अमरावती

कोविड के चलते सलून व्यवसायियों की स्थिति बिकट

सरकार की ओर से कोई मदद नहीं मिली

  • भूखमरी की नौबत के चलते पांच सलून व्यवसायियों ने की आत्महत्या

अमरावती/दि.30 – कोविड संक्रमण के खतरे को देखते हुए लागू किये गये लॉकडाउन की वजह से कई लोगों के आय व रोजगार के साधन छिन गये. इसमें भी कटींग-शेव्हिंग यानी सलुन का व्यवसाय करनेवाले नाभिकों की कोविड संक्रमण काल के दौरान स्थिति बेहद बिकट रही और रोज कमाकर रोज खानेवाले सलून व्यवसायी लॉकडाउन काल में लंबे समय तक सलून बंद रहने की वजह से बेरोजगारी के साथ ही भूखमरी का सामना करने हेतु मजबूर हो गये, क्योंकि उनके पास सलून के अलावा आय का कोई अन्य स्त्रोत नहीं है. ऐसी बिकट स्थिति में सरकार की ओर से भी सलुन व्यवसायियों को कोई सहायता उपलब्ध नहीं करायी गयी. ऐसे हालात में बेरोजगारी व भूखमरी की स्थिति और अपने परिजनों के हाल-बेहाल देखते हुए जिले में पांच सलून व्यवसायियों ने आत्महत्या कर ली. वहीं अन्य कई सलून व्यवसायियों ने अपने उदरनिर्वाह हेतु कोई दूसरा काम करना शुरू कर दिया.
बता दें कि, लॉकडाउन काल में सलुन व ब्यूटीपार्लर को लंबे समय तक बंद रखवाया गया. और अनलॉक की प्रक्रिया शुरू होने के बावजूद सलुन व्यवसायियों को सबसे अंत में छूट मिली. छूट मिलने के बाद भी लोगबाग कोरोना के भय की वजह से सलुन में आने से घबरा रहे है. ऐसे में विगत करीब सवा वर्ष से सलुन व्यवसायियों को जबर्दस्त आर्थिक नुकसान का सामना करना पडा है. वहीं इस दौरान अमरावती जिले में जहां एक ओर नाभिक समाज के 15 लोगोें की कोविड संक्रमण के चलते मौत हो गई. वहीं दूसरी ओर 5 सलून व्यवसायियों ने विपरित हालात की वजह से आत्महत्या कर ली. ऐसे में संबंधित परिवारों की हालत और भी अधिक बिकट हो गई है. ये तमाम स्थितियों को देखते हुए महाराष्ट्र नाभिक महामंडल द्वारा मांग की जा रही है कि, सरकार द्वारा संबंधित परिवारों सहित सलून व्यवसायियों को सहायता दी जाये. साथ ही कोविड संक्रमण काल के दौरान हुए नुकसान की ऐवज में कुछ आर्थिक मुआवजा दिया जाये.

75 फीसद सलुन व्यवसायी किराये की जगह पर

जानकारी के मुताबिक जिले में 75 फीसदी सलुन व्यवसायियों द्वारा किराये की जगह लेकर अपनी दुकाने लगायी गई है. किंतु लॉकडाउन काल के दौरान पूरा समय दुकान बंद रहने के बावजूद उन्हेें दुकान का प्रतिमाह किराया देना पडा. इसके अलावा सभी सलुन में दो से चार कारागीर काम पर रहते है, जिन्हें कोविड संक्रमण काल के दौरान घर बैठे रहना पडा और उनके पास आय का कोई अन्य साधन नहीं था. ऐसे में हर किसी ने पाई-पाई जोडकर जमा की गई अपनी थोडी-बहुत बचत से जैसे-तैसे अपना काम चलाया. लेकिन विगत सवा वर्ष के दौरान अधिकांश लोगों की यह जमापूंजी भी लगभग खत्म हो गयी है. वहीं इन दिनों नया शैक्षणिक सत्र शुरू हो गया है. ऐसे में अधिकांश सलून व्यवसायियों के पास अपने बच्चों का शालेय शुल्क भरने हेतु पैसों की कोई व्यवस्था नहीं है. अत: वे इधर-उधर से पैसों का जुगाड कर रहे है. साथ ही शालाओं से निवेदन कर रहे है कि, उनके बच्चों के प्रवेश को रद्द न किया जाये.

सरकार को 15 निवेदन सौंपे, कोई फायदा नहीं

कोविड संक्रमण काल के दौरान सलुन व्यवसाय पूरी तरह ठप्प रहने की वजह से नाभिक समाज पर बेरोजगारी व भूखमरी की नौबत आन पडी. ऐसे में जिलाधीश के मार्फत मुख्यमंत्री सहित अन्य मंत्रियों को अब तक करीब 15 निवेदन सौंपे जा चुके है. जिनमें सलुन व्यवसायियों के लिए 10-10 हजार रूपये की सहायता मांगी गई है. किंतु सरकार ने इसे कतई गंभीरता से नहीं लिया है और कोई मदद प्रदान नहीं की गई. एक तरह से सरकार ने नाभिक समाज की अनदेखी की है.
– सुभाष मानेकर
शहर व जिलाध्यक्ष महाराष्ट्र नाभिक महामंडल

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