अमरावती

ग्रैंड सेमीनार में समीर बन्सल ने विद्यार्थियों को दिया गुरुमंत्र

डाउट क्लीअर करोंगे तो पछतावा नहीं रहेंगा

* बन्सल कोचिंग क्लासेस के विद्यार्थियों को सलाह
अमरावती/दि.21– बन्सल कोचिंग क्लासेस अमरावती के गैंड सेमिनार में कोटाज बन्सल के एमडी और सीईओ समीर बन्सल ने 7 से 11 वीं तक के छात्रों को सफलता का गुरुमंत्र देते हुए कहा कि, चाहे पढाई किसी भी परीक्षा के लिए करो, एक बात का खास ध्यान रखना चाहिए कि आप बिना समझे किसी भी मुद्दे को रटिए मत. पहले उस विषय को समझो, उसके संबंध में कोई सवाल आए, तो पहले खुद हल करने की कोशिश करो. यदि फिर भी परेशानी हो तो अपने शिक्षक से इस बारे में चर्चा करो. उन्होंने बताया कि, जीवन में किसी भी चीज की झिझक नहीं होनी चाहिए. यदि आप इस स्वर्ण काल में झिझक करोंगे तो आपका भविष्य में पछतावा होगा कि काश यह सवाल पूछ लेता. यह टॉपिक समझा कर पढता तो परीक्षा उत्तीर्ण हो पाता. संत ज्ञानेश्वर सांस्कृतिक भवन में रविवार को सुबह 11 बजे आयोजित इस ग्ंैरड सेमिनार का मंच संचालन व आभार प्रदर्शन धीरज बोने ने किया. कार्यक्रम के दौरान कोटज बन्सल के एमडी और सीईओ सीमर बन्सल, बन्सल क्लासेस, कोटा के प्रबंधक अखिलेश जैन, बन्सल क्लासेस अमरावती के प्रमुख उमेश अगलावे, के.के. कैम्ब्रिज स्कूल पुणे के संस्थापक राम रैना और मालू स्कूल के संस्थापक आशीष मालू मंचासीन रहे. कार्यक्रम की शुरुआत गणेश स्त्रोत के साथ मां सरस्वती का माल्यार्पण कर की गई.
बन्सल क्लासेस के संस्थापक वी.के. बन्सल की जिंदगी से जुडी कई बातें बताते रहे. उन्होने बताया कि, केवल एक जीवन में अनुशासन रखने वाला व्यक्ति ही सफलता हासिल कर पाता हैं. आज आप देश दुनिया से किसी भी सफल व्यक्ति की दिनचर्या देख लें, आप उसमे एक सघन अनुशासन पाएंगे. चाहे वो अमिताभ बच्चन हो, देश के प्रधानमंत्री हों या कोई और हर सफल व्यक्ति के खाने, पीने, सोने, खेलने का समय निश्चित होता हैं. उन्होंने दावे के साथ कहा कि, अपने 41 वर्षो के टीचिंग करियर में बन्सल सर (वी.के. बन्सल) कभी उनकी क्लासेस में लेट नहीं पहुंचे. समूचे देश में ऐसा कोई टीचर नहीं होगा, जो उनकी तरह अनुशासन रखता हो. समीर बन्सल सर आईआईटी बीएचयू से गे्रजुएट थे. 1971 के यूपी बोर्ड एक्जाम में उन्होंने 15वीं रैंक हासिल की थी. अपने समय में वे स्ट्रीट लाइट के नीचे बैठकर पढा करते.
* दोस्त की क्या जरुरत हैं?
आप जो भी कर रहे हो, उसका कारणा आपको पता होना चाहिए. हमेशा क्यों? ऐसा सवाल पूछते रहो जो करना है वो अपनी मर्जी से करो. किसी पर विश्वास मत करो. मैं तो किसी पर विश्वास नहीं करता. मैं हर बात की पुष्टि करता हूं और फिर उसे मानना, नहीं मानना ऐसा निर्णय लेता हूं. कोई दोस्त आपके साथ खडा है, वो आपके साथ चलेगा, आपकी मदद करेगा, ऐसा सोचने का कोई मतलब नहीं. दरअस सीधे-सीधे कहूं तो जिंदगी में दोस्त की जरुरत क्या है? जो व्यक्ति भीड में अकेला चल सके, वही जीवन में सफल हो पाता हैं. आप चलो, दौडों, भागो, रेंगों पर अपने लक्ष्य की ओर निरंतर आगे बढते रहो. मैं आश्वासन देता हूं कि, जीवन में कुछ न कुछ तो हासिल करोंगे ही. भगवान हर किसी को दो हाथ प्रदान करता है, लेकिन इन हाथों पर लकीरें कैसी होनी चाहिए, यह निर्णय आपका होता हैं.
* सफलता में 95 प्रतिशत श्रेय छात्र का
समीर बन्सल कहते है कि, दुनिया में सफलता के लिए संघर्ष आवश्यक है. आईआईटी में सफलता प्राप्त करने हेतु सबसे पहले तो छात्रों को सिस्टम (इंस्टीट्यूशन) पर भरोसा रखना महत्वपूर्ण हैं. बन्सल कोचिंग क्लासेस आपको बेस्ट से बेस्ट मटेरियल तो उपलब्ध करवा कर देंगे ही, अच्छे से अच्छा पढाने की कोशिश करेंगे.
लेकिन वह सब आईआईटी प्रीपरेशन का केवल 5 प्रतिशत हिस्सा है. बची 95 प्रतिशत मेहनत आपको ही करनी पडती हैं. उन्होंने बताया, जब बच्चे कोटा में परीक्षाओं की तैयारी के लिए आते है तो, हमारा सबसे पहला काम होता है कि पहले तो बच्चें को उस विषय से प्रेम कराओ. क्योंकि किसी से कोई भी काम जबदस्ती नहीं करवाया जा सकता. इन्सान काम तब ही कर सकता है, जब वह काम उसकी चाहत बन जाए, पढने के लिए सुबह 5 से 9 बजे का समय काफी अच्छा होता हैं. आपकी उम्र के प्रत्येक बच्चे को एक बार में 6.30 से 7.30 घंटे की नींद अवश्य लेनी चाहिए.
* स्टूडेंट्स और भविष्य के लिए काम करो
कैम्ब्रिज इंटरनेशनल स्कूल के संस्थापक राम रैना ने उमेश आगलावे की तारीफ करते हुए कहा कि, वे अमरावती में नई शैक्षणिक व्यवस्था लाए हैं. अमरावती में एक अच्छे आईआईटी, नीट कोचिंग इंस्टीट्यूट की जरुत थी. आपने बन्सल क्लासेस की यह अमरावती ब्रांच खोली. मैं और उमेश एक ही धारणा पर काम कर रहे हैं. जो कहती है वर्क फॉर द स्टूडेंट्स, वर्क फॉर द फ्यूचर (स्टूडेंट्स के लिए काम करो, भविष्य के लिए काम करो). जिंदगी में क्या करना है यह आपके हाथ में होता हैं. आपको कैसी संगत करनी है यह आपके हाथ में हैं. बेझिझक प्रश्न पूछे और दिमाग से काश नाम का शब्द निकाल दें. नवोत्थान करिए, हर बात को प्रैक्टिकल के जरिए समझिए अंदर के डर को खत्म कीजिए.
* बच्चों से प्रेम करो, मोह नहीं
माता-पिता ने अपने बच्चों को डाटना बिल्कुल बंद कर दिया हैं. क्योंकि आज कल के बच्चें जरा सा डांटने पर आत्महत्या जैसा बडा कदम उठा लेते हैं. वर्तमान में टीचर्स भी बच्चों को डाटने के पहले विचार करने लगे हैं. उन्हें लगता है कि बच्चे को मार दिया तो कहीं वे कोचिंग छोड कर न चले जाएं. कई बार ऐसा होता है कि, बच्चों को मारने याय डांटने पर बच्चे के माता-पिता कोचिंग पर झगडने चले जाते हैं. यह बात बहुत गलत है, बच्चों से प्रेम करना ठीक है पर उनकी गलती पर उन्हें ना डांटना यह मोह हैं. धृतराष्ट्र ने कौरवों से मोह रखा था, इसलिए कौरव अर्धम की राह पर चले. ठीक है सब के सामने मत डांटो पर बच्चों को डांटना जरुरी है, मेरा मानना है कि, बच्चे इंजीनियरिंग होने तक उससे मोबाइल बिल्कुल छीन लेना चाहिए. उसे क्या जरुरत है स्मार्ट फोन की उसे डब्बे वाला मोबाइल दीजिए.
* परीक्षा मे उत्तीण विद्यार्थियों का किया सत्कार
कार्यक्रम के दौरान इस वर्ष आईआईटी जेईई और नीट परीक्षाओं में सफलता प्राप्त करने वाले विद्यार्थी श्लोक अरनाईक, क्षितिज गुप्ता, स्वराज गोडबोले, ईश्वरी रेले, मोहम्मद सामिद, ध्रुव शेंडे ओर ईप्शिता धावंडे व उनके माता-पिता को मंच पर बुलाकर उनका सत्कार किया गया.
* दुनिया में 3 प्रकार के लोग
दुनिया में 3 प्रकार के लोग होते हैं. एक वो जो खुद होकर अपना काम करते हैं. दूसरा वो जो किसी के बोलने पर काम करते हैं. तीसरा वो जो बोलने के बाद भी काम नहीं करते. आपको पहले प्रकार का व्यक्ति बनना चाहिए. प्रत्येक छात्र में नैतिकता, ईमानदारी और एकजुटता होनी चाहिए. जिन लोगों को ईक्यू (भावनात्मक गुण्क) और एसक्यू (आध्यात्मिक गुणक) होते है वे ही जीवन में सफल हो पाते हैं. मेहनत करो मां-बाप का सम्मान करो, निराश ना होते हुए आगे बढते रहो.
* अमरावती में कोटा जैसी सुविधाएं
कार्यक्रम की प्रस्तावना रखते हुए बन्सल कोचिंग क्लासेस अमरावती के ्रप्रमुख उमेश आगलावे ने कहा कि, में शिक्षा क्षेत्र से 12 वर्ष से जुडा हूं. अपने इतने वर्षो के सफर में मैंने जाना कि अमरावती में कई शैक्षणिक कमियां हैं. इसलिए लोग बच्चों को पढाने हेतु शहर से बाहर भेजने की मानसिकता बना बैठे हैं. इसलिए अमरावती में कोटा जैसी शैक्षणिक सुविधाएं प्रदान करने की दृष्टि से हमने बन्सल क्लासेस का अमरावती ब्रांच खोली. लोगों को अपनी मानसिकता बदलनी चाहिए. आज केवल दो वर्षो में अमरावती बन्सल क्लासेस ने 42 बच्चों की बैच में से 4 जेईई टॉपर्स और 49 बच्चों की बैच में से 4 नीट टॉपर्स दिए हैं.

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