अमरावती

महिला व बालकों पर होने वाले अत्याचार रोकने शक्ति विधेयक को मान्यता

आंध्र प्रदेश की तर्ज पर महाराष्ट्र में भी दिशा कानून जरुरी- पालकमंत्री

अमरावती/दि.10 – महिला और बालकों पर होने वाले अत्याचारों की शिकायतों का निवारण करने के लिए प्रभावी तौर कार्रवाई करते आना चाहिए, इसके लिए प्रस्तावित कानून को अधिक मजबूत करने के लिए शक्ति या दो प्रस्तावित कानून विधिमंडल के सामने पेश करने मंत्रिमंडल बैठक में मान्यता दी गई. इस विधेयक के अनुसार शिक्षा का प्रमाण भी बढाया है तथा नए अपराध को भी उसमें शामिल किया गया है.
महिला व बालकों पर होने वाले अत्याचार की घटनाओं को प्रतिबंध लगाने के लिए प्रस्तावित विधेयक महत्वपूर्ण साबित होंगे, ऐसी प्रतिक्रिया राज्य की महिला व बालविकास मंत्री तथा जिले की पालकमंत्री एड. यशोमति ठाकुर ने व्यक्त की. शासन निर्णय के अनुसार महाराष्ट्र शक्ति क्रिमिनल लॉ (महाराष्ट्र अमेंडमेट) एक्ट 2020 और स्पेशल कोर्ट ड मशिनरी फॉर इंप्लीमेंटेशन ऑफ महाराष्ट्र शक्ति क्रिमिनल लॉ 2020 ऐसे दो विधेयक विधिमंडल के सामने रखे जाएंगे. महिला व बालकों पर होने वाले अत्याचार की घटनाओं पर प्रतिबंध लगाने के लिए आंध्रप्रदेश सरकारने दिशा कानून पारित किया है. इस कानून की तर्ज पर महाराष्ट्र में विधेयक तैयार करने की द़ृष्टि से दिशा कानून समजने कि लिए राज्य के गृहमंत्री अनिल देशमुख समेत तत्कालीन अ.मु.स.(गृह) संजय कुमार व पुलिस महासंचालक सुबोध जयस्वाल तथ अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने आंध्र प्रदेश को भेंट दी थी. आंध्र प्रदेश के दिशा विधेयक की स्टडी कर महाराष्ट्र के लिए विधेयक का मसूदा तैयार करने के लिए अश्वथी दोरजे, संचालक, महाराष्ट्र पुलिस अकाएमी, नासिक की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया. इस समिति ने तैयार किये उपराक्त दो विधेयक के मसुदा मंत्रिमंडल के सामने 12 मार्च 2020 को रखा गया था. मंत्रिमंडल की बैठक में इस विधेयक की संपूर्ण जांच कर विधेयक का मसुदा तैयार करने के लिए मंत्रिमंडल उप समिति गठीत करने का निर्णय लिया गया. इसी के चलते प्रस्तावित कानून की ठोस वैशिष्टे आगे दी गई है.

नये अपराध परिभाषित किये है.
समाज माध्यम से महिलाओं को धमकाने, बदनाम करने, बलात्कार, विनयभंग तथा एसीड हमले के बारे में झूठी तक्रार करने, समाज माध्यम, इंटरनेट व मोबाइल सेवा उपलब्ध करा देने वाली कंपनियों की ओर से ेजांच कार्य में सहकार्य नहीं मिलना तथा एखाद लोकसवेक ने जांच कार्य में सहकार्य न करना. जैसे बलात्कार पीडित महिला का नाम छपने पर प्रतिबंध था. वहीं प्रतिबंध विनयभंग और एसीड हमले संदर्भ में भी लागू किया जाने.

शिक्षा का प्रमाण बढाया है
बलात्कार, एसीट हमला तथा बालकों पर होने वाले अत्याचारों के गंभीर मामले में मृत्युदंड प्रस्तावित किया है. एसीड हमला प्रकरण में दंड का प्रावधान किया है और वह रकम पीडिता के इलाज व प्लास्टीक सर्जरी के लिए देने का प्रस्तावित किया है.

फौजदारी प्रक्रिया में बदलाव सुझाया है.
2 महीन से कम कर 15 दिन यह कार्यालयीन कामकाज तथा जांच की समयावधि के रुप में प्रस्तावित की है., अपील के लिए 6 महीने से 45 दिन का समयाविधि निश्चित किया है.
नई न्यायालयीन व्यवस्था प्रस्तावित की है. 36 अन्य विशेष न्यायालय स्थापित करने का प्रस्तावित है. विशेष न्यायालय के लिए विशेष शासकीय अभियोक्ता की नियुक्ति प्रस्तावित है. प्रत्येक घटक में महिला व बालकों पर होने वाले अपराधों की जांच करने के लिए जिला (अधीक्षक/आयुक्तालय ) विशेष पुलिस दल, जिसमें कम से कम एक महिला पुलिस अधिकारी का समावेश होना चाहिए तथा वैसा प्रस्तावित किया गया है.
पीडिताेंं को मदद व सहकार्य करने के लिए सेवाभावी संस्थाओं को अधिसूचित करने का भी प्रस्तावित है. कानून की दहलीज मजबूत करने के लिए सभी तरफ से विचारविमर्श कर विविध प्रस्ताव का समावेश किया गया है.

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