ष्य कभी सामने नही आता. यदाकदा वो सामने आए भी, तो लोग उसे चिन्हित नही कर पाते. कुछ ऐसा ही हुआ 29 नवंबर से 8 दिसंबर तक काले हनुमान परिसर के बालाजीपुरम में संपन्न एकादश कुंडात्मक महायज्ञ, श्रीराम कथा और अखिल भारतीय साधु-संत सम्मेलन के दौरान और अब यह आयोजन अपने पीछे कई सुखद दृष्टांत छोड़ गया है. किसी के लिए ये पावन पुनीत यादें और संस्मरण भी होंगे. कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक के साधुओं को देश के किसी भी मंच पर एक साथ बैठे देखने का दृश्य कभी नजर नही आया है. विगत 8 दिसंबर, गुरुवार को यह विहंगम दृश्य भी देखने को मिला. अपनी-अपनी श्रेणी में आगे-पीछे साधु-संत विराजमान जरूर थे, लेकिन उनका एक साथ-एक मंच पर होना, इस अनूठे महायज्ञ की सफलता को बयान करने काफी कहा जा सकता है. ऐसे -ऐसे परम ज्ञानी और तपस्वी यहां ठहरे कि उनके दर्शनों से कई पीढियां तर जा सकती है. जिन्होंने इन महानुभावो के दर्शन किये वो लोग भी नसीबवान कहे जाएंगे. साथ ही इन महानुभावों की चरणरज से जुड़वाशहर की यह धरा पवित्र हो गई.
श्री श्री 108 नर्मदादासी माताजी के संकल्प को साकार होते देखना सतयुग की किसी पौराणिक कथा से कम नही मालूम पड़ता है. यह कथा अचानक और अनजाने में अचलपुर से शुरू हुई और इसका आनंदमय समापन भी अचलपुर में ही हुआ. लोगों में पूरे दस दिनों तक इस अति भव्य आयोजन को लेकर जिज्ञासा थी कि इसके पीछे कौन है. प्रस्तुत प्रतिनिधि को लोगो ने अपने-अपने तर्क बताए. किसी ने कहा कि, यह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का आयोजन है, वहीं किसी अन्य का कहना रहा कि, विश्व हिंदू परिषद ने यह शिबिर रखा है. जितने मुंह उतनी ही बातें. जो स्थानीय लोग इस पवित्र कार्य में सेवक बनकर काम कर रहे थे, वो भी किसी एक राजनीतिक दल अथवा पार्टी के नही थे. कांग्रेस, शिवसेना,राष्ट्रवादी, शिंदे सेना, प्रहार, भाजपा, बसपा, युवा स्वाभिमान आदि सभी पार्टी के कार्यकर्ता यहां अपनी पार्टी लाइन को त्याग सिर्फ सेवा करते दिखाई दिए. सियासत से जुड़े लोगों का इस प्रकार निस्वार्थ सेवा करना भी अचंभित कर देता है. यह अचंभा और कई आश्चर्य यहां देखने को मिले. देखते-देखते आंखे चुंधिया गई. दृश्य खत्म नही हुए. आश्चर्य अनेक थे और कारण एक ही था, श्रीश्री 108 नर्मदादासी माताजी.
माताजी द्वारा इस यज्ञशाला स्थल पर चार माह पूर्व अगस्त 2022 में शुरू की गई ‘घोर तपस्या’ का प्रतिफल था यह आयोजन. नर्मदादासी ने कभी अपने द्बारा लिए गए संकल्प की पूर्ति हेतु तपस्या की, घोर तपस्या की और फिर जो चमत्कार हुआ उसने इस अचलपुरी धरा पर वो कर दिखाया जो किसी ने सोचा भी नही था. बात वर्ष 2015 की नवरात्र से मालूम पड़ी है. परतवाडा के रास्ते होकर आगे अपने गंतव्य की ओर जा रही नर्मदादासी माताजी दर्शन को जब परतवाडा के वाघामाता मंदिर पहुंची, तब उन्हें अचलपुर का एक व्यक्ति मिला, नाम था नीलू गुप्ता. गुप्ताजी ने माताजी से काले हनुमान मंदिर को चलने का आग्रह किया और इसके लिए वो राजी हो गई. काले हनुमान पहुंचने के बाद माताजी ने कहा कि अब तुम मुझे यहां लेकर तो आये हो, तो मेरी भी सुनो, हम (माताजी और नीलू) दोनों यहां संकल्प लेते है कि हनुमानजी के इसी परिसर में श्रीराम कथा और महायज्ञ कराएंगे. दोनों ने संकल्प लिया. वहां से दर्शन कर माताजी अपने गंतव्य को प्रस्थान कर गई. कुछ महीनों बाद ही नीलू गुप्ता का निधन होने की खबर आई. यह बात माताजी को उन्ही के मठ में भी प्राप्त हुई. उन्हें रात-बेरात इस संकल्प का स्मरण होने लगा. इसी बीच वर्ष 2017 में माताजी एक मर्तबा काला हनुमान पर आई थी. उन्होंने वहां हाजिर मंदिर के विश्वस्त और भक्तो को उक्त संकल्प की बात बताई. माताजी ने कहा, यह संकल्प पूर्ण करना है. जिन भी मान्यवरों से यह बात कही गई, उन्होंने इतने भव्य आयोजन में शरीक होने में अपनी असमर्थता दर्शाई थी. पश्चात वर्ष 2021-22 में किसी व्यक्ति के सुझाव देने पर नर्मदादासी जी अचलपुर के सुल्तानपुरा स्थित बालाजी मंदिर पहुंची. यहां उन्होंने रामभक्तों से मुलाखात की. प्रत्यक्षदर्शी बताते हैं कि इस सभा मे विनय चतुर भी शामिल थे. यहां उपस्थित भक्तो ने माताजी को यथायोग्य सहयोग करने को हामी भरी, लेकिन विशालकाय खर्च को देखकर सर्व सामान्य भक्त भी खुद को माताजी के सामने असहज और असहाय महसूस कर रहे थे.

* कलयुग में सतयुग का दृष्टांत देती तपस्या
श्रीश्री 108 संत नर्मदादासी जी ने उपस्थितों से कहा कि मैं कुछ जप करना चाहती हूं. अब मैं इस परिसर से अपना संकल्प पूर्ण किये बगैर कही नही जाऊंगी. मुझे जप करना है. बालाजी संस्थान की मालकी का एक खेत है. काला हनुमान मंदिर की खिड़की से यह दक्षिण की ओर नदी किनारे दिखाई देता हैं. माताजी का आग्रह था कि मैं यही जप करूंगी. जिस जगह को माताजी ने अपनी तपस्या के लिए चुना, वहां से उत्तर दिशा में काला हनुमान की प्रतिमा दिखाई देती है. नर्मदादासी जी जिस अवस्था मे थी, उसी अवस्था मे वो वहां आसनित हो गई. ना बैठने को कुछ था और ना ही सिर के ऊपर कोई छत. चहुंओर सिर्फ खेत ही खेत, सामने नदी और उस पार काला हनुमानजी. भक्त व सेवको ने खेत को साफ कर दिया. थोड़ी सी जगह बना दी गई. वहां न कोई बिजली थी और ना ही अन्य कोई शंका समाधान की सुविधा. फिर कोई भक्त आया, वो अपने खेत का इमरजंसी लाइट देकर चला गया, किसी ने छत खड़ी कर दी. नर्मदादासी जी किसी एक व्यक्ति के साथ किये संकल्प पूर्ति के किये जप कर रही है. यह बात धीरे-धीरे आसपास के इलाके में भी फैलने लगी. लोग मिलने को आने लगे.
शिवसेना के माणिक देशपांडे बताते है कि, ऐसे ही एक दिन हम कुछ लोग माताजी से मिलने पहुंचे, वो अपनी उसी कुटी में भोजन तैयार कर रही थी. हम अचानक ही पहुंचे थे. उन्होंने भोजन करने का आग्रह किया. उनके चेहरे के तेज को देखकर हम में से कोई मना नहीं कर पाया. उन्होंने सभी को अपने हाथों से बना भोजन कराया और आश्चर्य इस बात का है कि, उस दिन कम से कम पचास लोगो ने भोजन किया. किसी के लिए भी भोजन कम नही पड़ा. दाल-बाटी की रसोई खाकर सभी तृप्त हुए.
इस वर्ष 2022 में सितंबर माह के दौरान पूर्व पार्षद नरेंद्र फिस्के को भी यह बात मालूम पड़ी. उन्हें किसी ने बताया कि माताजी अपनी संकल्प पूर्ति के लिए किसी भी व्यक्ति के साथ स्कूटर अथवा बाइक पर निकल पड़ती है. नरेंद्र ने खुद की कार ड्राइवर सहित उनके सुपुर्द कर दी. उनके इसी संकल्प पूर्ति की बात श्रीराममोहनदासजी रामायणी (लदरुही, हिमाचल प्रदेश) को भी मालूम पड़ी. वो भी अचानक यहां अवतरित हो गए. माता नर्मदादासी जी के लिए रामायणी जी बड़े पूज्य है. गुरुजी ने माताजी को उनका संकल्प पूर्ण करने का आशीर्वाद दिया. वो भी यही रुक गए. माताजी नर्मदादासी की तपस्या ने जुड़वां शहर के सभी रामभक्तों को एक सूत्र में पिरोने का काम कर दिखाया, जिसके चलते 500 से अधिक साधु संत इस आयोजन में शरीक हुए, जो कि अचलपुर की अभी तक की सबसे बड़ी उपलब्धि कही जाएगी. सब कुछ निर्विघ्न संपन्न होना, इस आयोजन की दूसरी विशेष बात है. विगत दस दिनों में कोई अनहोनी, कोई आपदा के सामना नहीं करना पड़ा. पहली मर्तबा अपनी-अपनी उपलब्धियों और सम्मान के साथ महंतों, साधु-संतो ने यहां डेरा डाला. अंजनगांव के जितेंद्रनाथजी से लेकर केदारनाथ के अभिरामदास जी महाराज, महामंडलेश्वर रामशरणदास जी, कुल्लू मनाली के श्री श्री 108 महंत विष्णुमोहनदास महाराज तक सभी ने अचलपुर की भूमि पर डेरा डाल रखा था.
* लोग जुडते गए, आयोजन होता रहा
यह माताजी नर्मदादासी की तपस्या का ही प्रतिफल है कि लाखों रुपयों का बेनामी चंदा और साहित्य-सामग्री भक्तो के द्वारा यज्ञ व कथा स्थली पर पहुंचाई गई. बिजली की तकलीफ हो रही थी, लोग परेशान थे. किराए का जनरेटर भी ज्यादा शक्तिशाली नही था. एक अज्ञात भक्त ने विशाल जनरेटर भेज दिया. यह चमत्कार नही तो क्या हैं. पूरे आयोजन में किसी भी सेवक ने, किसी कार्यकर्ता ने शहर के किसी भी समृद्ध और संपन्न व्यक्ति से जोर-जबरदस्ती करके चंदा अथवा मदद नही मांगी. जो हुआ, सब निर्विघ्न और शांतिपूर्ण ढंग से होता ही चला गया. 29 नवंबर को जिस दिन इस आयोजन की कलश शोभायात्रा निकाली गई, उस दिन पुलिस विभाग की ओर से बताया गया था कि उन्हें इस आयोजन की भव्यता की खुफिया खबर मिल चुकी है. इसलिए हमने 13 थानों के 163 अधिकारी व कर्मचारियो को यहां तैनात करने का निर्णय लिया है. पुलिस की सोच का स्वागत किया जाना चाहिए, लेकिन हकीकत में पूरा समारोह, यज्ञ, कथा पठन, भजन-कीर्तन इतनी शालीनता से और भक्तिभाव ढंग से सम्पन्न हुआ कि कही किसी अतिरिक्त पुलिस की जरूरत नही पड़ी. पुलिस को कोई भागादौड़ी नही करनी पड़ी. पूरे आयोजन के दौरान किसी एक का भी जेब ही कटा हो, यह भी सुनने को नही मिला. यह सब कुछ साधु-संतों के वास से ही संभव होने की बात आज सुनने को मिल रही है.

* भक्तो की प्रार्थना व जिद्द के बाद नर्मदादासी माताजी ने स्वीकारा सत्कार
पूरे आयोजन के बड़े-बड़े होर्डिंग, बैनर, पोस्टर शहर भर में लगे नजर आए. किसी भी पोस्टर पर अथवा फ्लेक्स पर श्रीश्री 108 नर्मदादासी जी का चित्र देखने को नही

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