अमरावतीमहाराष्ट्र

मयूर की मेहनत और सोच को सलाम

निजी जॉब करते हुए टूविलर पर बेचते हैं सामान

* बिटिया इशान्वी को दिलाना है उच्च शिक्षा
अमरावती/दि.22– आज के दौर में बेरोजगारी का रोना कई लोग रोते हैं. विशेषकर सत्ता से दूर होते हुए विपक्षी दल भी अपने चुनावी मुद्दों में बेरोजगारी को महासमस्या बताकर उसके जरिए वोट खींचने की जुगत में रहते हैं. किंतु कठिन परिस्थिति में अपनी सोच से मार्ग निकालने वाले सराहना पाते हैं. उनमें मयूर गणेश हिरुलकर का नाम लिया जा सकता है. यह युवा अपनी एक्टीवा टूविलर पर सुबह और शाम जब समय मिले कुछ घरेलू रोजाना इस्तेमाल की वस्तुएं लेकर व्यापार के लिए निकल पडता है. गत दो वर्षों से यह उसका रोज की दिनचर्या बनी है. मयूर को दो वर्ष की बेटी इशान्वी है. जिसे उच्च शिक्षा दिलाने की उसकी तमन्ना है.
प्राइवेट जॉब और खुद का धंधा भी

मयूर की सोच ऐसी है कि, अन्य नौजवान भी चाहे, तो प्रेरणा ले सकते हैं. मयूर एक निजी कंपनी में काम करते है. वहां से फारिग होते ही वे अपनी एक्टीवा स्कूटर पर अपने सामान के झोले रखते हैं. कुछ झोले उन्हें रस्सी से बांधने पडते हैं. फिर भी साहस कर वह निकल पडते हैं.

* घरेलू उपयोग की वस्तुएं
मयूर बताते हैं कि, गली-गली घूमकर वे रोज उपयोग में आये ऐसी वस्तुएं घर बैठे उपलब्ध करवाने का प्रयत्न करते है. जिसमें ब्रश, घासणी, एसिड, ब्लिचिंग पॉउडर, कूलर परफू्रम, पूजा सामग्री जैसे अगरबत्ती, कपूर, बत्तियां, धूप, लोबान के साथ-साथ साफ-सफाई के लिए फिनाइल जैसे आइटम लेकर चलते हैं. मयूर बताते हैं कि, लोग थोडा बहुत रिस्पॉन्स देते हैं. कुछ लोग भाव अधिक होने की शिकायत करते हैं, जबकि वे घर बैठे यह चीजे उपलब्ध करवा रहे हैं.

* परिवार में पिता-पत्नी
मयूर के पिता गणेशराव निजी शाला में काम करते थे. अब घर पर हैं. उनकी पत्नी आरती उनके काम में यथोचित सहयोग करती है. दो वर्ष की बेटी इशान्वी को देखकर मयूर अपनी दिनभर की थकान भूल जाते हैं. मयूर की बहन सोनाली माथने है. मयूर हिरुलकर कुछ न कुछ धंधा कर अपनी निजी जॉब भी संभाले हुए हैं. उनकी इच्छा बेटी इशान्वी को उच्च शिक्षा दिलाने की है. खुद मयूर कक्षा 12 वीं तक पढे हैं.

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